22 जनवरी, 2010

इमरोज़ की कलम से इमरोज़


नज्मों की दोस्ती लम्हा-दर-लम्हा बढ़ी
कुछ तुमने कहा
कुछ हमने कहा
पलों की गतिविधियाँ बढीं ...................इन्हीं गतिविधियों के अंतर्गत इमरोज़ की कलम से इमरोज़
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खेतों में खेलने के बाद
रंगों से खेलने के लिए
मैं लाहौर के आर्ट स्कूल में पहुँच गया
कुछ बनने
कुछ ना बनने से बेफ़िकर
तीन साल आर्ट स्कूल में
मैं रंगों से खूब खेला

जो कुछ हो चुका है
उसे दुहराने में
मुझे कोई दिलचस्पी नहीं
कुछ नए की तलाश में रहता हूँ-
इंतज़ार भी करता हूँ ...

मेरे लिए ज़िन्दगी एक खेल है
अपने बैट से
ज़िन्दगी को ख़ूबसूरती से खेलता रहता हूँ...

आर्ट्स स्कूल के बाद ज़िन्दगी के स्कूल में भी
रंगों से खेलना जारी रहा --
कभी सिनेमा के बैनरों के रंगों से
कभी फिल्मों के पोस्टरों के रंगों से
खेल चलता रहा...

एक दौर कैलीग्राफी का भी आया
उर्दू के 'शमा' मैगजीन में कोई छः साल
मैं अपनी तरह की कैलीग्राफी करता रहा
रंगों में भी खेल जारी रहा
ज्यादातर पेंटिंग बनी-ख़ास तरह के टेक्सटाइल के
डिजाईन भी बने
और घड़ियों के नए-नए डायल भी --
और ज़िन्दगी कमाने के लिए बुक कवरस
रंगों से खेलते-खेलते
ज़िन्दगी चलती रही है

एक उम्र शायरा अमृता के साथ
मुहब्बत और आजादी का सत्संग
सारी ज़िन्दगी ने देखा
और जब अमृता पेड़ से बीज बन गई
तो एक नया मौसम आ गया
अनलिखी नज्मों को लिखने का मौसम--
जो मैं अब लिख रहा हूँ ....




और आखिर में मुझसे यूँ कहते हुए--------------


रश्मि


कई सवाल होंगे
जो तुमने अभी पूछे नहीं
पर वो ज़िन्दगी में हैं
कई शक्लों में

मेरी नज्में अक्सर
सवाल भी उठाती हैं
और जवाब भी ढूंढती हैं


इमरोज़









45 टिप्‍पणियां:

  1. rashmi di bahut shukriya aapka...ek pavitr sa ehsas jagta hai ye sab padhte hue..

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  2. बहुत बढ़िया शुक्रिया यहाँ पढवाने का

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  3. rashmi ji,
    imroz ji se aksar main apne sawaal ka jawab puchhti rahi hun, shayad unki nazmon mein zindgi ko talaashti rahi hun, aaj fir yahan dekh rahi, mere kuchh aur jawab... bahut dhanyawaad aapko.

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  4. रंगों और शब्दों का अनमोल प्रस्तुतिकरण... ILu...!

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  5. इमरोज़ फ़र्दा [कल के ] कब हुए.वो तो इमरोज़ हैं और इमरोज़ रहेंगे.उनकी नज़्म उनकी बातें इसकी ज़िंदा मिसाल हैं!
    -शहरोज़

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  6. और जब अमृता पेड़ से बीज बन गईं .....कित्ती सुन्दर बात

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  7. इसे यहाँ हम सबके साथ बांटने का शुक्रिया...बहुत पवित्र एहसास....

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  8. बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! बधाई!

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  9. आभार इसे हमारे साथ बांटने का...

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  10. अमृता जी का लिखा तो बहुत पढने को मिल जाता है ...इमरोज भी नज्मे लिखते हैं ...पता नहीं था ...
    यहाँ पढवाने का आभार ....

