20 मार्च, 2009

खामोशी !


दुःख की सरहदों पर
अपने-अपने दर्द को लिए
- हम दोस्त हैं ....
कहीं कोई दिल दहलानेवाला
विस्फोट नहीं होता...
होती है,
आंसुओं की मौन भाषा
- जहाँ सारी दूरी
मिट जाती है ,
रह जाती है
- आंखों की शून्यता !
- जहाँ
देश विभाजित नहीं होता,
न ही जाति,धर्म की
चिंगारियां होती हैं.......
होती हैं बस -
अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
खामोशी !
सिर्फ़ खामोशी !!!

28 टिप्‍पणियां:

  1. मन में उठती भावनाओं पर किसी जाति वर्ग धर्म भाषा का विशेष अधिकार नहीं होता... एक समान भावनाएं दो इंसानों को पास ले आती हैं..

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  2. हम भी खामोश ...
    खामोशी भी गुनगुनाती है, तनहाईया भी मुस्कुराती है ...
    again नी:शब्द ...

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  3. बहुत सुंदर भाव , अति सुंदर कविता.
    धन्यवाद

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  4. आपने खामोशी मे जिन भावनाओं के साथ अपने विचार व्‍यक्‍त किए वह दिल एवं वर्तमान परिवेश में वास्‍तविकता से हमें परिचित कराते है ।

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  5. जहाँ
    देश विभाजित नहीं होता,
    न ही जाति,धर्म की
    चिंगारियां होती हैं.......
    होती हैं बस -
    अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
    खामोशी !
    khamoshi mein ekata mil aaye,isase badi baat kya ho sakti hai.sunder rachana badhai

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  6. aaj ke samay par sattekta se tippni karti ek rachna .. sundar kriti

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  7. बहुत सही.. बिल्कुल सटीक लिखा आपने..

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  8. आपकी लेखनी से सदैव ही सुन्दर रचना निकलती है । बहुत ही सुन्दर कविता । धन्यवाद

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  9. khaamoshi ko jo diyen hain , shabd ,kahaan aisi baat hoti,
    kahi suna hai kisi ne ki poonam me amawas ki raat hoti ????

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  10. शानदार और अभिभूत कर देने वाली अभिव्यक्ति । प्रभा जी आपकी लेखन कला का मै कायल हूं । पहली बार पोस्ट कर रहा हूं लेकिन आपकी कविताओं को पढ़ता हर बार हू शिक्रिया

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  11. जीवन के बेहद करीब है आपकी रचना।

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  12. khamoshi ko bahut gahnata se jiya hai aur dard ko piya hai isliye ye bhav ubhra hai.
    bahut gahre bhav.

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  13. भाव तो सीधे दिल से निकलते हैं, ये किसी धर्म-मज़हब के गुलाम नहीं.
    बहुत सुन्दर रचना है दीदी, कम शब्दों में बहुत कुछ कह देना ही आपकी रचनाओं की विशेषता है.

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  14. आँखों की मौन भाषा...और खामोशी.
    अपने हिस्से को खोने का दर्द..
    सच यही रह जाता है..

    देश विभाजित नहीं होता..मगर कुछ चिंगारियां फिर भी सुलगती रहती हैं.
    जो शायद अपने हिस्से को खोने के दर्द से जनम लेती हैं.

    -सुन्दर सफल अभिव्यक्ति!

    रश्मि जी कुछ ऐसी ही तस्वीर और इसी शीर्षक वाली कविता मैं ने भी जून में पोस्ट की थी.:)

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  15. आदरणीय रश्मि जी ,
    बहुत अर्थपूर्ण कविता ...जीवन में खामोशी का अपना महत्व है .
    पूनम

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  16. रश्मि जी ,
    बहुत सुन्दर भावः एवं दर्शन है आपकी इस कविता में ..खामोशी भी तो एक अभिव्यक्ति का माध्यम ही है ..अच्छी कविता
    हेमंत कुमार

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  17. होती हैं बस -
    अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,
    सिर्फ खामोशी
    bahut sunder abhi vyakti

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  18. कोई ये भाषा नहीं समजता
    और किसीसे उम्मीद रखनी भी नहीं चाहिए...

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  19. बहुत सुन्दर....
    गहन अभिव्यक्ति..
    सादर.

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  20. - जहाँ
    देश विभाजित नहीं होता,
    न ही जाति,धर्म की
    चिंगारियां होती हैं.......
    होती हैं बस -
    अपने-अपने हिस्से को खोने की खामोशी,

    और अपने अपने हिस्से की खामोशी बहुत कुछ कहती है .. सुन्दर रचना

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  21. बहूत गहन अभिव्यक्ती ....
    सुंदर रचना..

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  22. ख़ामोशी को भी शब्द मिल गए हो जैसे........

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