आँधियाँ जब सर से होकर गुज़रती हैं,
दूसरे का दर्द...
समझ में आने लगता है।
पर,जो आँधियों में
दूसरे के दर्द से रास्ता निकालते हैं
उन्हें ज़िंदगी मज़ाक लगती है!
वे नहीं समझते उनकी तकलीफ
जो रात के घने अँधेरे में उठकर शब्द टटोलते हैं,
'शब्द' जो उनके दर्द का गवाह बन सकें,'
शब्द' जो दूर से किसी को ले आए
शब्द' जो रातों का मरहम बन जाए ......
आँधियाँ जब सर से होकर गुज़रती हैं
भीड़ में भी आदमी अकेला होता है
लोगों की बजाय ख़ुद से बातें करता है...........
जोड़-घटाव की परिक्रमा करता है!
आँधियों के रास्ते पार करते-करते
उनके सारे कार्य-कलाप
'मानसिक' हो जाते हैं....
बहुत मुश्किल होता है उन्हें समझना
क्योंकि ,उनका पूरा शरीर 'शब्द' बन जाता है
और ,
शब्दों के बीच आम इंसान बहुत घबराता है!
शब्दों का जोड़-घटाव उनके सर के ऊपर से गुजरता है
वे भला कैसे जानेंगे उनको-
जिनके सर से होकर आँधियाँ गुज़रती हैं......................
दूसरे का दर्द...
समझ में आने लगता है।
पर,जो आँधियों में
दूसरे के दर्द से रास्ता निकालते हैं
उन्हें ज़िंदगी मज़ाक लगती है!
वे नहीं समझते उनकी तकलीफ
जो रात के घने अँधेरे में उठकर शब्द टटोलते हैं,
'शब्द' जो उनके दर्द का गवाह बन सकें,'
शब्द' जो दूर से किसी को ले आए
शब्द' जो रातों का मरहम बन जाए ......
आँधियाँ जब सर से होकर गुज़रती हैं
भीड़ में भी आदमी अकेला होता है
लोगों की बजाय ख़ुद से बातें करता है...........
जोड़-घटाव की परिक्रमा करता है!
आँधियों के रास्ते पार करते-करते
उनके सारे कार्य-कलाप
'मानसिक' हो जाते हैं....
बहुत मुश्किल होता है उन्हें समझना
क्योंकि ,उनका पूरा शरीर 'शब्द' बन जाता है
और ,
शब्दों के बीच आम इंसान बहुत घबराता है!
शब्दों का जोड़-घटाव उनके सर के ऊपर से गुजरता है
वे भला कैसे जानेंगे उनको-
जिनके सर से होकर आँधियाँ गुज़रती हैं......................
रश्मि जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मन के भाव है आपके.. सच कहा है आपने... वो क्या जाने पीर पराई,, जाके पैर न फ़टी बिबाई.
बधाई... लिखती रहिये
वाह, बहुत खूब कहा
जवाब देंहटाएंवे भला कैसे जानेंगे उनको-
जवाब देंहटाएंजिनके सर से होकर आँधियाँ गुज़रती हैं......................
बहुत खूब,,गहरे भाव..जारी रखें. अच्छा लगा.
बहुत मुश्किल होता है उन्हें समझना
जवाब देंहटाएंक्योंकि ,उनका पूरा शरीर 'शब्द' बन जाता है
और ,
शब्दों के बीच आम इंसान बहुत घबराता है!
शब्दों का जोड़-घटाव उनके सर के ऊपर से गुजरता है
वे भला कैसे जानेंगे उनको-
जिनके सर से होकर आँधियाँ गुज़रती
bahut sundar bhav se rachi kavita,gehrai,actualy i am feeling short of words to appreciate the poem,itss awesome.
बहुत बढिया रचना है।
जवाब देंहटाएं'शब्द' जो उनके दर्द का गवाह बन सकें,'
शब्द' जो दूर से किसी को ले आए
शब्द' जो रातों का मरहम बन जाए ......
आँधियाँ जब सर से होकर गुज़रती हैं
भीड़ में भी आदमी अकेला होता है
लोगों की बजाय ख़ुद से बातें करता है...........
'शब्द' जो उनके दर्द का गवाह बन सकें,'
जवाब देंहटाएंशब्द' जो दूर से किसी को ले आए
शब्द' जो रातों का मरहम बन जाए ......
आँधियाँ जब सर से होकर गुज़रती हैं
भीड़ में भी आदमी अकेला होता है
लोगों की बजाय ख़ुद से बातें करता है....
बहुत सुंदर शब्द है दिल में उतरने वाले रश्मि जी !!
गहरे भाव, धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपने शब्दों को,आँधियों को,मन की दशा के मर्म को जाना......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
इन रिश्तों को निभाएं,यही गुजारिश है