दुःख की सरहदों पर
अपने-अपने दर्द को लिए
- हम दोस्त हैं ....
कहीं कोई दिल दहलानेवाला
विस्फोट नहीं होता...
होती है,
आंसुओं की मौन भाषा
- जहाँ सारी दूरी
मिट जाती है ,
रह जाती है
- आंखों की शून्यता !
- जहाँ
देश विभाजित नहीं होता,
न ही जाति,धर्म की
चिंगारियां होती हैं.......
होती हैं बस -
अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
खामोशी !
सिर्फ़ खामोशी !!!
अपने-अपने दर्द को लिए
- हम दोस्त हैं ....
कहीं कोई दिल दहलानेवाला
विस्फोट नहीं होता...
होती है,
आंसुओं की मौन भाषा
- जहाँ सारी दूरी
मिट जाती है ,
रह जाती है
- आंखों की शून्यता !
- जहाँ
देश विभाजित नहीं होता,
न ही जाति,धर्म की
चिंगारियां होती हैं.......
होती हैं बस -
अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
खामोशी !
सिर्फ़ खामोशी !!!
Waah .., Maan ko chu jane wali avivyaqti.
जवाब देंहटाएंमन में उठती भावनाओं पर किसी जाति वर्ग धर्म भाषा का विशेष अधिकार नहीं होता... एक समान भावनाएं दो इंसानों को पास ले आती हैं..
जवाब देंहटाएंbahut shandar ...... RASHMI JI .....shubhkamanayen
जवाब देंहटाएंहम भी खामोश ...
जवाब देंहटाएंखामोशी भी गुनगुनाती है, तनहाईया भी मुस्कुराती है ...
again नी:शब्द ...
बहुत सुंदर भाव , अति सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आपने खामोशी मे जिन भावनाओं के साथ अपने विचार व्यक्त किए वह दिल एवं वर्तमान परिवेश में वास्तविकता से हमें परिचित कराते है ।
जवाब देंहटाएंजहाँ
जवाब देंहटाएंदेश विभाजित नहीं होता,
न ही जाति,धर्म की
चिंगारियां होती हैं.......
होती हैं बस -
अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
खामोशी !
khamoshi mein ekata mil aaye,isase badi baat kya ho sakti hai.sunder rachana badhai
aaj ke samay par sattekta se tippni karti ek rachna .. sundar kriti
जवाब देंहटाएंबहुत सही.. बिल्कुल सटीक लिखा आपने..
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी से सदैव ही सुन्दर रचना निकलती है । बहुत ही सुन्दर कविता । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंkhaamoshi ko jo diyen hain , shabd ,kahaan aisi baat hoti,
जवाब देंहटाएंkahi suna hai kisi ne ki poonam me amawas ki raat hoti ????
शानदार और अभिभूत कर देने वाली अभिव्यक्ति । प्रभा जी आपकी लेखन कला का मै कायल हूं । पहली बार पोस्ट कर रहा हूं लेकिन आपकी कविताओं को पढ़ता हर बार हू शिक्रिया
जवाब देंहटाएंजीवन के बेहद करीब है आपकी रचना।
जवाब देंहटाएंkhamoshi ko bahut gahnata se jiya hai aur dard ko piya hai isliye ye bhav ubhra hai.
जवाब देंहटाएंbahut gahre bhav.
सुंदर भावाभिव्यक्त.
जवाब देंहटाएंrachanaa bahut prabhaavashaalee hai.
जवाब देंहटाएंbilkul mere man kee hi baat kah di aapne to.....badhaai..
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी मैम....
जवाब देंहटाएंभाव तो सीधे दिल से निकलते हैं, ये किसी धर्म-मज़हब के गुलाम नहीं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है दीदी, कम शब्दों में बहुत कुछ कह देना ही आपकी रचनाओं की विशेषता है.
आँखों की मौन भाषा...और खामोशी.
जवाब देंहटाएंअपने हिस्से को खोने का दर्द..
सच यही रह जाता है..
देश विभाजित नहीं होता..मगर कुछ चिंगारियां फिर भी सुलगती रहती हैं.
जो शायद अपने हिस्से को खोने के दर्द से जनम लेती हैं.
-सुन्दर सफल अभिव्यक्ति!
रश्मि जी कुछ ऐसी ही तस्वीर और इसी शीर्षक वाली कविता मैं ने भी जून में पोस्ट की थी.:)
आदरणीय रश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत अर्थपूर्ण कविता ...जीवन में खामोशी का अपना महत्व है .
पूनम
रश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावः एवं दर्शन है आपकी इस कविता में ..खामोशी भी तो एक अभिव्यक्ति का माध्यम ही है ..अच्छी कविता
हेमंत कुमार
होती हैं बस -
जवाब देंहटाएंअपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
सिर्फ खामोशी
bahut sunder abhi vyakti
कोई ये भाषा नहीं समजता
जवाब देंहटाएंऔर किसीसे उम्मीद रखनी भी नहीं चाहिए...
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति..
सादर.
- जहाँ
जवाब देंहटाएंदेश विभाजित नहीं होता,
न ही जाति,धर्म की
चिंगारियां होती हैं.......
होती हैं बस -
अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
और अपने अपने हिस्से की खामोशी बहुत कुछ कहती है .. सुन्दर रचना
बहूत गहन अभिव्यक्ती ....
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना..
ख़ामोशी को भी शब्द मिल गए हो जैसे........
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