02 दिसंबर, 2008

नए मंज़र की आहटें !


ज़िन्दगी कभी सरल नहीं होती
उसे बनाना पड़ता है
बेरंग लम्हों को
उम्मीद के रंगों से
ज़बरदस्ती भरना पड़ता है !
जिन वारदातों को
हम इन्तहां समझते हैं
- वे नए मंज़र की आहटें होती हैं ......................
निर्माण से पूर्व बहुत कुछ सहना होता है !
ज़िन्दगी अगर आसान ही हो जाए
तो जीने का मज़ा ख़त्म हो जाए !
माथे पर पसीने की बूंदें ना उभरीं
तो नींद का मज़ा क्या !
रोटी,नमक में स्वाद नहीं पाया
तो क्या पाया ?
......
ज़िन्दगी रेगिस्तान में ही रूप लेती है,
पैरों के छाले ही
मंजिलों के द्वार खोलते हैं !

26 टिप्‍पणियां:

  1. हर मुश्किल का हल होता है,
    तिनके का संबल होता है।
    जो भी पथ में ठोकर खाता,
    अक्सर वही सफल होता है।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. पेरों के छाले ही मंजिल का द्वार खोलते हैं ..बहुत खूब ..बिना दर्द सहे ज़िन्दगी जीने का मजा ही क्या है ..बहुत अच्छी लगी यह

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  3. वर्तमान माहौल में जिंदगी को सरल बनाना कठिन है /अब उम्मीद {झूंठी } का कोई रंग नहीं एक लाल रंग के सिवाय /इन्तहा समझते हो तो कोई कदम क्यों हैं उठाते नहीं हो /
    बाद की लाइने जीवन को हौसला देती हुई नीद के वावत बिल्कुल सही अभिव्यक्ति /फुटपाथ पे सो जाता है अखवार बिछा कर /मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाता /माहौल तो ऐसा नजर आता है की रोटी में नमक तो क्या रोटी का स्वाद ही मिल पायेगा या नहीं \

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  4. अति सुंदार
    भावनायो से भरा हुआ
    क्या कहे
    ऐसे समय में ऐसे विचार सचमुच उत्तम है

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  5. ज़िन्दगी अगर आसान ही हो जाए
    तो जीने का मज़ा ख़त्म हो जाए !
    माथे पर पसीने की बूंदें ना उभरीं
    तो नींद का मज़ा क्या !
    आज के माहौल में आप की ये पंक्तियाँ बहुत सहारा दे रही हैं....जिन्दा रहने को प्रेरित करती हैं....बहुत खूबसूरत रचना...वाह...
    नीरज

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  6. मगर हताशा सारे ज्ञान को बिसार देती है !! वो क्या कम ज्ञानी थे जिन्होने शक्ती बाण से मुर्छीत लक्षमण को गोद मे लेकर रोते हुये कहा था कि मेरो सब पुराषार्थ थकियो .

    मगर आपसे पुर्णतः असहमत भी नही इतना अवश्य कहुंगा कुछ चीजे शब्दो के पार होती है!!

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  7. पेरों के छाले ही
    मंजिल का द्वार खोलते हैं ..

    बिल्कुल सही!! बहुत अच्छा लिखा.

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  8. "जीवन गर्दिश में पनपता है और निराशा के अंतिम कगार पर खड़े होकर आदमी फिर से जीना शुरू कर देता है ..."प्रभा खेतान की याद में उनकी ही पंक्तियाँ समर्पित करता हूँ.

    आपकी रचना के लिए प्रासंगिक लगी .....

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  9. हर दर्द को अपने हुनर मे ढाल लो,
    फिर देखो ज़िन्दगी कितनी खुबसूरत है....
    एक अदभुत अनुभव,अदभुत एहसास और अदभुत अभिव्यक्ति..... शेतानु :)

    sirf nari ke sine mei hi dil aur wo shakti kyun hoti hai......?

    wo hi samajhti hai jisne khoya hai "main" ke roop main apna
    beta,apni beti,apna bhai,apna pati phir bhi
    wo hi kyun aage badti hai..

    uske paas dil bhi hai aur shakti bhi apne aap mei har jagha purn har tarf se viksit.....


