25 मार्च, 2009

रुख मोड़ना आता है .........


चिड़िया तिनके ले मशगूल है
- घर बनाने में,
रोशनदान वाली जगह पसंद है !
जब भी कोई बाहरी आवाज़ आती है,
चिड़िया मासूम निगाहों से
मुझे देखती है,
' तुम तो माँ हो !
मेरे नीड़ की अहमियत बताना ज़रा
इन उदासीन लोगों को,
देखना,
कोई मेरी मेहनत नाकाम ना कर जाए !'
...........................................
छोटी कटोरी में पानी देकर
मैं उसे भरोसा देती हूँ..........
अपनी नन्हीं चोंच उसमें डुबाकर
वह आश्वस्त होती है,
और मैं !
अतीत के स्याह सायों में
डूबने लगती हूँ..............
डर ! डर ! डर !!!
यही तो था मेरे पास .............
मेरा दिल स्वतः कहता है,
' मैं जानती हूँ चिड़िया,
माँ के दर्द, उसकी ख्वाहिशों को,
उसके भय को........
तुम निर्भय रहो,
एक माँ तुम्हारी सुरक्षा में खड़ी है,
आँधी,तूफ़ान सब रोक दूँगी
तुम्हारे नन्हे चिडों के लिए
..........
मुझे तूफानों का रुख
मोड़ना आता है !'

34 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut Khubsurat, Choti - Choti ghatnao ko bariki se samajhne aur unhe apne shabdo dwara mahtwapurn bana dene ki aapki kala prasanshniye hai, sikhne yogya hai.

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  2. very nice...the topic of poem..is we can find at every home...specially at my home..from last november 2009 if i m not wrong at least 8-9 baby pigeons born at my ventilator window..so i relate this poem to me...

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  3. dil mein mamta ka bhavbandh liye,pyar ke haathon ki chav liye marmik rachana,maa ki mahati hi nirali,bahut bahut sunder dil tak jaa pahunchi sidha.

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  4. बहुत ही भावपूर्ण रचना . धन्यवाद.

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  5. निःशब्द कर दिया आपने......क्या कहूँ कुछ सूझ नहीं रहा.....
    आपका बहुत कुछ अनकहा सुनाई पड़ गया और मन बह चला.....

    बहुत बहुत सार्थक और सुन्दर रचना...सदैव ऐसे ही भाव पूर्ण लिखती रहें....शुभकामनाये.

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  6. बहुत ही भावनात्मक रचना है, एक माँ का अपने बच्चे के प्रति प्रेम झलकता है, और एक दर्द भी, वहीँ बच्चे का भी एक विश्वाश दिखाई देता, की चाहे कुछ भी हो जाए, मेरे पीछे माँ तो कड़ी है. वो मुझे कुछ न होने देगी..
    बहुत अछि रचना है दीदी
    शुभकामनाएं

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  7. निःशब्द कर दिया आपने......क्या कहूँ कुछ सूझ नहीं रहा.....बहुत ही भावपूर्ण रचना .....

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  8. भावभरी रचना.माँ का प्रेम और बच्चे का उस पर आश्रित होने को खूबसूरती से अभिव्यक्त करती हुई रचना है.
    सच है माँ को आता है तूफानों का रुख मोड़ देना.

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  9. बहुत ही भावूक लगी यह आप की कविता, ओर लगता भी कुछ ऎसा ही है.
    धन्यवाद

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  10. rashmi ji,

    atayant bhavpurn rachna hai.
    "ateet ke syaah saayon men
    doobane lagati hun
    darr ! darr ! darr !!

    aur usake baad ....
    mujhe tufano ka rukh
    modna aata hai...

    har koi is drishy ko dekhta hai ..par is par itani gahraayi se sochna aur likhana...

    bahut sundar abhivyakti.

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  11. aadi tumhi ho ,
    ant tumhi ho ,
    abal tumhi ho ,
    sabal tumhi ho ,
    haasya tumhi ho ,
    rudan tumhi ho ,
    tumhi ho maa ,
    maa tumhi ho ,

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  12. माँ अपने बच्चे को इसी प्रकार से हर मुसीबत से बचा लेती है ..बहुत सुन्दर लगी आपकी यह कविता .सही भावना को व्यक्त करती

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  13. चिडिया का घर तो बचाया जा सकता है .लेकिन खुद के लिए घर नामक जेल को बचाने और बनाने की जरुरत मैं नहीं समझता .घर के एक कमरे को कबरगाह कहा जा सकता है जिसमे रोज़ हमारी भावनाओं का कतल होता है एक कमरे में किसी स्त्री के विचार से बलात्कार होता है .यानि तथाकथित घर दमन के नीवं पर फल फुल रहा हैं ऐसे घर को बचाना गलत बात हैं .चिडियां का घर बचाना तो उचित है पर बलात्कार घर को बचाना बलात्कारिओं की सहायता करना है. घर नामक संथा का विकल्प अगर नही है तो इसका मतलब यह नहीं हैं की घर उचित जगह हैं .पूरी कविता केवल भावनाओं को अंध करने वाली है .बाकि सब ठीक हैं

