18 दिसंबर, 2008

कैसे कहें?


'जो बीत गई,वो बात गई........!'
अगर ऐसा होता रहा
तो पास क्या रह जाएगा !
आज की हर तस्वीर
कल की ही तो परछाईं है !
उसे मिटा दें
तो फिर जज्बातों,संवेदनाओं का क्या होगा !
वे सितारे जो टूटे
और हमने 'विश' माँगा
--उसे भूल जायें?
कैसे?
कैसे कह दें,
जो बीत गई...................

20 टिप्‍पणियां:

  1. बचपन से सीखाया तो यही जाता है--"की जो बीत गई,वोह बात गई". पर जो सीखाता है, वह भी यही सीखा होता है... किसी न किसी को तो यह कड़ी तोड़नी पड़ेंगी न ? बहोत सही कहा आपने, "आज की तस्वीर ही तो कल की परछाई है"
    बहोत खूब दीदी.. just love it ....

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  2. जज्बातों और संवेदनाओं महत्व देना बहुत जरूरी है
    छोटी-छोटी बातों से ही एक नई पहचान मिलती है और उनसे जुड़ी
    यादें ही होती जो जीवन के सफर को आसान बना देती गर उन यादों का मकसद समझ लो तो कोई डर नही कोई गम नही.....
    यादें भी यही चाहती कि मुझे याद करो लेकिन वही लम्हा जब मैं तुम्हारी नज़रों से दिल में समाई थी...

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  3. आज की तस्वीर कल की ही तो परछाई है .बहुत खूब सही कहा आपने ..पर कल का बीता अच्छा याद रखे तो ही ज़िन्दगी चल सकती है

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  4. sach ko likhan aapse acha kaun janta hai bhala..dil me base alfazo me ek aur juda aaj

    love u

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  5. गुज़रे हुए आज की परछाई को याद कहते हैं
    याद के साथ जो भाव आते हैं उन्हें जज्बात कहते हैं

    इन्हें भुलाया नहीं जा सकता
    एक सत्य से परिचय कराती रचना .........
    बहुत सुन्दर ,आपके मन की तरह

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  6. बहुत सुंदर लफजों में बयां की है आपने यह कविता बधाई हो

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  7. सही कहा आपने . पूर्व मैं की गलतियों और अनुभवों से सबक लेकर तो सीखता है आदमी .

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  8. कोई तो पूछे क्यों उदास हूँ मैं,
    कोई तो हो जिसके लिए ख़ास हूँ मैं,

    ये ज़िन्दगी ग़मों का एक समंदर है,
    और लगता है समंदर की प्यास हूँ मैं....

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  9. बहुत सही कहा दीदी....ये यादें ही तो हैं जो हमेशा साथ चलती हैं.....

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  10. Sahi kaha aapne, ki vartaman to beete dino ki hi parchayi hai, phir unhe kaise bhula de. Lekin keval beete anubhawo ke nazarie se hi yadi vhavishya ka aaklan karenge to wo aaklan purvagrah se pidit kaha jayega. Yadi beeta hua kaal katu anubhav de gaya, to keya uski kadwahat ke shaye me baki ki umr gujar de ya vhabishya ka swagat nahi aasha, naye umang ke saath kare. " Jo beet gayi, so baat gayi" kavi ke aashavadi nazarue ko darshata hai, jo mere anushar se ek behtar vhavishya ke liye sarvatha uchit hai.

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  11. 'आने वाला कल एक सपना है
    गुजरा हुआ कल बस अपना है
    चलता हुआ आज भी किसने जाना है '
    ये बात सही है की वर्तमान समय महत्वपूर्ण होता है,मगर बीते समय की भी अवहेलना नहीं की जा सकती क्योकि कभी ये बिता हुआ समय भी हमारे लिए वर्तमान था...और आज हम जो कुछ भी होते है,सफल या असफल...और आज हमारे पास जो कुछ भी है,ख़ुशी या गम....ये सब उन बीते हुए समय मे किये हुए हमारे कर्मो की ही बदौलत है या यूँ कहे ये सब कुछ उस बीते हुए समय की ही देन है...कोई जब ये बोलता है की मैंने बीते समय की यादों को भुला दिया है,तब निसंदेह वह झूठ बोलता है...वैसे याददाश्त चला जाना और भूल जाना दो अलग-अलग बाते है.....एक बेहद खुबसूरत रचना माँ

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  12. जो बीत गई, वो बात गई.... शायद दुख के बारे मै ऎसा कहते हो, कि दुख गया अब भुल जायो... लेकिन यादे कोन भुल सकता है,आप की बात ठीक है अगर इन्हे भुल गये तो पास क्या रह जाये गा??
    बहुत सुंदर रचना,
    धन्यवाद

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  13. आज की हर तस्वीर कल ही की तो परछाई है ! बहुत प्रभावशाली लगी|
    आपकी कविताओं से बहुत कुछ सीखने को मिला|

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दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...