25 फ़रवरी, 2008

बोलो माँ,बोलो!!!!!!!!!!!

माँ,अब क्या करोगी?
कैसे लौटाओगी मुझे
उन रास्तों पर,
जो मेरे नहीं थे........
तुम भ्रम का विश्वास देती रही,
जिसे मैं सच्चाई से जीती गई...
जब भी ठेस लगी,
तुमने कहा-'जाने दो,
जो हुआ -यूँ ही हुआ'
ये 'यूँ ही' मेरे साथ क्यों होता है!
तुमने जिन रिश्तों की अहमियत बताई,
उन्होंने मुझे कुछ नहीं माना......
मैं तो एक साधन- मात्र थी माँ
कर्तव्यों की रास से छूटकर
जब भी अधिकार चाहा
खाली हाथ रह गई....
फिर भी,
तुम सपने सजाती गई,
और मैं खुश होती गई..........
पर झूठे सपने नहीं ठहरते
चीख बनकर गले में अवरुद्ध हो जाते हें
और कभी बूँद-बूँद आंखों से बह जाते हें!
इतनी चीखें अन्दर दबकर रह गईं
कि, दिल भर गया
इतने आंसू -कि,
उसका मूल्य अर्थहीन हो गया........
माँ,
ज़माना बदल गया है,
जो हँसते थे तुम्हारे सपनों पर
वे उन्हीं सपनों को लेकर चलने लगे हें
पर कुछ इस तरह,
मानों सपने सिर्फ़ उनके लिए बने थे.........
माँ,
मैंने तुमसे बहुत प्यार किया है,
और माँ,
मैं इस प्यार में जीती हूँ
पर माँ,
मैं तुम्हारे झूठे भ्रम को
अब अपनी पलकों में नहीं सजा पाउंगी,
तुम जो जोड़ने का सूत्र उठाती हो
उसे छूने का दिल नहीं होता........
लोग जीत गए माँ,
मेरा मिसरीवाला घर तोड़ गए
मैं ख़ुद नहीं जानती,
मैं कहाँ खो गई......
माँ,
अब तुम क्या करोगी?
कैसे लौटाकर लाओगी मुझे?
बोलो माँ, बोलो!!!!!!!!!!!!!!!!!!

14 टिप्‍पणियां:

  1. अभी आपकी कविता पढी ..दिल को छू जाने वाली मार्मिक रचना है यह ..!!

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  2. bahut bhavuk bana diya rashmi ji apne,padhte padhte unkaha dard jhalak raha hai shabdo se un detiyon ka jinke sapne udan nahi bharte,bahut sundar rachana hai.

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  3. रश्मी जी बहुत ही सुन्दर कविता है, और कविताओं का इंतजार रहेगा

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  4. अंतस में गहरे तक पैठती कविता । जितनी बार पढ रहा हूं हर बार नये अर्थ और भाव श्रृजित हो रहे हैं ।
    धन्यवाद ।

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  5. Di shabdon main ehsaas jeewant ho uthe......or dheeme se dil ko chhoo gaye wo bhi gahre tak....

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  6. aapko padhna sach mein bahut hi achchha laga,rashmi jee.


    www.kri80vt4u.blogspot.com
    ----
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  7. naman aap ke blog pe aanaa bahut achchaa lagaa, aapkaa harek lafz sachchaa lagaa hai ghatiyaa perodi hai par dilse salaam aapkee kalam ko ashish ka shukrguzar hun

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  8. आपसबों की हर प्रतिक्रिया,मेरी खुशी

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  9. bahut hee bhav poorn rachana mere jeewan men jin logon ka mila bahut ghatana hai un men se ek hai aap ke shabdon se milna abharee hoon us dil ke jis men ey vichar aate hain

    Anil

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