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  14. सच कहा...एक माँ ही तूफ़ान का रुख मोड़ सकती है....दिल को करीब से छूती हुई एक बेहतरीन रचना...
    नीरज

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  15. रश्मि जी ,बहुत सुन्दर रचना है आपकी ! चिडिया के प्रतीक से आपने पूरी संवेदना को ही अभयदान दे दिया है एक मां बनकर ! सोच और अभिव्यक्ति दौनों ही मोहक है !बधाई

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  16. आपकी भवनाओं की कद्र करते है और आपको धन्‍यवाद देते है कि आप हमें इसी तरह और भी अपने स्‍वच्‍छ विचारों से सराबोर करेगीं
    शुभकामनाऍं

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  17. हाँ , तुम तो माँ हो .. और जानते है की यह चिड़िया सुरक्षित है, विश्वास है की माँ हर आने वाले तुफानो का रुख मोड़ सकती है ...
    गर माँ साथ है तो यह चिड़िया, अपने कलरव से खुशियों का संगीत सुनाएगी यह विश्वास रहे सदा ....

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  18. एक माँ ही दूसरी माँ के ह्रदय में उठती भावनाओं को समझ सकती है, साहस दे सकती है, और सही कहा आपने........ कि जरूरी होने पर ." तूफानों का रुख भी मोड़ सकती है ".......

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  19. आदरणीया रश्मि जी ,
    नन्हीं चिडिया के साथ ही आपने पूरी प्रकृति को सुरक्षा का आश्वासन दिया है .
    मेरी बेटी अपनी कहानी पर आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर बहुत उत्साहित हुयी है .
    शुभकामनाओं के साथ .
    पूनम

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  20. माँ तो शब्द मात्र ही पर्याय है संतान के लिये समस्त तूफ़ानों के रूख को परे मोड़ने का...
    सुंदर अभिव्यक्ति

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  21. मेरा दिल स्वतः कहता है ,
    मै जानती हूँ चिडिया
    माँ के दर्द,उसकी ख्वाहिशों को ,
    उसके भय को
    तुम निर्भय रहो ,
    एक माँ तुम्हारी सुरक्षा में खडी है

    रश्मि जी एक माँ की मनोनुभुति को बहोत ही सुंदर तरीके से उकेरा है आपने ... बधाई ...!!

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  22. AB AAPKE LEKHAN KE BAARE ME KYA KAHI JAAYE ....... AUR WO BHI ITANI BHAVNA PRADHAAN KAVITA KE LIYE JAHAAN MAA SHAB SE RACHIT HO... KITNI SHAKTI HAI MAA ME YE SABHI JAANTE HAI MAGAR KOI KAH NAHI PAATA ... HAR MUSHKILE KHATM KAR DE WO APNE BACHHON KE LIYE....
    AAPKE LEKHANI KO SALAAM...

    ARSH

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  23. "mujhe toofaano ka rukh
    morhnaa aata hai..."

    sach kahaa aapne...
    ek Maa ki mamtaa duniya ke kisi bhi toofaan ko rok pane mei smarth hoti hai...hamesha....
    kyonki srishti mei Maa hi to sbse paakeeza jazba hai.
    ABHIVAADAN SVIKAAREIN.

    ---MUFLIS---

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  24. तुम निर्भय रहो,
    एक माँ तुम्हारी सुरक्षा में खड़ी है.

    - बहुत सुन्दर. साधुवाद.

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  25. आदरणीय रश्मि जी ,
    बहुत बड़ा आश्वासन दिया है आपने प्रकृति के साथ मानवता को भी एक चिडिया के माध्यम से .
    अच्छी कविता .
    हेमंत कुमार

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  26. mujhe toofano ka rukh modna aataa he..
    is pankti ne us poori prakrti ko spasht kar diya jiski talaash niraash logo ko hoti he..
    fir maa kaa saayaa ho to baat hi kya,

    bahut khoob,
    saadhuvaad

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  27. डर ! डर !! डर !!!
    यही तो व्याप्त है सर्वत्र.

    तुम निर्भय रहो !

    मुझे तूफानों का रुख मोड़ना आता है.

    ऐसे आश्वाशन कौन दे पाता है, जिसे मिल जाता वह निरंकुश सा भी तो व्यवहार करने लगता है........

    बड़ी विडम्बना है..................

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  28. Namaste,
    You write such beautiful poems, loved all of these. And yes, there can be nobody like a mother...I wonder what the world would have been without mothers.

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  29. Namaste didi,
    very nice...the topic of poem.You write such beautiful poems kitni shakti hai maa me ye sabhi jaante hai magar koi kah nahi paat aap nay itnay achay or sunar word ma sub kucha ha didi such ma pada kar bhut jada acha laga kyonki srishti mei Maa sub ka sub say bada darja hai un say pahle na koi nahi hai mujhay aap ki kavita paada kar bhut jada acha laga

    from pooja bisht

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  30. एक सबल माँ का एक निर्बल माँ को आश्वासन ....
    एक मार्मिक रचना ........

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...