    ->adhura mein huin bas "main"...

    shkti hai to dil nahi kisi ko bhi nahi dekhta kisi ko nahi bakshta....

    aur dil hai to shakti nahi kisi par julm hote dekh to sakta hai
    aur char aansu baha sakta hai par us julm rok nahi sakta na koshish karta rokne ki.....

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  10. bahut achchhi rachanaa...........
    rachanaa men nihit sandesh .......
    aapse bahut kuchh seekhanaa hai itni sundar rachanaa ke liye aabhar

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  11. सिर्फ इतना कहूँगा दीदी धूमिल के शब्दों में 'लोहे का स्वाद लोहे से मत पूछो ,उस घोडे से पूछो जिसके मुँह में लगाम है '

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  12. 'Life is not a bed of roses'....'if you want to see heaven,you will have to die'....'don't tell me the problem is a difficult one,if it were not difficult, it would not be a problem'....etc.ऐसे बहुत से कथन है जो इस खुबसूरत कविता मे समाये हुए है! बस मै इतना ही कहना चाहूँगा , जिंदगी के हर एक गम को गले से लगा लो तो जिंदगी भी तुम्हे गले से लगा लेगी,और जब जिंदगी ने तुम्हे गले से लगा लिया तो मै नहीं सोचता हूँ की तुम्हारी कोई तमन्ना बची रह गयी हो........एक बेहद ही खुबसूरत रचना माँ

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  13. ज़िन्दगी अगर आसान ही हो जाए
    तो जीने का मज़ा ख़त्म हो जाए !
    माथे पर पसीने की बूंदें ना उभरीं
    तो नींद का मज़ा क्या
    bahut hi sahi baat kahi ,dard e siwa sukh ki mahima samajh nahi aatihai,pasena aue nindwali lines aur chale wali lines bahut hi sarthak sandes deti hai.

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  14. बहुत खुब,
    पेरों के छाले ही
    मंजिल का द्वार खोलते हैं ..
    बहुत ही सुंदर भाव ,
    धन्यवाद

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  15. इस सुंदर रचना के लिए आपको बधाई। मेरे ब्लॉग पर भी आएं।

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  16. kaash aisa hi kutchh ho.......dukh ka din beto re bhaiya.......ab sukh ke din aayo re.....aise khud wale din le apeksha main........!!


    jeewan ko jhakjhorti kavita..

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  17. सुंदर भाव सुंदर रचना धन्यवाद...

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  18. wah bilkul hi sahi kaha hai aapne apni is kavita me.. tabhi to kaha gaya hai ki jo ho raha hai achha ho raha hai aur jo hoga wo bhi achha hi hoga.. bas hume apna farz sahi dhang se nibhate rahna chahiye..

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  19. Unparallel composition..... Jeevan kaa yathaartha yahee hai...
    Krupayaa pranaam sweekaar karein.

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  20. jab tak kathinayee na ho jeene me sukh aur dukh kaisa...bhaut achai rachna likhi hai

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  21. जिन वारदातों को हम
    इन्तहा समझते है,
    वे नए मंजर की आहटे होती है...........
    शायद यही सत्य है,
    परन्तु उस समय हमारा मन इस बात को स्वीकार नहीं कर पाता
    क्यूंकि वो घटना हमें तोड़ चुकी होती है......
    ज़िन्दगी अगर आसान हो जाये तो
    जीने का मज़ा क्या है......
    सचमुच जब तक दुःख नहीं होगा तब तक सुख का एहसास भी नहीं होगा,.....
    जीवन के कटु सत्य को दर्शाती रचना.....
    ज़िन्दगी रेगिस्तान में ही रूप लेती है,
    पैरो के छाले ही...
    मंजिलो के द्वार खोलते है.......
    एक सकारात्मक सोच और भावः प्रर्दशित करती रचना.,

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  22. बहोत सही और सटीक लिखती हो आप ma'am ....

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  23. aap bahut hi accha likhti ho ,

    aapko bahut bahut badhai

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  24. रश्मि प्रभा जी हार्दिक अभिवादन बहुत खूब जिंदगी को बनाना पड़ता है निम्न पंक्ति सुन्दर सन्देश देने वाली -ज़िन्दगी कभी सरल नहीं होती
    उसे बनाना पड़ता है
    बेरंग लम्हों को
    उम्मीद के रंगों से
    ज़बरदस्ती भरना पड़ता है !

    शुक्ल भ्रमर ५
    BHRAMAR KA JHAROKHA-DARD-E-DIL

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