01 अगस्त, 2019

बाकी सब अपरिचित !!!




खूबसूरत,
सुविधाजनक घरों की भरमार है,
इतनी ऊंचाई
कि सारा शहर दिख जाए !
लेकिन,
वह लाल पक्की ईंटों से बना घर,
बेहद खूबसूरत था ।
कमरे के अंदर,
घर्र घर्र चलता पंखा,
सप्तसुरों सा मोहक लगता था ।
घड़े का पानी,
प्यास बुझाता था,
कोई कोना-
विशेष रूप से,
फ्रिज के लिए नहीं बना था ।
डंक मारती बिड़नियों के बीच,
अमावट उठाना बाज़ीगर बनाता था ।
सारे दिन दरवाज़े खुले रहते थे,
बस एक महीन पर्दा खींचा रहता ।
जाड़ा हो या गर्नी,
वर्षा हो या आँधी
कोई न कोई घर का बड़ा जागता मिलता था,
मेहमानों के आने की खुशी होती थी,
बासमती चावल की खुशबू बता देती थी,
कोई आया है !
अब तो बस घरों की खूबसूरती है,
लम्बी कार है,
बाकी सब अपरिचित !!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" गुरुवार 01 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. ये समय है। परिचय बढ़ाने के तरीके बदल गये हैं। सुन्दर।

    जवाब देंहटाएं
  3. अब परिचय अंतर्जालीय हो गए हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. जाने कहाँ गये वे घर..जहाँ अपनापन था..चाची, मामी, बुआ सभी मिलकर घर में होने वाले विवाह आदि में रसोईघर संभाल लेती थीं..अब तो खाना बनाना भी एक काम समझा जाने लगा है जो पैसा देकर करवाया जा सकता है..

    जवाब देंहटाएं
  5. सच में ! अब घर 'घर' ना होकर होस्टल से हो गए हैं और रिश्ते केवल संबंधों को जताने के लिए एक पहचान भर जिनमें ना स्नेह बाकी रहा, ना आत्मीयता, ना मिलन की उत्सुकता ना विछोह की पीड़ा ! केवल एक औपचारिकता जिसे निभाना भी एक बोझ हो गया है शायद !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर औपचारिकता में अपनापन ढूँढना व्यर्थ नहीं है शायद..कुछ शब्द थो बीन ही लायेंगे स्नेह की गरमाहट लिये औपचारिकता की पोटली से।

    जवाब देंहटाएं
  7. उन यादों को तलाश रही हूँ यायावर/दंतमुक्ता बनकर
    हमारी पीढ़ी जो जी ली अब सपना है

    जवाब देंहटाएं
  8. अब सब बीते समय की बातें हैं,
    ना वो घर रहे ना वैसे गृह स्वामी,
    संवेदनाएं समेटे सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही बढ़िया विषय चुना है आपने। यह एक आत्मावलोकन कराने वाली रचना है।

    जवाब देंहटाएं
  10. अब कोई आता भी नहीं...इनवाइट करो तो इंतज़ाम का तामझाम भी करो...वो दौर पे-पैकेजों का नहीं था...आपको दिया कभी नहीं दिखाया मैंने...👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  11. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 04 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  12. Wao! Good article. It is very useful for me to learn and understand easily. Thanks for sharing your valuable information and time. I Share this article with my frieds. Please Read: Pati Patni Jokes In Hindi, What Do U Do Meaning in Hindi, What Meaning in Hindi, Pati Patni Jokes in Hindi Latest

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...