शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
05 जनवरी, 2012
मेरे ख्वाब
सघन मेघों की तरह कुछ मेरे ख्वाब हैं
जो बरसना चाहते हैं
पनपना चाहते हैं
किसी मीठे फल की तरह !
कुछ ख्वाब हैं इन्द्रधनुषी
जिनसे एक यादगार होली खेलना चाहती हूँ !
एक ख्याल है हिन्दुस्तां की राजकुमारी जैसे
जो जिल्लेइलाही के खून की सज़ा
माफ़ कर देना चाहती है
क्योंकि सलीम में ही वो आग नहीं थी
उसके कान ही हल्के थे
चाहता गर सलीम
तो होश में आते उन दीवारों को गिरा देता
जिसमें अनारकली चुनी गई थी !
एक वजूद है अलादीन के चिराग सा
जादुई छड़ी है
धरती को आसमां
आसमां को धरती बनाने का
बियाबान रास्तों में बिखेरने के लिए
कुछ खिलखिलाते बीज हैं
जिसकी खनक हर दरख्तों पे होगी
गानेवाली एक चिड़िया है
जो कभी खामोश नहीं होगी
प्रकृति के सन्देश देती रहेगी
सूर्योदय की चहक बन
चनाब से सोहणी को पुकारेगी
महिवाल की जीत बन
प्रेम को अमर कर जाएगी ...
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जवाब देंहटाएंप्रेम को अमर कर जायेगी,सुंदर पन्तियाँ,एक अच्छी रचना,,,
जवाब देंहटाएंWELCOME to new post--जिन्दगीं--
वाह रश्मि जी बहुत खूबसूरत रचना..
जवाब देंहटाएंबेमिसाल ख़्वाबों से सजी..
सादर.
bahut hi khoobsurat .........!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंमाफ़ कर देना चाहती है
जवाब देंहटाएंक्योंकि सलीम में ही वो आग नहीं थी
उसके कान ही हल्के थे
चाहता गर सलीम
तो होश में आते उन दीवारों को गिरा देता
जिसमें अनारकली चुनी गई थी बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
चारो तरफ घूमती हुयी आपकी लेखनी प्रभाव छोड़ जाती है बेहतरीन बिम्बों के साथ बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंनये वर्ष की शुभकामनायें।
bahut sundar rachna ..prem me kitna apnapan kitna junoon tha .. isko bhi darshati rachna ...Prithak see..sundar
जवाब देंहटाएंऊपर से गुजरती हुई खूबसूरत रचना !
जवाब देंहटाएंसलीम में ही वह आग नहीं थी , उसके कान हल्के थे ...
जवाब देंहटाएंएक पंक्ति में कितनी बड़ी बात छिपी है !
ख़ामोशी में ख्वाब उभरते हैं पर ख्वाब खामोश नहीं होते ...
जवाब देंहटाएंइन ख्यालों से ही तो कुछ बातें आज भी क़ायम हैं ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंक्योंकि सलीम में ही वो आग नहीं थी
जवाब देंहटाएंउसके कान ही हल्के थे
चाहता गर सलीम
तो होश में आते उन दीवारों को गिरा देता
जिसमें अनारकली चुनी गई थी !
सुंदरता से कही गई सार्थक बात...
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ...
आप इसी तरह ख्वाबों को देखती रहें कुदरत उन्हें सच करती रहेगी...आमीन!
जवाब देंहटाएंbahut achhi rachna ....
जवाब देंहटाएंWAAH...
जवाब देंहटाएंसूर्योदय की चहक बन
जवाब देंहटाएंचनाब से सोहणी को पुकारेगी
महिवाल की जीत बन
प्रेम को अमर कर जाएगी ..
सुन्दर रचना
खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंसकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और खूबसूरत कविता
जवाब देंहटाएंगानेवाली एक चिड़िया है
जवाब देंहटाएंजो कभी खामोश नहीं होगी
प्रकृति के सन्देश देती रहेगी
सूर्योदय की चहक बन
चनाब से सोहणी को पुकारेगी
महिवाल की जीत बन
प्रेम को अमर कर जाएगी ...
..prakriti aur pyar kabhi nahi mitta..
bahut badiya prernadayee rachna...
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति, आभार|
जवाब देंहटाएंएक ख्याल है हिन्दुस्तां की राजकुमारी जैसे
जवाब देंहटाएंजो जिल्लेइलाही के खून की सज़ा
माफ़ कर देना चाहती है
bahut khoob.
bahut khub.achcha likha hai
जवाब देंहटाएंजग से सोखे,
जवाब देंहटाएंबादल बनकर,
जग में फिर,
बरसा आयेंगे।
रश्मि जी ....बेमिसाल कितने खूबसूरत हैं भाव
जवाब देंहटाएंएक वजूद है अलादीन के चिराग सा
जवाब देंहटाएंजादुई छड़ी है
धरती को आसमां
आसमां को धरती बनाने का
महसूस किया हमने इसे अभी-अभी... आभार
बहुत ख़ूब!!
जवाब देंहटाएंख्वाब कुछ ऐसे ही होने चाहिए...जैसा हम चाहें वैसा ही देखें...
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रकृति और सच्चा प्यार कभी नहीं मिटता...बहुत ही प्रभावशाली रचना ...
जवाब देंहटाएं