16 नवंबर, 2009

आकाश को मुठ्ठी में भर लो ..


तुम्हें देखा
तो वह लडकी याद आई
जो फूलोंवाली फ्रॉक पहन
बसंत का संदेशा देती थी
आम्र मंजरों में
कोयल की कूक बन
मुखरित होती थी
जेठ की दोपहरी में
आसाढ़ के गीत गुनगुनाती
रिमझिम बारिश में
कलकल नदी की रुनझुन धार - सी
किसानों के घर की सोंधी खुशबू में ढल जाती थी
शरद चांदनी बन धरती पर उतरती थी ............
आँखें तुम्हारी ख़्वाबों का खलिहान आज भी हैं
गेहूं की बालियाँ अब भी मचलती हैं आँखों में
पर वक़्त ने शिकारी बन
तुम्हें भ्रमित किया है !
एक बात कहूँ?
वक़्त की ही एक सौगात मैं भी हूँ
जागरण का गीत हूँ
जागो
और फिर से अपने क़दमों पर भरोसा करो
उनकी क्षमताएं जानो
और आकाश को मुठ्ठी में भर लो .....

60 टिप्‍पणियां:

  1. mummy ji..........

    aapki yeh kavita bahut hi sunder hai... antim pankti ne dil ko chhoo liya...

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  2. kavita padhi ,sch kahun jaane kyon aisa lga mujhe sabodhit kar rhi hain aap
    khud ko har jgah paya maine
    mera vhm bhi ho skta hai ,par vhm itna pyara ho to use sahej lene me kya hrz hai ?
    mutthi to khuli hai meri,hath bhi badha rkha hai aakash kyo itna doooor chla gaya ?
    dekha to aisa hi ek aakash apne bhitar bhi paya ,sb me hota hoga
    aapne shbdo se bandh diya aur ......

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  3. प्रकृति चित्रण की रचना
    बहुत ही सुन्दर लिखी है आपने!

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  4. VAQT KI MAIN SOUGAAT HUN ....
    JAAGRAN KA GEET HUN ....

    AAPKI RACHNA KI PRERNA SACH MEIN HAATH UTHAA KAR AAKAASH KO MUTTHI MEIN BHAR LENE KO PRERIT KARTI HAI ..... MADHUR SHABDON SE SAJI ... DIL KO CHOONE WAALI RACHNA ...

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  5. बहुत खूब, बहुत अच्छी लिखी है दी......
    ...मुठ्ठी मे आकाश तो बार लें दीदी पर अगर वो ही रेत बन मुठ्ठी से फिसलने लगे तो क्या करें....

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  6. अति सुंदर
    जागेगी जरुर जागेगी अरे ये क्या ?ये तो सचमुच जाग गई है हम |
    खेतो ,खलिहानों ,गेहू कि बालियों का जाग्रति में अद्भुत प्रयोग |
    बधाई

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  7. jjhuthi tareef nahi vastav me bahut ssunder hai . isase jyada kya kahu.

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  8. aapki kavita ki jo naayika hai......wo bhramit hoti hai..aur ant mein aashanvit hai....aakash ko mutthi mein bhar lene ke liya.....ye sakaratmakta acchi lagi

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  9. सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
    -पीयूष

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  10. bahut achchha likha hai aapne

    maeto mantr -mugdh sa ho gaya tha kavita padhate samay
    sundar

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  11. क्या कहूँ आपकी इस रचना के बारे में, शब्द ही नहीं मिल रहे । बेहद उम्दा रचना

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  12. बहुत सुन्दर भाव!!! अच्छा लगा!

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  13. वक़्त ने चाहा तो बसंत का सन्देश ले आई,
    कोयल की कुहू कुहू तो बारिश की रिमझिम नज़र आई ...

    सच कहा - सब वक़्त का खेल है ... बहुत कुछ लिया तो कुछ-कुछ दिया भी है ... उस कुछ-कुछ को पहचान कर आगे बढ़ना है और छूनाहै आसमान ... है न् माँ ?....ILu..!

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  14. है संग मेरी ...
    कल्पना की उडान...
    करनी है मुझे ...
    मुट्ठी में जहाँ ...
    कुछ ऐसे भाव उमड़ पड़े आपकी कविता को पढ़ कर |

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  15. phoolon ke frok wali ladki,koyal ki kuk,runjhunahat,mausam ka aabhas aur wo aasman chune ki chah,mann udaan bharne ko chah raha hai.aaj bahut alag sunder se jahan mein le gayi rachana.behad khubsurat.