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  11. rashmi ji imroj ko kavita mein naa keval vyakt kiya valki unka poora parichay karwa diya.... zindgi ke rangon ko shabon mein dhalna bhi ek kala hai... aur use aapse behtar koi nahi jaanta...

    aapke pustak ka vimochan 31 ko ho raha hai lekin afsos hai ki main sarkari kaam se uss din dilli se bahar hoon... warna aapse aur imro ji se milne ka awasar yoon na khota ! pustak vimochan ke liye bahut bahut badhai !

    saadar

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  12. aaj har taraf amrita aur imroz hi dikh rahe hai udhar ranjanaa ji bhi aur idhar aap bhi ... yahan bhi natmastak hun inkee lekhani par ...



    arsh

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  13. Rashmi Mam, pata hai aapko....ek baar bahut pahle hamne ek nazm likhi thi aur imroz ji ko bhej di thi....unka jawab aaya...hamko khushi mili shukriya ada kiya aur baat khatm....abhi new year par unhone hamko bahut pyara sa card bheja...aur hamko kavita kahkar pukaara......the fact is this I was not expecting such kind of behaviour from him but he did ....fir baat hui hamari unse.....kamaal ki shaksiyat hai wo.....arey han...unki nazm ke baare mein kya kahe.....jiska jeevan hi nazm se kam nahi

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  14. और जब अमृता पेड़ से बीज बन गईं............... har koi chahta hai ek imroz apni jindgi mai ....aapka shukriya k aake madhyam se ham unke robroo hue.....superb

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  15. इमरोज की कविताएं जैसे कागज के कैनवस पर शब्दों के रंग से कोई दृश्य बुनती से लगती है..मगर अक्सर इन अनपूछे सवालों के जवाब खोजने की बात आपकी नज्म से ही पता लगती है

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  16. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति, इसे हम सबके बीच पहुंचाने का बहुत-बहुत आभार ।

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  17. अच्छा लगा इमरोज जी को यहाँ पढना, सुन्दर |

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  18. रंग और नज़्म से मेल से बनी खूबसूरत जिन्दगी भी कभी कभी सवालों में उलझ जाती है .... इमरोज़ जी को पढवाने का शुक्रिया ....

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  19. इसे यहाँ हम सबके साथ बांटने का शुक्रिया...बहुत पवित्र एहसास....

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  20. आदर्णीया रश्मि जी,
    इमरोज जी की ईतनी बढ़िया नज़्म पढ़वाने के लिए धन्यवाद्।
    पूनम

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  21. मेरी नज़्म अक्सर
    सवाल भी उठाती हैं .........


    खूबसूरत .......... बस स्तब्ध .........

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  22. शानदार नज़्म के लिये शुक्रिया

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  23. सुंदर प्रस्तुति.
    पुस्तक प्रकाशन के लिए बधाई.
    पूरी उम्मीद है कि पुस्तक मेले में यह मेरे हाथ लगेगी.
    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ.

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  24. सुंदर प्रस्तुति
    इमरोज से मिलना कितना सुखद रहा होगा न
    आप बहुत किस्मत वाली हैं

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  25. वाह बहुत ही सुन्दर! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

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  26. सुंदर ढ़ग से किसी बात को कहना का तरीका बखुबी आता है आपको... इस रचना के लिए बधाई.

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  27. it was great pleasure to knowthatyou are also from army family.i will love to join withyouin your next sanchyan sangrah.thanks for giving good introductions of such good poets .congratulations for anmolsangrah,i will try to get it soon .

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  28. bahut acha kiya jo yahan isko dala...bahut acha laga ek baar phir padkar imroz ji ko

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  29. ये सच है की एक इमरोज की चाहत हर लड़की को होगी, पर हर लड़की अमृता नहीं होगी........... जाने कैसा आकर्षण, है उन में वो एक सक्शिअत नहीं, बल्कि उनका जीवन ही एक नज़्म है.......... अमृता के आज इस संसार में न होने पर भी उन्हें अपनी नज्मो में, और खुद अपने में जिवंत किये हुए है...........

    उनके बारे में कुछ कहना सूरज को दिया दिखने के बराबर है.......... बस उन्हें और जादा जानने की हसरत है.........
    दीदी आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने एक प्यार को एक एहसास को हम सब के साथ बांटा .........

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...