15 दिसंबर, 2008

ताउम्र का साथ !


बहार आए और थम जाए,
ऐसा होता नहीं है
और अगली बहार का इंतज़ार न हो
ये मुमकिन नहीं है .......
ज़िन्दगी को गर जीना है
तो मायूसी का दामन ना पकडो,........
मायूसी में-
खुशियों की आहटें गुम हो जाती हैं,
फिर लंबे समय तक
ये आहटें हमसे रूठ जाती हैं........
जीने के लिए-
दूसरों की खामियां न ढूंढो,
हंसने की ख्वाहिश है
तो अपनी खामियों के दस्तावेज़ खोलो..........
राहें तभी बनती हैं !
गुरुर की अवधि बड़ी छोटी होती है,
दीवारें रिसने में देर नहीं लगती,
संभालो ख़ुद को
खुशियों की आहटों को जानो
उठ जाओ
.....
खुशियों की अवधि कम ही सही
यादें बड़ी गहरी होती हैं,
ताउम्र साथ चलती हैं..........

21 टिप्‍पणियां:

  1. खुशियाँ पल भर की हो पर याद ता उम्र रहती हैं ..बढ़िया लगी आपकी यह रचना

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  2. जीने के लिए दुसरो की खामियां न ढूढ़ो ..
    हँसने की ख्वाइश है तो अपनी खामियों के दस्तावेज खोलो ....

    बहोत खूब दीदी ... Just Suparb ,,,, कितनी सहजता से आप यह बात समझा जाती हो ..

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  3. हर बार की तरह मुझे कुछ सिखाती आपकी ये रचना भी सुन्दर , सार्थक , और आपकी गहरी सोच की परिचायक है ,कविता की हर पंक्ति एक दूसरी से जुड़े होने के महत्त्व को दर्शाती है ,इसलिए पूरी कविता महत्वपूर्ण है ,फिर भी .................
    खुशियों की अवधि कम ही सही
    यादें बड़ी गहरी होती है ,
    ताउम्र साथ चलती हैं .............
    प्रणाम स्वीकारें

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  4. आदरणीय हैं आप हम जैसे नये कविता लेखकों/चिट्ठाकारों के लिये . बहुत अच्छा लगा पढ़कर . धन्यवाद.

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  5. बहार अगर थम जाए तो वो बहार नहीं बल्कि जीवन पद्धति बन जाती है और मन बोर होने लगता है। यह तो मन की अनुभूति है जो कुछ क्षण के लिए ही रहती है। सदाबहार तो एक काल्पनिक शब्द है और यह तभी संभव है जब मन संवेदनशून्य हो जाए, कोई आकांक्षा बाकी ना रहे, जो कभी संभव नहीं। एक कहावत भी है कि दूसरे की खामियाँ निकालने से वो खामी खुद में चली आती है। कुछ समय की खुशी ही हर समय याद रहती है। आपकी यह कविता तो जीवन दर्शन है। संयोग ऐसा कि मैं अभी पटना से घर जाने के लिए निकला था, गाड़ी छूट जाने के कारण वापस आना पड़ा। आखिर आपकी नयी पोस्ट जो पढ़नी थी।

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  6. बेहतरीन कविता है जी. सुन्दर भाव दर्शित हैं इसमें. बधाई स्वीकार करें.

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  7. ज़िन्दगी को गर जीना है....
    तो मायूसी का दमन ना पकडो...
    कितनी सही बात लिखी है आपने...वाह...
    नीरज

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  8. वाह दी, आपने तो जिंदगी जीने का तरीका बता दिया है इस कविता के जरिये..
    अगर इंसान ऐसा करे तो उसे खुशियों की तलाश हो ही नहीं सकती, बल्कि खुशिया खुद उसको तलाश करते-२ उस तक पहुच जाये..
    लोग पढ़ कर कह तो देते हैं की हां बढ़िया लिखा या बिलकुल सही बात कही गयी है कविता में,
    मगर कविता के जरिये जो अनुभव और सन्देश दिया जाता है कभी उस पर गौर कर के उस को भी अमल में ला कर देखना चाहिए.. कविता का असल पुरुस्कार यही होगा..अच्छी और सोचने वाली कविता है..!!

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  9. दूसरों की खामियां न ढूंढो,
    हंसने की ख्वाहिश है
    तो अपनी खामियों के दस्तावेज़ खोलो..........
    राहें तभी बनती हैं !
    गुरुर की अवधि बड़ी छोटी होती है,
    दीवारें रिसने में देर नहीं लगती,
    संभालो ख़ुद को
    खुशियों की आहटों को जानो
    उठ जाओ
    sach bahut hi sundar,ek nayi prerna jaga deti e lines mann mein.awesome.

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  10. खुशियों की अवधि कम ही सही
    यादें बड़ी गहरी होती है ,
    ताउम्र साथ चलती हैं .............

    Ek sakaratmak sandesh ko Vyaqt karti ek behtar rachna.

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  11. खुशियों की अवधि कम ही सही
    यादें बड़ी गहरी होती है,
    ताउम्र साथ चलती हैं.

    बिलकुल सही बात,बधाई.

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  12. jeene ke liye -
    doosaron ki khaamiyan na dhoondho..

    bahut hi khoobsurat rachna.gahri soch. sach hi khushiyon ki yaaden bahut gahari hoti hain.
    achchhi rachna ke liye
    badhai

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  13. खुशियों की अवधि कम ही सही
    यादें बड़ी गहरी होती है ,
    ताउम्र साथ चलती हैं .............
    बहुत सुंदर रचना,
    धन्यवाद

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  14. bahu sundar bahut achcha laga lekin mai thoda let ho gya kshma kare!

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  15. खुशियों की अवधि कम ही सही
    यादें बड़ी गहरी होती है,
    ताउम्र साथ चलती हैं.
    आपने तो मानो जीवन का दर्शन समझा दिया

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  16. yadein kabhi sath nhi chodti ..........sach kaha......bahut hi achcha likha hai........jeene ka dhang bayan kari kavita

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  17. ithanee gambhir baato ko itnee saralta se keh dena asaan nahi...lagta hai jaise shabdo ko padhte huye unse jud gaya :)

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  18. बहुत ही सार्थक रचना है आपकी...
    पाथेय को सही राह दिखाती हुई ....

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