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  16. सुन्दर भावनाओ से भरी कविता, पढ़कर अच्छा लगा……………………

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  17. वो लड़की मैं ही तो नहीं थी ....
    अब जब आपकी कविताओं में ही उतर आये तो भला भाएगी कैसे नहीं ...!!
    कल आप कह रही थी की हमारी कविता भी ऐसे ही पसंद की जाए ...आपकी कविता ...आपकी सादगी तो आदर्श है ...फिर सबसे ऊपर आप हमारे महफूज़ भाई की मॉम है ...रिश्ता तो आपसे जुड़ ही गया ना...पसंद करने के लिए अब और क्या चाहिए ...!!

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  18. जागरण की काव्यात्मक अभिव्यक्ति जो पुरानी रूढ़ियों से मुक्ति चाहता है।

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  19. आकाश मुट्ठी में भर लो ..बहुत सुन्दर है इस रचना के भाव .बेहतरीन रचना शुक्रिया

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  20. आकाश को मुट्ठी मे करने का सन्देश अच्छा लगा

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  21. didi ,aap bahut achha likhati hai ...aapki kavita jab bhi mai padati hu to, bina kuchh likhe chali jati hu mujhe aisa lagta hai ki aap itana khubashurt likhati or aapki kvita bahut hi arth purn hoti hai mujhe aisa lagta hai ki mere me wo kabaliyat hi nahi hai ki mai usaki samiksha kar saku ...mere pas koi shabd hi nahi milta hai ...bas itana bolungi aaj ki yug me bahut kam hi aisi kavitaye milti hai padane ko...thanx didi jo aapke doura hamlogo ko itani achhi kavitaye milte rahti hai padane ke liye ....

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  22. Ye rachna ek naad bramh hai...koyal kook, nadeekaa kalrav...ise baar, baar padhneka man hoga!

    http://shamasansmaran.blogspot.com

    http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

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    http://baagwaanee-thelightbyalonelypath.blogspot.com

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  23. vakt ne shikari ban
    tumehe bharmit kiya ha!
    Vaqkt ki saugaat main bhi hun.
    jaagran ka geet hun
    jago
    Jagkar aage badhne ko prerit karti aapki kavita unmukt aakash man ko chhukar aagi badhne ke prerna deta hai.
    Bahut badhai

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  24. par vaqt ne tumhe bharmit kiya hai
    vqt ki main saougaat hun,
    jaagran ka geet hun
    jaago
    apne kadmon par bharosha karo ..
    or aakash ko muthi mein bhar lo....

    Jiwan mein aage badhte rahane ke liye prerit karti aapki kavita man ko chhu gayee
    Bahut bhadhai.

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  25. Bhaav sampreshan ke liye jin bimbon ka prayog aapne kiya hai....bas kya kahun...... WAAH !!

    JITNE SUNDAR BHAAV UTNI HI SUNDAR AUR SASHAKT ABHIVYAKTI...

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  26. पर वक्त ने शिकारी बन तुम्हें भ्रमित किया है
    जागो
    -----
    और आकाश को मुठ्ठियों में भर लो।
    वाह!
    ऐसी कविताएँ ही
    हारे हुए मन का संबल बनती हैं

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  27. rashmi ji,

    ye jagran geet kahun ya ahvaan ....bahut sundar abhivyakti...waqt ne shikari ban bhramit kiya....bahut sundar baat kahi hai...aur mutthi men aasman bharna...kamaal ki rachna...badhai

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  28. sabne itna kuchh kah diya aur sach hi hai aapki lekhni bahut kamaal ki hai.aap apne naam ko poori tarah saarthak kar rahi hai

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  29. प्रकृति के अनोखे सामन्जस्य के साथ ही एक अत्यन्त
    आशावादी रचना।
    पूनम

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  30. आकाश मुट्ठी मे करने का यह आह्वान
    अत्यंत प्रेरक और खूबसूरत रचना.

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  31. Aapki kavita ne sachmuch muje me ek naye umang ko jagrut kar diya. Eashmi ji samay-samay par aapni rachanao se isi tarah protsahit karte rahiye.

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  32. आँखें तुम्हारे ख्वाबों का खलिहान आज भी हैं.....बहुत ही सुन्दर पंक्ति...ख़ूबसूरत भाव लिए एक सशक्त कविता

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  33. आकाश को मुठ्ठी में भर लो... प्रेरित करती पंक्तियाँ... बहुत अपनी सी लगीं...

