दुर्भाग्य प्रबल था
जब काली अंधेरी रात में
कृष्ण को लेकर
वसुदेव गोकुल चले थे
.... मूसलाधार बारिश का कहर
जिसके आगे
अनोखा सौभाग्य खड़ा था
माँ यशोदा के आंगन में
यमुना किनारे
गोपियों के जीवन में
राधा की आंखों में ..
दुर्भाग्य प्रबल था
जब 14 वर्ष बिताकर
गोकुल को छोड़कर
कृष्ण मथुरा चले
पर अद्भुत सौभाग्य खड़ा था
माँ देवकी के आगे
सात बच्चों को अपने आगे गंवाकर
आठवें को दूर भेजकर
उन्होंने जो पीड़ा सही थी
वह युवा खुशी बन उनकी आंखों से बह रहा था
मथुरा का उद्धार निकट था
कंस का विनाश
....
दुर्भाग्य प्रबल था
जब दुर्योधन ने भरी सभा में सबके आगे
कृष्ण का अपमान किया
बाँध लेने की धृष्टता दिखाई
और बुज़ुर्गों से सुसज्जित सभा चुप रही
मन ही मन क्षुब्ध होती रही
लेकिन सौभाग्य
न्याय का सुदर्शन चक्र लिए
कुरुक्षेत्र में खड़ा था
प्रत्येक छल,झूठ का उचित जवाब लिए
....
दुर्भाग्य प्रबल था जब राम वनवास हुआ
लेकिन सौभाग्य खड़ा था
केवट के आगे
अहिल्या के आगे
शबरी के आगे
...
दुर्भाग्य प्रबल था सीता हरण में
सौभाग्य खड़ा था
हनुमान के आगे
सुग्रीव के आगे ...
अर्थात
जब भी दुर्भाग्य प्रबल हुआ है
प्रभु की लीला सौभाग्य बनकर आगे रही है
बहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-01-2018) को "नवपल्लव परिधान" (चर्चा अंक-2863) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' २९ जनवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारी' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, फ़ील्ड मार्शल करिअप्पा को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंसुख-दुःख जुड़वाँ भाई हैं..सौभाग्य-दुर्भाग्य भी..
जवाब देंहटाएंआदरणीय रश्मि जी -- किसी का दुर्भाग्य किसी का सौभाग्य बन जाया करता है | इस दर्शन को बखूबी शब्दांकित किया आपने सादर --
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना । सार्थक सदेश । सादर -
जवाब देंहटाएंगहनता लिए अनुपम सृजन
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