31 दिसंबर, 2016

साल खत्म ! हैप्पी न्यू ईयर















कैलेंडर के पन्ने कम हो गए 
बस एक आखिरी पृष्ठ 
और साल खत्म !
हर साल एक ही जुमला 
"कितनी जल्दी बीत गया  ... "

बीत तो बहुत कुछ गया 
कुछ चेहरे 
कुछ उम्र 
कुछ यादें 
कुछ कहकहे 
कुछ धूप की गुनगुनी खिलखिलाहटें !!! 
... 
न वक़्त है 
न हम हैं 
न ठहराव  ... 
तारीखें तो खुद बदल जाती हैं 
अगर हमें बदलना होता 
तो दिन महीने साल इंतज़ार ही करते रहते !

एक ही जगह पर 
हम इतनी तेजी से दौड़ रहे हैं 
कि बगलवाली कुर्सी को देखने की भी फुरसत नहीं 
कभी देख लो 
तो कुछ नया सा लगता है 
या अचानक लगता है 
धूल जमी है - हटा देना चाहिए !

हर नुक्कड़,चौराहे 
 बातों के शोर में 
अनजान, 
अजनबी से हो गए हैं 
घर में घुसकर भी 
बातों का सिलसिला नहीं रुकता 
रात 
देर से होती है 
सुबह 
बिना नाश्ता किये 
एक रात की तलाश में 
निकल जाती है 
... 
किसी एक दिन 
किसी विशेष दिन का अलार्म बजता है 
एक मेसेज  ... फॉरवार्डेड मेसेज उसकी भरपाई कर देता है 
बस ऐसे ही एक दिन 
कैलेंडर का आखिरी पृष्ठ 
अपने बीतने की सूचना देता है
हम मुँह को आश्चर्य की मुद्रा में लाते हैं 
फिर  ... 
नशे में चीखता है पुराने साल से कोई 
"हैप्पी न्यू ईयर " 
साल की पहली तारीख नशे में 
फिर सड़क पर ज़िन्दगी शीशा चढ़ाये दौड़ती है 
या किसी मेट्रो में 
.... 
कैलेंडर का पहला पन्ना 
बिना मिले पलट जाता है  ... 

8 टिप्‍पणियां:

  1. नशे में चीखता है पुराने साल से कोई .....
    बहुत सुन्दर । नये साल की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं ।

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  2. बहुत खूब ... नया साल ऐसे भी आता है ...
    सच ही तो लिखा है ...
    नव वर्ष मंगलमय हो ...

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  3. बहुत सुन्दर. नया साल मुबारक.

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  4. तारीख बदलती हैं, सबकुछ वैसा ही रहता है लेकिन नया साल आता है सभी को लगता है ..
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    नए साल की हार्दिक शुभकामनाओं सहित

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  5. वाह ! नये वर्ष के लिए मंगल कामनाएं..

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  6. तारीखें तो खुद बदल जाती हैं....सच तो यही है । शुभकामनाएँ ।

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...