दिगंबर नासवा जी - जागती आँखों से सपने देखना जिनकी फितरत है - माँ के लिए उभरे एहसासों से मैंने अपने भीतर के एहसासों का सिरा जोड़ा है - माँ हो या अम्मा या मईया या … जैसे चाहो पुकार लो, वह ईश्वर रचित असीम शक्ति होती है .
उस शक्ति के नाम दिगंबर नासवा जी =
माँ का हिस्सा ...
मैं खाता था रोटी, माँ बनाती थी रोटी
वो बनाती रही, मैं खाता रहा
न मैं रुका, न वो
उम्र भर रोटी बनाने के बावजूद उसके हाथों में दर्द नहीं हुआ
सुबह से शाम तक इंसान बनाने की कोशिश में
करती रही वो अनगिनत बातें, अनवरत प्रयास
बिना कहे, बिना सोचे, बिना किसी दर्द के
कांच का पत्थर तराशते हाथों से खून आने लगता है
पर माँ ने कभी रूबरू नहीं होने दिया
अपने ज़ख्मों से, छिले हुए हाथों से
हालांकि आसान नहीं था ये सब पर माँ ने बाखूबी इसे अंजाम दिया
अब जब वो नहीं है मेरे साथ
पता नहीं खुद को इन्सान कहने के काबिल हूं या नहीं
हां ... इतना जानता हूं
वो तमाम बातें जो बिन बोले ही माँ ने बताई
शुमार हो गई हैं मेरी आदतों में
सच कहूं तो एक पल मुझे अपने पे भरोसा नहीं
पर विश्वास है माँ की कोशिश पे
क्योंकि वो जानती थी मिट्टी को मूरत में ढालने का फन
और फिर ...
मैं भी तो उसकी ही मिट्टी से बना हूं
और मेरे एहसास यानि रश्मि प्रभा के =
ये सच है न अम्मा ?
कितने अजीब होते हैं रास्ते …
तुम्हारी बातों की ऊँगली थामे
पहले मैं तुम्हारे नईहर के घर घुमती थी
फिर हर जगह से होकर
हम जगदेवपथ के छोटे से घर में जीने लगे
तुम्हारा घर मेरे साथ
बन गया था सबका मायका
फिर हुआ पुणे का सफ़र …
……………
अब एक खाली कमरा
और ICU का 2 नम्बर बेड
मेरी जेहन में बस गए हैं …
रांची से चलते समय
मन का एक कोना खाली कमरे की खिड़की पर
छोटे बालकनी में
तुम्हें देख लेने की लालसा में
निहारता बढ़ गया यह कहते हुए
'चल अम्मा साथे'
……।
यह भी अजीब ही बात है
कि तुम्हारी असह्य तकलीफ के आगे
तुम्हारी मुक्ति के लिए
मैंने प्रभु का आह्वान किया
- - - किसी जादू की तरह
तुम शारीरिक पिजड़े से मुक्त हो गई
पर पिंजड़े की सलाखों पर जो निशाँ थे
वे मुझे तकलीफ देते हैं ……
मैं आँखें बंदकर तुम्हारा आह्वान करती हूँ
हाँ अपनी सुन्दर सी अम्मा का
हाँ हाँ वही सीधी माँगवाली लड़की
जो कभी तरु थी
कभी सरू
कभी कुनू
और कहती हूँ -
तुम्हारे अपने कई कमरे हैं
जहाँ से तुम कभी नहीं जा सकोगी
………
ये सच है न अम्मा ?
कितने अजीब होते हैं रास्ते …
तुम्हारी बातों की ऊँगली थामे
पहले मैं तुम्हारे नईहर के घर घुमती थी
फिर हर जगह से होकर
हम जगदेवपथ के छोटे से घर में जीने लगे
तुम्हारा घर मेरे साथ
बन गया था सबका मायका
फिर हुआ पुणे का सफ़र …
……………
अब एक खाली कमरा
और ICU का 2 नम्बर बेड
मेरी जेहन में बस गए हैं …
रांची से चलते समय
मन का एक कोना खाली कमरे की खिड़की पर
छोटे बालकनी में
तुम्हें देख लेने की लालसा में
निहारता बढ़ गया यह कहते हुए
'चल अम्मा साथे'
……।
यह भी अजीब ही बात है
कि तुम्हारी असह्य तकलीफ के आगे
तुम्हारी मुक्ति के लिए
मैंने प्रभु का आह्वान किया
- - - किसी जादू की तरह
तुम शारीरिक पिजड़े से मुक्त हो गई
पर पिंजड़े की सलाखों पर जो निशाँ थे
वे मुझे तकलीफ देते हैं ……
मैं आँखें बंदकर तुम्हारा आह्वान करती हूँ
हाँ अपनी सुन्दर सी अम्मा का
हाँ हाँ वही सीधी माँगवाली लड़की
जो कभी तरु थी
कभी सरू
कभी कुनू
और कहती हूँ -
तुम्हारे अपने कई कमरे हैं
जहाँ से तुम कभी नहीं जा सकोगी
………
ये सच है न अम्मा ?
मैं आँखें बंदकर तुम्हारा आह्वान करती हूँ
जवाब देंहटाएंहाँ अपनी सुन्दर सी अम्मा का
हाँ हाँ वही सीधी माँगवाली लड़की
जो कभी तरु थी
कभी सरू
कभी कुनू
और कहती हूँ -
तुम्हारे अपने कई कमरे हैं
जहाँ से तुम कभी नहीं जा सकोगी
………
ये सच है न अम्मा ?
