04 मार्च, 2010

मेरी फितरत


विपरीत लहरों पर तैरना
मेरी फितरत रही
हादसों में ख़ुशी तलाशना
मेरी फितरत रही
आंसुओं के मध्य
आबेहयात मिलना
मेरी फितरत रही
तभी-
ज़िन्दगी मेरे साथ है

36 टिप्‍पणियां:

  1. viparit lahron par tairanaa meri fitarat rahi----bahut sundar rachna.

    जवाब देंहटाएं
  2. तभी जिंदगी मेरे साथ रही ....
    नहीं समझ पाती क्या है जो आपको मुझसे इस तरह जोड़ता है ...
    कितने कम शब्दों में अपनी बात इतनी कुशलता से कैसे कह लेते हैं आप ...!!

    जवाब देंहटाएं
  3. kai baato me humari fitrat hume ye ehsaas dilati hai ki ye meri fitrat me nahi hai.
    lekin fitrat se jeena bhi zindgi me ek umang laati hai.
    wo umang hume ye batati hai ki wo uski fitrat nahi.... fitrat to sawabhavikta se aati hai....


    or aapki sawabhavikta me wo fitrat nahi.

    bahut achchi panktiyo se aapne is rachna ko racha hai... :-)

    जवाब देंहटाएं
  4. जो विपरीत स्थिति में सहज रह सके वही असली जिंदगी जीता है...बहुत अच्छे शब्द दिए हैं आपने एहसासों को..

    जवाब देंहटाएं
  5. जिन्दगी को साथ रखना है तो आदत डालनी होगी विपरीत पथ गमन का भी

    जवाब देंहटाएं
  6. "हादसों .... फ़ितरत रही"
    ...बहुत खूब...बहुत सुन्दर,बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. जो लहरों के विपरीत बहते हैं .. वो ही अपना रास्ता खुद बनाते हैं .... बहुत अच्छा लिखा है ....

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रवाह के विरुद्ध तैरने वाले ही विजयी होते हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  9. bahut sahi baat kaha aapne,maa'm!
    jevan me aage badhne ke liye utprerit karti hui rachna!
    aadar sahit-
    ROHIT

    जवाब देंहटाएं
  10. हाँ
    जिंदगी वही जो लहरों के विपरीत चले
    लहरों के साथ तो मुर्दे बहा करते हैं!

    आपकी कविता तो अच्छी है ही मगर चित्र ने मुझे अधिक प्रभावित किया. कविता के अर्थ से मेल खाता है मगर लगता है इसे और भी समझना शेष है.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत ही प्रभावी !! उर्दू और हिंदी शब्दों के युग्म ने कविता को नज़्म की खूबसूरती दे दी है.

    शहरोज़

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रतिकूल परिस्थिति से जो उबर गया ,जिंदगी उसी का साथ देती है

    जवाब देंहटाएं
  13. सच कहा मम्मी जी .... तभी ज़िन्दगी साथ है...

    आपको होली वाले दिन बहुत फोन किया था... लेकिन फोन नहीं उठा मम्मा....

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर और ओजस्वी कविता है !मुझे महादेवी की वे पंक्तियाँ याद आई -लीक पर वे चले....... जिनके चरण दुर्बल और हारे है !
    बहुत बहुत बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  15. रश्मि जी
    आपके नाम की तरह आपकी रचनाएं भी ऊर्जावान हैं सरल और कोमल हृदय को छूने वाली आपकी नई पाठक हूँ 1
    शुभकामनाओं सहित
    सुमन कपूर ‘मीत’

    जवाब देंहटाएं
  16. रश्मि जी
    आपके नाम की तरह आपकी रचनाएं भी ऊर्जावान हैं सरल और कोमल हृदय को छूने वाली आपकी नई पाठक हूँ 1
    शुभकामनाओं सहित
    सुमन कपूर ‘मीत’

    जवाब देंहटाएं
  17. rashmi ji,
    ret ki lahron par aashiyana aur jiwan, sach mein sabhi jiwo aur praaniyon ki fitrat hai. kavita aur chitra dono behad saargarbhit, badhai sweekaren.

    जवाब देंहटाएं
  18. opposite direction mein tairne ka hausla sab mein nahi hota....kuch koshih hi nahi karte, kuch beech mein hi gum ho jaate hai ....kam hi hai jo paar kar paate hai ....Full of Energy :-)

    जवाब देंहटाएं
  19. सच कहा आपने, विपरीत परिस्थितयो से जूझना आत्मबल को मजबूती प्रदान कर जाता है |

    जवाब देंहटाएं
  20. मां इस बार कविता के साथ साथ तस्वीर भी लाजवाव हॆ मां आज मुझे आप्की जरूरत हॆ..

    जवाब देंहटाएं
  21. अब क्या कहे आपको, आपने मेरे मन की बात कही है.
    मैं फिर से दोहरा दूँ...

    विपरीत लहरों पर तैरना
    मेरी फितरत रही
    हादसों में ख़ुशी तलाशना
    मेरी फितरत रही
    आंसुओं के मध्य
    आबेहयात मिलना
    मेरी फितरत रही
    तभी-
    ज़िन्दगी मेरे साथ है

    बहुत शुक्रिया आपका.

    जवाब देंहटाएं
  22. विपरीत लहरों पर तैरना
    मेरी फितरत रही
    हादसों में ख़ुशी तलाशना
    मेरी फितरत रही
    आंसुओं के मध्य
    आबेहयात मिलना
    मेरी फितरत रही
    तभी-
    ज़िन्दगी मेरे साथ है
    iske upar kya kahoon ?shabdo se nikaloon tab kahoon,behtrin ,laazwaab

    जवाब देंहटाएं
  23. वाह अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ! बिल्कुल सही कहा है आपने! बेहद पसंद आया आपकी ये भावपूर्ण रचना!

    जवाब देंहटाएं
  24. किसी गीत में ज़िक्र भी है ऐसे ही हालातों से सामना करने का
    अनायास ही याद आ गया ,बचपन से पसंद है मुझे और मेरे अपने जीवन का फलसफा भी है
    ''पार उतरेगा वो ही खेलेगा जो तूफ़ान से
    मुश्किलें डरती रही है नौजवां इन्सान से
    मिल ही जाते हैं किनारे
    ज़िन्दगी साहिल भी है .
    ऐसा ही सब पाया आपकी इस छोटी सी कविता में मैंने

    जवाब देंहटाएं
  25. आपकी कविताएं मन को छूने वाली और आत्मा को प्रकाशित करने की ऊर्जावान रचनाएं हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत सुन्दर.....दिल को छू गई ये चाँद पंक्तियाँ ....:):)

    इतनी गूढ़ बात इतनी आसानी से कह देती हैं आप.....:)

    जवाब देंहटाएं
  27. "aasan shabdon me bhawanaon ki puri abhivakti" bahut acha likha hai di

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...