10 जून, 2009

कीमत !


शब्दों की कीमत होती,
तो मेरे शब्द
अनमोल होते....
मेरी आवाज़ की कीमत होती,
तो मेरी आवाज़ में कोई बात होती....
ऐसा जब उसने कहा,
तो मैं अवाक रह गई !
शब्द पागलों की तरह हंसने लगे,
पैसे के तराजू पर
उसके भावपूर्ण अर्थ हल्के हो गए....
मैंने तो कीमत देखी
आंखों में,
चेहरे की मुखरता में,
दिल की गहराइयों में -
इनको ही अपनी आत्मा की तिजोरी में
कैद किया,
क्रमवार जेहन में रखा,
जिनके अन्तर से मेरा नाम निकला,
इसकी क्या कीमत लगाओगे तुम ???

34 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दों की कीमत होती तो मेरे शब्द अनमोल होते.......
    शब्दों को आपने बड़ी सुन्दरता के साथ रचना में पिरोया है . बड़ी मनभावन रचना लगी. आभार.

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  2. बहुत ही सुन्दर भाव को समेटे हुये कविता....बहुत बहुत बधाई

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  3. main kaan waala bahra samaj kee baat nahin kar raha,lekin dil walon ke liye to shabd satta hai, shabad hee sambhavnayen hain...
    bahut utkrisht rachna, tarif se bhee badhkar...
    badhaee
    ranjit

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  4. आपकी कलम की धार बहुत तेज़ है ...मुझे आपकी रचना बहुत अच्छी लगी

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  5. भावनाओं की कोई कीमत नहीं लगाई जा सकती और हाँ पैसा चाहे जो कुछ भी हो इससे भावनाएं नहीं खरीदी जा सकती....!अच्छी रचना के लिए बधाई...

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  6. बहुत सुन्दर शब्दों की कीमत इसको समझने वाला ही समझ सकता है ..बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना

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  7. जब तक मैंने जाना है और लोगो को समजा है..लोग बहोत नाप तोल करके शब्द बोलते है... दिल की पहेली आवाज होती है वो लोग नहीं बोलते ...खुद का कैसा लगेगा बुरा तो नहीं लगेगा ना ये सोच कर बोलते है...भले उसमे किसी का बुरा ही क्यों ना हों...आज भी ऐसे लोग है जो किसी बात का सही जवाब नहीं देते...बस चापलूसी में ही रहेते है...भगवान् से ये ही प्रार्थना की शब्द उसीके सुनने को मिले जो दिल से सच्ची बात कहेने की हिम्मत रखता हों..और किसीके कहे शब्द की महत्ता समजता हों...

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  8. बहुत ही खूबसूरत रचना...अनमोल का क्या मोल?
    नीरज

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  9. आत्मा की तिजोरी में रखा गया अनमोल शब्द …!
    नी:शब्द हम [:)] ... Ilu ..!

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  10. बड़ी ही खूबसूरत रचना दी आपने ।
    भावसम्पन्न । आभार ।

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  11. aapki rachna ko padhkar kuch apni hi pankhtiyaan yaad aa gai.......
    "agar shabd dukaan par bikte to shayad log khush rehte.
    kyunki phir shabd sirf logon ke hit main hi kharch hote"

    aapki bahut saari rachnaaon main ek hai ye jo mujhe bahut pasand aai......
    अक्षय-मन

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  12. shabdo ki keemat ka ehsaas hain;
    isiliye to aap jaisi keemati cheez hamare pass hain :-)

    Mubarakbaad.. . ek khoobsoorat shabd abhivyakti ke liye

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  13. आपकी कविता भावनाओं का एक बहाव ले कर आई और हमें भी बहा कर ले गई
    वीनस केसरी

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  14. कोई क्या कीमत लगाएका शब्दोंको ? शब्दोंको पैसेके तराजुपे जोखने वालोँ के लिए बहुत अच्छी ललकार । बहुत खुब !

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  15. Shabd to sach main anmol hote hain.........ek shabd hi to vyakti ko dost se dushman bana deta hai.....

    Di........bahut khub!!

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  16. bhavanaon ki keemat kshudr hridayon ko gyaat nahin hoti ......
    sab to aapne kah diya hai ...
    shubhkamnaayen ..

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  17. shabd vyom hai
    shabd om hai
    shabd anmol hain
    sunder rachana ke liye badhai

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  18. मन से nikle huve bheege shabdon से likhi गयी kavitaa है ये..........शब्द paaglon की तरह hansne लगे............ bahoot ही gahraa ehsaas लिए huve हैं आपके शब्द......... kamaalka लिखा है

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  19. bhavnao ka koi mol nhi
    ankho me dekh pate to tijori ki kha jrurat hai .

    bhut khubsurat rachna .

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  20. आदरणीय रश्मि जी,
    बहुत बढ़िया कविता लिखी है आपने शब्दों को लेकर---बधाई।
    पूनम

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  21. बहुत बढ़िया ..एक दार्शनिक भावः लिए हुए है आपकी रचना ..
    हेमंत कुमार

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  22. रश्मिप्रभा जी,

    कविता ठगे जाने का भाव समग्र रूप से बाहर लेकर आती है, जिसमें आज के दौर में मनोवृत्ती के संक्रमण को भी बहुत ही बारीकी से उभारा है।

    एक प्रभावी प्रस्तुति के लिये साधुवाद।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  23. सही है, भावनाओ की कलात्मक अभिव्यक्ति की कीमत अर्थ के बाज़ार में नहीं आकी जा सकती है | सुन्दर कविता |

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  24. bahut sundar .shabd bahut kimti hote hai unka paryog bahut sawdhani se santulan bana kar karna chahiyeeeeeeeeeeee

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  25. मैंने तो कीमत देखी
    आँखों में
    चेहरे की मुखरता में
    दिल की गहराइयों में

    अति खूबसूरत भाव..दिल में सामने को आतुर !

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  26. Pade ki daal par patta yeh sochata hey ...vo jhum raha hey ...par bhul jata hey ki yeh to hawa ka jhoka hey jo usko hilata hey

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  27. आपकी रचनाओं पर टिपण्णी करने की सामर्थ्य मुझमे है नहीं, बहुत कुछ सीख सकता हूँ एक विद्यार्थी बनकर...

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  28. मेरी आत्मा की तिजोरी मैं कैद किया ??? आखिर मेरी किसने कहा? मुह ने ? या फिर जीभ ने ? या फिर गले ने? या फिर मुह के जरिये खुद आत्मा ने ?? अगर खुद आत्मा ने कहा तो तो "मेरी आत्मा" क्यों? मुझ आत्मा की तिजोरी क्यों नहीं?? रचना बहुत खुबसूरत है !!!

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  29. बहुत ही सुन्दर भाव को समेटे हुये कविता....बहुत बहुत बधाई

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 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...