सच्ची माँ कभी कही नही जाती जिन्दा रहती हैं भीतर हमारे .... माँ एक लफ्ज़ नही होता पूरी जिन्दगी की पूँजी होती हैं ........... इश्वर अम्मा की आत्मा को शांति दे
मैं आँखें बंदकर तुम्हारा आह्वान करती हूँ
जवाब देंहटाएंहाँ अपनी सुन्दर सी अम्मा का
हाँ हाँ वही सीधी माँगवाली लड़की
जो कभी तरु थी
कभी सरू
कभी कुनू
और कहती हूँ -
तुम्हारे अपने कई कमरे हैं
जहाँ से तुम कभी नहीं जा सकोगी
………
ये सच है न अम्मा ?
अम्मा कही नही गयी भीतर है हमारे ... और अमर हो गयी अपने लफ्जों से ....
आँखों से अश्रूधार बह रही है बस...
जवाब देंहटाएंरुंधे हुए गले से कुछ कहा न जाएगा!
सादर!
सादर नमन !
जवाब देंहटाएंआप बीती कह रही हूँ दी .....वो अब ज्यादा करीब हैं आपके ...आपसे दूर कहाँ हैं ....दिखेंगी नहीं पर आप उन्हें सदा महसूस कर सकेंगी ....अपने समीप ही .....
जवाब देंहटाएंमन भर आया ....
अम्मा और आपका साथ सिर्फ माँ और बेटी का नहीं अपितु शब्दों का...अहसासों का साथ है ...वो आपके शब्दों और सोच में हमेशा जीवित रहेंगी ..
जवाब देंहटाएंनमन उस माँ को ...जिस के लिए आज आपकी आँखे नम है
ईश्वर आपकी माता जी की आत्मा को शांती प्रदान करे ! सादर नमन ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.
माँ तो मन में बसी होती है..
जवाब देंहटाएंमाँ सोने में , मां जगने में !!
जवाब देंहटाएंवो तमाम बातें जो बिन बोले ही माँ ने बताई
जवाब देंहटाएंशुमार हो गई हैं मेरी आदतों में
व्यक्ति खुद अपनी माँ बन जाता है...उनकी सिखाई आदतें इतने गहरे पैठ जातीं हैं...
नमन माँ को.
जवाब देंहटाएंबस रो देना चाहती हूँ......
जवाब देंहटाएंयादों से बड़ी दुश्मनी है मेरी....
:-(
सादर
अनु
ॐ शान्ति, जग है मैया।
जवाब देंहटाएंमैं हूँ अकेला तू है खिवैया।
जवाब देंहटाएंमाँ हो या अम्मा या मईया या … जैसे चाहो पुकार लो, वह ईश्वर रचित असीम शक्ति होती है
रश्मि प्रभा
आपके अहसासों को नमन करता हूँ , सुन्दर भाव सृजन आपकी कविता में , बहुत सुन्दर लिखा है
जवाब देंहटाएंehsas sirf padha nahi mehsoos bhi kiya isliye ashru ko rok na payi...kuch bhi kehna mushkil hai
जवाब देंहटाएंमन के बद्ध भाव बह जाना चाहें, सारा स्नेह कहाँ सम्हाले, स्मृतियाँ जगाती रहेंगी।
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ .. बस इतना ही कि तुम दुनिया से चली गयी माँ पर इस दिल में हमेशा रहती हो !!
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक रचना ..
@माँ हो या अम्मा या मईया या … जैसे चाहो पुकार लो, वह ईश्वर रचित असीम शक्ति होती है .
जवाब देंहटाएंयही सत्य है इससे बढ़िया और क्या परीभाषा हो सकती है !
hriday ko chhu leni vaali rachnaaye
जवाब देंहटाएं'माँ हो या अम्मा या मईया या … जैसे चाहो पुकार लो, वह ईश्वर रचित असीम शक्ति होती है' . ...माँ असीम है इसीलिए सीमाओं से मुक्त होकर सर्वत्र विराजमान हैं उन्हें आप अपने मनचाहा रूप में कही भी देख सकती है -बहुत सुन्दर विचार
जवाब देंहटाएंनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
मॉं बस मॉं होती है. सच.
जवाब देंहटाएंसादर नमन !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : भारतीय संस्कृति और कमल
नई पोस्ट : पुरानी डायरी के फटे पन्ने
लगातार दो दिन से आ रहा हूं पर कुछ भी लिखने में असमर्थ पाता हूं खुद को ... शरीरी विछोह ही सही पर बहुत कष्टपूर्ण है इसे सहना ... भगवान सहने की हिमात दे ...
जवाब देंहटाएंमां तो बस मां होती है... बहुत ही खूबसूरत भाव... :)
जवाब देंहटाएंपास में ही रहती है
जवाब देंहटाएंमाँ कहीं नहीं जाती है
जीवित रहती है हमेशा
शरीर छोड़ भी
अगर जाती है
मुश्किल में भी
जब कुछ नहीं दिखता
कहीं भी आसपास
माँ ही होती है
जो रास्ता दिखाती है !
इस पोस्ट पर आने में थोड़ी देर हो गई
जवाब देंहटाएंक्यूँ हुई क्या समझाऊँ ?
हर पल का साथ है हमारा
!!
तुम्हारे अपने कई कमरे हैं
जवाब देंहटाएंजहाँ से तुम कभी नहीं जा सकोगी
....... हर पल तुम्हारी यादों के साये में
......