10 दिसंबर, 2007


ॐ की प्रतिध्वनि शाश्वत होती है ,
दसों दिशाओं से उच्चरित होती है ,
करोड़ों शरीर का स्पर्श करती है ,
सुरक्षा घेरे का निर्माण करती है .........
शक्ति का आधार बन ,प्रकाशमान होती है
जहाँ तक सोच का विस्तार नही ,
वहाँ तक विस्तृत होती है .
मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारे ,चर्च में
अपना उज्जवल आकार लेती है .
मंदिर का शंखनाद ,सुबह का अजान ,गुरुद्वारे का सतनाम ,
यीशू के रूप में -ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करती है !

3 टिप्‍पणियां:

  1. "ॐ" की महिमा सुन्दरता से बयां की आपने.
    "ॐ" मे तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड दृष्टिगोचर है.
    हिंदू शाश्त्रों के अनुसार भी ॐ ब्रहम का ही रूप है और अब तो विज्ञान भी ॐ की महता स्वीकार करता है.

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  2. ॐ की बहुत सुंदर व्याख्या

    लाजबाब सृजन ,सादर नमन रश्मि जी

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...