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  34. der se aaya hun... magar itani khubsurat rachaanaa se mukabalaa ho jayegi ye sochaa na tha... sach kahun mam to aaj mere pas shabd kam pad rahe hai ke main iske taaruf me kuchh kahun... sach me aapke upar lekhani ki asim kripaa hai... banayen rakhen nirantar... salaam aapko aur aapki lekhani ko..


    arsh

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  35. आंखें तुम्हारी ख्वाबों का खलिहान आज भी हैं
    गेहूं की बालियां अब भी मचलती हैं आंखों में
    पर वक्त ने शिकारी बन
    तुम्हें भ्रमित किया है………

    रश्मि जी ,
    आपने तो इन पंक्तियों में एक लड़की की पूरी मनोदशा और मजबूरियों को समेट लिया है---पर आगे उसे एक खूबसूरत सन्देश भी दिया है--आकश को मुट्ठी में करने का----बहुत बढ़िया लगी यह कविता।
    हेमन्त कुमार

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  36. (रश्मि जी भूल से ये कमेन्ट कुश के पास चला गया जो आज मुझे अपने मेल बाक्स में मिला...इस अदला बदली के लिए तहे दिल से शर्मिंदा हूँ...इस उम्र में कम्पूटर पर काम करने में ऐसी गलतियाँ होना स्वाभाविक हैं...आशा है आप मुझे क्षमा करेंगी...)
    *****
    आँखें तुम्हारी ख्वाबों का खलियान आज भी है
    गेहूं की बालियाँ अब भी मचलती हैं आँखों में
    पर वक्त ने शिकारी बन
    तुम्हें भ्रमित किया है...
    .................................
    और आकाश मुठ्ठी में कर लो.

    वाह रश्मि जी वाह...शब्द और भाव का ये अद्भुत संगम और कहीं मिलना दुर्लभ है...रचना का अंत सकारात्मक कर आपने इसे शीर्ष पर ओअहुंचा दिया है...आपकी लेखनी को नमन...

    नीरज

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  37. haan mujhe is kavita ne kaphi prerit kiya ..thanks for posting...

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  38. prakrutee se jodatee prakrutee ko odatee ek sunder sa sandesh detee bahut hee sunder rachana . badhai .

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  39. बहुत ही खूब रचना है।
    और एक कल्पना एसी भी नज़र आई जिसमें कई नई उम्मीदें, यादें, अपनापन, बैझिझक-बेपरवाह उसमें जुड़ता जाए।
    और एक नई झलक को देख पाए।

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  40. रश्मिप्रभा जी,

    आँखें तुम्हारी ख्वाबों का खलिहान है......

    इन पंक्तियों को मैंने अपनी पसंद/पढ़ी हुई चुनिंदा में शुमार कर लिया है।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

    इस २५/२६ को मैं पुणे आ रहा हूँ, और कोशिश करूंगा कि आपसे मुलकात कर सकूं।

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  41. बहुत ही अच्‍छी कविता लिखी है
    आपने काबिलेतारीफ बेहतरीन


    SANJAY KUMAR
    HARYANA
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  42. Nahin Rashmi maam main Dipak Chaurasiya 'Mashal' hoon.. :)
    bahut bahut bahuuut hi sundar kavita hai.. wah.. chitra bhi sundar dhoondhh ke laayeen aap...
    Jai Hind...

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  43. बहुत सुंदर विचार। खुद में भरोसा हो, आकाश को मुटठी में भर लेने में समय नहीं लगता।

    ------------------
    सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
    परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।

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  44. आपकी रचना सच को बयान करती है
    जीवन से जुडी हुई होती है

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  45. बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई आपकी ये शानदार रचना!

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  46. aakaash mutthi mei kr lo...

    kalpanaa ke sath ythaarth ki bhanak bhi saaf jhalak rahi hai...
    kaavya-paksh bahut hi mazboot hai
    bhaavnaaeiN mukhar hoti prateet hoti haiN.
    bahut achhee rachnaa .

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  47. शुभ अभिवादन! दिनों बाद अंतरजाल पर! न जाने क्या लिख डाला आप ने! सुभान अल्लाह! खूब लेखन है आपका अंदाज़ भी निराल.खूब लिखिए. खूब पढ़िए!

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  48. Mokhsy padha hamne.....sabke apne vichaar aur apni soch....aapka nazariya bhi achcha hai.par hamto is dharti par baar-baar aana chahte hai...kitni azaadi hai, thodi se manmaani bhi...kuch asli kuch nakli rishtey....fir bhi saath chalte...jo maza vasundhra mein hai wo swarg mein kaha

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  49. बहुत अच्छी रचना है आपकी ! सराहनीय !

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दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...