08 अगस्त, 2019

वक्रतुंड विघ्नहर्ता



गणपति सुखकर्ता,
वक्रतुंड विघ्नहर्ता,
गौरीनन्दन,
शिव के प्यारे,
कार्तिकेय की आंखों के तारे,
खाओ मोदक,
झूम के नाचो,
झूम के नाचो
महाकाय ... गणपति सुखकर्ता ...

लक्ष्मी संग विराजो तुम
सरस्वती संग विराजो तुम
ज्ञान की वर्षा,
धन की वर्षा
करके हमें उबारो तुम
गणपति सुखकर्ता ...

आरती तेरी मिलकर गायें,
चरणों में नित शीश झुकाएं,
दूब, सुपारी लेकर बप्पा
तेरी जय जयकार करें
विघ्न हरो बप्पा
विघ्न हरो
गणपति सुखकर्ता ...

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर। गणपति विघ्नहर्ता सुखकर्ता जय हो।

    जवाब देंहटाएं
  2. गणपति सहायक हों....
    शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  3. जय गणपति जय विघ्न विनाशक

    जवाब देंहटाएं
  4. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/08/2019 की बुलेटिन, "काकोरी कांड के सभी जांबाज क्रांतिकारियों को नमन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. जय गणेश भगवान।
    सुन्दर वंदना।

    जवाब देंहटाएं
  6. रश्मि जी, उत्तम और उम्दा रचना !
    पर क्षमा चाहता हूँ, यदि गहराई से देखा जाए तो गजानन, कार्तिकेय की आंखों के तारे शायद कभी भी नहीं रहे, क्या यहां गौरी की आँखों के तारे ज्यादा समीचीन नहीं रहता ? यह हस्तक्षेप नहीं सिर्फ मेरा विचार है !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रार्थना भक्ति युक्त।

    जवाब देंहटाएं

जो गरजते हैं वे बरसते नहीं

 कितनी आसानी से हम कहते हैं  कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल  अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर  आखिर कहां!...