06 दिसंबर, 2008

अलग-अलग परिणाम !!!


परिस्थितियाँ एक नहीं होतीं,
हादसे एक नहीं होते,
कोई मर जाता है,
कोई जी जाता है,
कोई ज़िन्दगी खींच लेता है !
किसी के हिस्से गंगा आती है
कहीं यमुना
कहीं नाले का गन्दला पानी........
कोई गंगा की लहरों में समा जाता है,
कोई गंदले पानी में कमल बन जाता है !
सुबह की किरणों के संग-
कोई गीत गाता है
कोई रोता है
कोई सूरज से होड़ लगाता है !
बन्धु,
अलग-अलग कैनवास हैं,
भावों के रंग हैं,
आकाश किसके हाथ होगा-
कौन जानता है !

21 टिप्‍पणियां:

  1. आज मुझे आप के ब्लॉग पर पहला कमेन्ट देने का सुअवसर प्राप्त हुआ है। बहुत भावपूर्ण रचना है।

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  2. अलग-अलग कैनवास हैं,
    भावों के रंग हैं,
    आकाश किसके हाथ होगा-
    कौन जानता है !
    waah kya baat kahi ,saari kavita in lines mein sama gayi jaise,sach haalat kabhi ek se nahi hote aur insaan uske anurup dhalta hai.bahut hi badhiya rachana badhai

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  3. jindgi me anginat rang bhare ja skate hai..ab kis waqt kaun s arang hamare liye chuna jaye kya pata???

    bhaut acha likha hai apne....

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  4. सच में कौन जानता है की किसके हाथ क्या आएगा .कोशिश तो सब बेहतर की ही करते हैं ..अच्छे भाव लगे इस रचना के ..

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  5. सही कहा आपने "परिस्थितया एक सी नहीं होती" और "ना ही नियति" | मैं एक शब्द और जोड़ना चाहूँगा की "यदि परिस्थितया एक सी हो भी तो भी परिणाम एक से नहीं हो सकते"

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  6. मैंने पहले भी आपकी कविता पढ़ी है... आप बहुत ही भावपूर्ण एवं विचारमय बातें कहती है. बहुत ही सुंदर है आपकी यह कविता... केनवास तो सामान है लेकिन उसमे हम जो रंग भरते है वही उसमे उभरते है...
    नीलिमा

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  7. रश्मि जी बहुत ही सुंदर कविता कही आप ने , पत नही कल आकाश किस के साथ हो !!
    धन्यवाद

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  8. अद्भुत विसंगतियों भरा जीवन कब, कौन और कैसा रंग होगा इसका ये तो वह कुशल चित्रकार ही जानता है जो उस आकाश से कहीं विस्तृत है. परिस्थितियाँ और परिणाम भी उसी के हाथों निहित हैं.
    रचना गूढ़, और भाव पूर्ण
    बधाई स्वीकृत करें!

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  9. अलग-अलग कैनवास हैं,
    भावों के रंग हैं,
    आकाश किसके हाथ होगा-
    कौन जानता है...beautifully written ....
    Life may not be the party we hoped for, but while we're here we should dance

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  10. Try to get what you like,otherwise you will be forced to like what you get...'परिणाम' जिंदगी के एक या दो दिन के आंकड़े से नहीं निकाला जाता है,यह तो सारी जिंदगी मे हमने क्या किया,उन सारे कर्मो का योगफल है,और यह जिंदगी के अंतिम समय मे ही पता चल पाता है!...हाँ ये बात सही है की किसी को कम और किसी को अधिक मेहनत करनी पड़ती है,और जिसे अधिक मेहनत करनी पड़ती है उसके पास अनुभव भी अधिक होता है!..और अंत मे बस इतना ही कहना चाहता हूँ की,'आकाश उसी के हाथ आएगा जो सूरज बनने की चाह रखता है,जो सच्चे मन से सही दिशा मे प्रयासरत है,जो बार-बार हारने पर भी अपने पथ से विचलित नहीं होता है, जिसे अपने हार मे दुसरे की जीत दिखाई देता है,जिसके पास सही मायने मे हिम्मत है,और जो झूम-झूम कर गाता है -
    तुम्हारी भी जय-जय,हमारी भी जय-जय
    न तुम हारे ,न हम हारे...........'

    एक बेहद ही खुबसूरत रचना माँ

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  11. dil ko chu gai...
    haqiqat hai.
    gandle pani ka rahasya jo samajh le wo sach mei kamal ban jayega...
    khud ko kabhi nahi kosega na apne jeevan ko......

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  12. अलग-अलग कैनवास हैं,
    भावों के रंग हैं,
    आकाश किसके हाथ होगा-
    कौन जानता है !


    बहुत अच्छी बात कही है आपने ,आने वाला पल कैसा होगा ये किसे पता !!!

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  13. bahut khoob.....aakash kiske hath hoga........inhi panktiyon mein sari kavita utar aayi hai

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 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...