शूर्पणखा
रामायण की वह पात्र
जिसने अपनी मंशा के आगे
राम लक्ष्मण की विनम्र अस्वीकृति को
स्वीकार नहीं किया
और अंततः दंड की वह स्थिति उत्पन की
जिसने सिद्ध किया
कि
अपनी गलतियों पर पर्दा डालकर
सही" की धज्जियाँ उड़ाई जा सकती हैं !
सीता अपहरण
जटायु वध
लंका का सर्वनाश
सीता की अग्निपरीक्षा
सीता के चरित्र पर लांछन
लव कुश का पिताहीन बचपन
सीता का धरती में समाना ...
एक ज़िद का परिणाम रहा।
युग बदले
सोच बदली
परिवर्तित सोच के साथ
हर पात्र को
प्रश्नों के मकड़जाल में फंसा दिया सबने
और अंततः
...
शूर्पणखा एक स्त्री थी,
लक्ष्मण को ऐसा नहीं करना चाहिए था
जैसे स्वर उभरे
रावण श्रेष्ठ हुआ
उसके जैसे भाई की माँग हुई
बीच की सारी कथा का स्वरुप ही बदल गया !
सतयुग हो
द्वापर युग हो
या हो फिर कलयुग
स्वर अक्सर विपरीत उठते हैं
प्रमुख सत्य पर चर्चा होती ही नहीं
न्याय हमेशा शोर बनकर रह जाता है
और ...
एक मंथन में
सिर्फ अमृत नहीं निकलता
विष घट भी बाहर आता है
एक दंश भरे जीव
जीवन के आगे मृत्यु
अपना तांडव दिखाती है
देवता स्तब्ध होते हैं
मनुष्य की कितनी बिसात !!!
पता नहीं या हमेशा नहीं
जवाब देंहटाएंबहुत बार महसूस होता है
देवता की बिसात के ऊपर
ही बिछाता है हम में से ही
कोई एक बना कर अपने
जैसों का गिरोह मौका मिलते ही
और देवता की बिसात मात खा
जाती है मोहरे लुढ़क जाते हैं ।
बहुत सुन्दर रचना ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 05 जून 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजितने मुंह उतनी बात। ....... जिसकी बुद्धि जैसे चल जाय, जिधर चल जाय।
जवाब देंहटाएंभले ही गलती पुरुष हो, फिर भी स्त्री को दोषी मानने की रिवाज सदियों से चला आ रहा है।
बहुत सुन्दर रचना
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बिछड़े सभी बारी बारी ... " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना , हमेशा की तरह श्रेस्थ
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही... अक्सर सच का स्वरूप कुछ इस तरह बदल जाता है कि असली सच से कोसों परे हो जाता है
जवाब देंहटाएंबीच की सारी कथा का स्वरुप ही बदल गया !
प्रमुख सत्य पर चर्चा होती ही नहीं
न्याय हमेशा शोर बनकर रह जाता है
मंजु मिश्रा
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जवाब देंहटाएंजैसों का गिरोह मौका मिलते ही
जवाब देंहटाएंऔर देवता की बिसात मात खा
जाती है मोहरे लुढ़क जाते हैं ।
बहुत सुन्दर रचना ।