09 मार्च, 2009

नन्हें मायने !


मेरे पास
मेरी कल्पनाओं का
विस्तृत आकाश है,
और है -
कल्पनाओं के मेघ,
चाँद का खिलौना,
तारों की चमकती पोटली,
एक सतरंगी इन्द्रधनुष !
.....
हर दिन,
आकाश को टांगती हूँ,
कभी श्वेत,कभी श्याम बादलों को
उड़ा देती हूँ....................
रात-दिन के क्रम में
अपने खजाने से
चाँद,सूरज निकालती हूँ,
तारों के धवल चादर पर,
मोहक सपने बिखेर देती हूँ ,
अनंत इक्षाओं की प्राप्ति का
एक सूत्र देती हूँ..................
जब भी कोई तारा टूटता है,
लोग 'विश्' मांगते हैं
और टूटा तारा
फिर मेरी पोटली में !
कल्पनाओं के महासागर में....
मझे अपनी ज़िन्दगी के
नन्हें-नन्हें मायने मिल जाते हैं.........................

23 टिप्‍पणियां:

  1. सबकुछ आपने कह दिया । धन्यवाद अतिसुन्दर रचना के लिए ।

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  2. bahut hi khubsurat di! aapki kalpnayen bhi or aapke sapne bhi

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  3. जिन्दगी के महा समर में कोई कर्म योगी ही नए नए माने जान सकता है.
    अनुभूति का अहसास ही असली शिक्षा है. उसकी सुन्दर प्रस्तुति एक अच्छी शैली की पहचान है.


    सुन्दर भावः पूर्ण कविता प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
    रंगों के त्यौहार होली पर हार्दिक शुभ कामनाए

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  4. बहुत सुन्दर भाव बढ़िया कल्पना लगी यह जिस से ज़िन्दगी को नए नए मायने मिल जाते हैं

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  5. रंगों के त्योहार होली पर आपको एवं आपके समस्त परिवार को हार्दिक शुभकामनाएँ

    ---
    चाँद, बादल और शाम
    गुलाबी कोंपलें

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  6. अब क्या कहें...... आपकी लेखनी को नमन...कितने गहरे भाव...वाह.
    आप को होली की शुभ कामनाएं ...
    नीरज

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  7. जब भी कोई तारा टूटता है,
    लोग 'विश्' मांगते हैं
    और टूटा तारा
    फिर मेरी पोटली में !
    कल्पनाओं के महासागर में....
    मझे अपनी ज़िन्दगी के
    नन्हें-नन्हें मायने मिल जाते हैं.........................
    tute taaron ko sehej rakhna behad khubsurat kalpana hai,ekdam chandtaaron si chamkili.holi mubarak.sundar rachana.

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  8. जब भी कोई तारा टूटता है,
    लोग 'विश्' मांगते हैं
    और टूटा तारा
    फिर मेरी पोटली में !
    कल्पनाओं के महासागर में....
    मझे अपनी ज़िन्दगी के
    नन्हें-नन्हें मायने मिल जाते हैं................

    Rasmi ji, Bhot acchi rachna...bhot gahre tak utarti hain paktiyan...bhot khooob...!!

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर भाव युक्‍त कल्‍पना ... होली की ढेरो शुभकामनाएं।

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  10. आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।
    बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

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  11. Rashmi ji,

    kitni sundar kalpana ki hai is kavita mein aap ne!
    sach hai na yahi nanhey nanhey mayne jeevan ka ahsaas karate rahtey hain..
    sundar rachna hetu badhayee.


    [apni post mein main ne geet ki kami poori kar di hai..jarur suneeyega..ek purana geet hai.asha hai aap ko pasand aayega.. :)-alpana]

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  12. होली के शुभ अवसर पर,
    उल्लास और उमंग से,
    हो आपका दिन रंगीन ...

    होली मुबारक !
    'शब्द सृजन की ओर' पर पढें- ''भारतीय संस्कृति में होली के विभिन्न रंग''

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  13. जब भी कोई तारा टूटता है,
    लोग 'विश्' मांगते हैं
    और टूटा तारा
    फिर मेरी पोटली में !
    कल्पनाओं के महासागर में....
    मझे अपनी ज़िन्दगी के
    नन्हें-नन्हें मायने मिल जाते हैं.........................
    बहुत ही सुन्दर रचना !!

    जवाब देंहटाएं
  14. kalpanaao ke mahaasaagar mei
    chintan ka anootha-sa anubhav
    smritiyaaN bhi, vishwaas bhi......
    badhaaee . . . .
    ---MUFLIS---

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  15. साधुवाद सुंदर भावों के लिए.
    साधुवाद सुंदर शब्दों के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  16. आपकी पोटली में जो कल्पनाओ का -
    आकाश ,
    बादल ,
    मेघ ,
    चाँद - तारे ,
    सतरंगी इन्द्रधनुष है ,
    वो ही तो जिन्दगी है ..
    और ...,
    यह नन्हे नन्हे मायने हमारे लिए बहुत मायने रखते है ...

    जवाब देंहटाएं
  17. आपकी पोटली में जो कल्पनाओ का -
    आकाश ,
    बादल ,
    मेघ ,
    चाँद - तारे ,
    सतरंगी इन्द्रधनुष है ,
    वो ही तो जिन्दगी है ..
    और ...,
    यह नन्हे नन्हे मायने हमारे लिए बहुत मायने रखते है ...

    जवाब देंहटाएं
  18. जब भी कोई तारा टूटता है,
    लोग 'विश्' मांगते हैं
    और टूटा तारा
    फिर मेरी पोटली में !
    कल्पनाओं के महासागर में....
    मझे अपनी ज़िन्दगी के
    नन्हें-नन्हें मायने मिल जाते हैं................


    बहुत ही खुबसूरत रचना , साहसिक सोच वाली एक सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  19. aapki rachna ka ek-ek shabd apna sa laga..... mere man ko kaise padh liya aapne

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...