18 अगस्त, 2017

अक्षम्य अपराध




उसने मुझे गाली दी
.... क्यों?
उसने मुझे थप्पड़ मारा
... क्यों ?
उसने मुझे खाने नहीं दिया
... क्यों ?
उसने उसने उसने
क्यों क्यों क्यों
और वह ढूँढने लगी क्यों  का उत्तर
                           -----
क्यों" की भृकुटि तनी
कहाँ से मुझे ढूँढेगी यह
मैं था कहाँ !!!
मुझे ही खुद को ढूँढना होगा
अटकलें लगानी होगी
...
मैं था  ...
शायद  ...
इसके बचपने में
इसकी खिलखिलाहट में
इसके बेहिसाब प्यार में
इसके कर्तव्य में
इसके सपनों में
दूसरों के सपनों को हकीकत बनाने की लगन में
इसके यह सोचने में
कि
सब ठीक हो जाएगा
अर्थात
इसकी आशा में
नकारात्मकता के आगे भी सकारात्मकता में
...
इसे पता ही नहीं था
कि ये सारे कारण अक्षम्य अपराध थे
भूखे यातना न सहती
तो क्या इनाम पाती !!!

3 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    इसे पता नही था
    कैसे होता..
    एक बार और पढ़नी होगी इसे
    सादर

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  2. बिना कारण कुछ भी नहीं होता
    स्वयं ही इसका अवलोकन करना होता है
    विचारशील रचना

    जवाब देंहटाएं

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