बिना फूल,
अगरबत्ती,
चढ़ावे के,
मैं तुम्हें घर में ही
झाँक झाँक कर देखती रही,
टॉफी चाहिए हो,
कोई जादू देखना हो,
कह दिया तुमसे ...
कुछ लोगों ने कहा,
यह पूजा करने का ढंग है भला !
ढंग ?
कहा,
क्या लालची की तरह हर वक़्त माँगती हो,
दूसरे की लिखी पंक्तियों को हिकारत से सुनाया,
बिन माँगे मोती ..."
प्रभु,
मैंने देखा उनको कीमती वस्त्र चढ़ाते,
...
कम उम्र थी मेरी
तब बड़े यत्न से मैंने भी कुछ कुछ लिया,
लेकिन बड़ा अटपटा लगा ।
तुम दोगे या मैं !!
तुम तो जानते ही हो
कि एक सुबह से सोने तक
मैं निरंतर तुमसे माँगती हूँ,
एक अलादीन का चिराग दे दो,
यह परिणाम सुंदर होना ही है,
लक्ष्मी स्वयं आ जायें मेरे पास,
बजरंगबली संजीवनी रख दें मेरी मुट्ठी में,
सारे भगवान मेरे सिरहाने रखे सपनों को पूरा कर दें ...
कृष्ण एक बार माँ यशोदा की तरह मुझे ब्रह्माण्ड दिखा दें,
मेरे आशीष में. तुम्हारे आशीष सी अद्भुत ताकत हो।
प्रभु,
मैं याचक हूँ,
माँगती रहूँगी ...
तुम दाता हो,
देते रहना।
तुमको दे सकूँ अपनी निष्ठा,
पुकारती रहूँ प्रतिपल,
यह सामर्थ्य देते रहना,
आते-जाते जब भी तुमको देखूँ,
झट से आशीष दे देना,
हर हाल में मेरे साथ रहना ...
हम सब याचक हैं और वो देता भी रहता है सभी को पर सब के पास कहाँ होती है निष्ठा उसे देने के लिये। बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-09-2018) को "योगिराज का जन्मदिन" (चर्चा अंक- 3083) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
श्री कृष्ण जन्मोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 04/09/2018
को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
हर हाल में वह साथ ही रहता है..उसके पास इसके सिवा कोई चारा ही नहीं है..वही तो है जो अपने चाहने वालों और भक्तों के हाथ बिक जाता है..
जवाब देंहटाएंदाता वही एक है इंसान को तो भरम रहता है उसने कमाया, उसका है, उसने किया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति
कृष्णा तो हैं उन सब के साथ जो चाहते हैं इन्हें ...
जवाब देंहटाएंइनकी माया से कौन बच सका ...
बहुत सुंदर याचना ... जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ...
किसी एक परिवेश प्रभावित और घिरी रचना.
जवाब देंहटाएंलेखन सुंदर.
वाह!!बहुत सुंदर !!
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन प्रेम-संगीत मिल के सजाएँ प्रिये - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रश्मि प्रभा जी. बहुत आशावादी कविता. पर हमेशा दरवाज़ा खुला रखने पर सिर्फ़ लक्ष्मी जी ही नहीं, कभी-कभी चोर भी घर में प्रविष्ट हो जाते हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। ....
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