ताजमहल क्या है ?
अतीत की कब्र पर एक खूबसूरत महल !
जिसके सामने
आगरा के क़िले के शाहबुर्ज में
शाहजहाँ 8 वर्ष तक क़ैद रहा ...
हर दिन
पर्यटकों से भरा रहता है
ताजमहल और आगरे का किला !
गाइड कहानियाँ सुनाते हैं
हम अचंभित
विस्फारित
आँखों से
आँखों देखा महसूस करते हुए
रोमांचित होते हैं
पर वर्षों की
आंतरिक
दहकती
ज्वालामुखी के लिए
कहते हैं
अतीत को भूल जाओ !!!
???
!!!
भूल जाओ !
अनसुना कर दो
चिंगारियों के चटकने की आवाज़ को
बेअसर हो जाओ
अंदर से आती चिरांध से
उन सारे मंजरों से
जो उस अतीत से उभरते हैं
क्योंकि इस इतिहास का अर्थ
हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता
इसके जीवित गाइड की कहानियों से
हम ऊब जाते हैं
क्योंकि उसे महसूस करना
हमारे वश की बात ही नहीं
हमारी इच्छा भी नहीं !
...
ज्वालामुखी दृष्टि से परे है
किसी विशेष ऐंगल से
कोई यादगार तस्वीर भी
नहीं ली जा सकती
शुक्ल पक्ष हो
चाहे कृष्ण पक्ष
- क्या फर्क पड़ता है !!!
ताजमहल
कब्र होकर भी
प्रेम का प्रतीक है
फिर प्रेम हो ना हो
गले में बाँहें डालकर
एक तस्वीर के साथ
सब अमर प्रेम हो जाना चाहते हैं !
शाहजहाँ कहाँ कैद था
इस बात से अधिक महत्वपूर्ण है
वह किस तरह निहारता था वहाँ से
ताजमहल को !
इंसान की फितरत
अतीत वर्तमान से परे
एक अनोखा रहस्य्मय भविष्य है
जिस पर अनुसन्धान ज़रूरी है !!! ...
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत पंक्तियाँ। विचारणीय !
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंअतीत ,वर्तमान और भविष्य के आसपास ही गुंथा हुआ है हमारा जीवन। कोई कहता है कचोटती बातों को भूल जाओ तो कोई कहता है निराकरण करो,इसी उहापोह में भविष्य रहस्यमय बना रहता है। वैचारिक ज्वालामुखी कहीं न कहीं से अपनी तपिश / शब्द -विस्फोट का अहसास करा ही देता है। शोचनीय प्रश्न खड़े करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंअतीत ,वर्तमान और भविष्य के आसपास ही गुंथा हुआ है हमारा जीवन। कोई कहता है कचोटती बातों को भूल जाओ तो कोई कहता है निराकरण करो,इसी उहापोह में भविष्य रहस्यमय बना रहता है। वैचारिक ज्वालामुखी कहीं न कहीं से अपनी तपिश / शब्द -विस्फोट का अहसास करा ही देता है। शोचनीय प्रश्न खड़े करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (07-05-2017) को
जवाब देंहटाएं"आहत मन" (चर्चा अंक-2628)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक