खुश होने के प्रयास में
कई बार मन झल्लाता है
- पूरी उम्र समझौते में
यूँ कहिये
दूसरों को खुश करने में बीत जाती है ... !
बचपन में खेलने का जब मन हो
तो पढ़ो
सोलहवाँ साल
टीनएज जीने का मन हो
तो परिवार,समाज की बात सुनो
ब्याह करने का मन नहीं
तो नसीहतें
ब्याह करके खुश नहीं
तो नसीहतें
सोने का मन है
तो ब्रह्ममुहूर्त में उठने के लाभ सुनो
चुप रहने का मन है
तो "कुछ बोलो" का आग्रह
फिर ज़िद ...
यदि आप डिप्रेशन में हैं
तो चौंकेंगे लोग !
कुछ इस तरह कहेंगे -
"क्या भाई,
भरा-पूरा परिवार है
ये चेहरे पर मातम क्यूँ !"
वजह से
उनका कोई तालमेल नहीं होता
उनके पास होते हैं प्रश्न
और उपदेश !!
पसंद पर भी बंदिशें
... ये पसंद है ?
ये अच्छा नहीं लगा ?
क्या आदमी हैं !" ...
और सैकड़ों लानत-मलामत !
बोलने से घबराहट होती है
किस शब्द को कैच किया जाएगा
किसका पोस्टमार्टम होगा
कोई ठिकाना नहीं
न चुप्पी में चैन
न बोलने में चैन
पूरी उम्र समझौते में
यूँ कहिये -
एक अनकहे भय में गुजरती है
यदि आप ज़रा सा भी
दूसरों का ख्याल करते हैं तो ....
....
कहानी मेरी .... शुक्रिया लिखने के लिए
जवाब देंहटाएंयदि आप दूसरों का ख्याल करते हैं तो ..... बहुत सही 👍👍
जवाब देंहटाएंमेरी तेरी कहाँ सब की ।
जवाब देंहटाएंवाह ! पूरे जीवन को चंद शब्दों में बयाँ कर दिया..मुझे तो लगता है खुश होने के प्रयास को ही छोड़ दिया जाये, सारी उलझन की जड़ यही है..
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "मैं सजदा करता हूँ उस जगह जहाँ कोई ' शहीद ' हुआ हो ... “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंjeevan ke saty ko likh diya ... hakeekat hai ye rachna ...
जवाब देंहटाएंएक आम आदमी के जीवन में समझौते के अलावा और बचा ही क्या है, कभी स्वयं से कभी हालात से. बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा | बहुत समय बाद लेखन और ब्लॉग जगत में अपनी उपस्थिति दे रहा हूँ |मेरी ब्लॉग पोस्ट पर आपकी टिप्पणी और सुझाव का अभिलाषी हूँ |
जवाब देंहटाएंसच तो यही है कि अपने से ज्यादा इंसान दूसरों या यूँ कहें अपनों के लिए ही जीता है जिंदगी भर।
जवाब देंहटाएंविचारणीय रचना
बहुत बढ़िया. सही कहा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंजीवन का कटु सत्य..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और सहजता से उकेरा है आपकी कलम ने
बहुत बहुत बधाई
मेरा लिंक-http://eknayisochblog.blogspog.in
उम्र भर के संजोये एहसास
जवाब देंहटाएंकितना सच है न ये | ताउम्र बस यही सिलसिला चलता रहता है |
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