सन्देश तो बहुत मिले होंगे
कुछ पोस्टकार्ड
कुछ अंतर्देशीय
कुछ लिफाफे
कुछ मेल
…………. पर
आँखों की खामोश पुतलियों पर लिखे सन्देश
मिले तुमको ?
किसी और ने गर पढ़ा भी
तो क्या हुआ
सन्देश के हर्फ़ तुम्हारे लिए थे
तुम जानते हो - है न ?
होठ सी लेने से
अनभिज्ञता दिखाने से
तुम मानते हो
कि उसे मान लिया गया ?
नहीं ….
तुम्हारे चेहरे पर जाने कितने सन्देश हैं
जिसे तुम्हारे अपने पढ़ते हैं
अपने - जिनसे तुम्हारा रक्त सम्बन्ध है !
वे पढ़ते ही नहीं
चुनते जाते हैं उन संदेशों को
संभालकर रखने के लिए
पर एक बार तुम्हें कहना होगा
अपने होठों की सीलन खोलकर
नाहक इधर-उधर भटकते क़दमों को रोककर !!!
…।
यह समय का मौका है
ईश्वर का करिश्मा है
कि तुम्हारी बेचैनी एकत्रित हो गई है
चुप्पी में जिस व्यक्तित्व को तुमने अनदेखा किया
उसे बताने का वक़्त आ गया है
एक विश्वास रखो -
क्षणांश को क्रोधित होकर भी
प्यार की ताकत सबकुछ समेट लेती है
परिस्थितिजन्य गलतियों पर
स्नेहिल स्पर्श से क्षमा की अनुभूति देती है
वे अपने - जो दूर नज़र आने लगे थे
यक़ीनन उनका विश्वास -
तुम्हें हँसने का
बिलखकर रोने का
कुछ भी कहने-सुनने का
इत्मीनान भरा साहस देगी
एक दूसरे की आँखों में उभरे संदेशों को
बताने का मौका देगी …
बस-
समय और ईश्वर के आगे खुद को मुक्त कर दो
!!
जवाब देंहटाएंबस-
जवाब देंहटाएंसमय और ईश्वर के आगे खुद को मुक्त कर दो ........इसी में सुकून है...शांति है|
बस-
जवाब देंहटाएंसमय और ईश्वर के आगे खुद को मुक्त कर दो ...
सारगर्भित रचना दी ....!!
बस-
जवाब देंहटाएंसमय और ईश्वर के आगे खुद को मुक्त कर दो ...
सारगर्भित रचना दी ....!!
यूँ ही तो जीवन आगे बढ़ता है......
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल भाव..
सादर
अनु
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (07-10-2013) नवरात्र गुज़ारिश : चर्चामंच 1391 में "मयंक का कोना" पर भी है!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (07-10-2013) नवरात्र गुज़ारिश : चर्चामंच 1391 में "मयंक का कोना" पर भी है!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
समय और ईश्वर के आगे
जवाब देंहटाएंमुक्त करना अपने आपको
अगर इतना ही आसान होता
ये संसार ही पूरा ईश्वर का
ईश्वरमय क्या तब नहीं होता !
पढने वाले पढ़ ही लेते हैं बिन पढ़े भी !
जवाब देंहटाएंसन्देश प्रभावी है !
बहुत कुछ कह गई आपकी कविता... :)
जवाब देंहटाएंकोशिश कामयाब हो नहीं पाता
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें
होठ सी लेने से
जवाब देंहटाएंअनभिज्ञता दिखाने से
तुम मानते हो
कि उसे मान लिया गया ?
नहीं …. बहुत सच ....
गहरी भावानुभूति ...
उत्तम
जवाब देंहटाएंभ्रम का मायाजाल है ये दुनियाँ इसे जीने के लिए काला आणी चाहिए
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. सारगर्भित रचना ...आभार रश्मि जी
जवाब देंहटाएंइश्वर के आगे खुदको मुक्त कर देना ही भक्ति है।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित ,अनुभूति आधारित सुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंlatest post: कुछ एह्सासें !
नई पोस्ट साधू या शैतान
bhaut acchi rachna...
जवाब देंहटाएंसमय और ईश्वर के आगे खुद को मुक्त कर दो ...बहुत सुंदर व सार्थक रचना है दी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सारगर्भित प्रस्तुति.!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
बहुत सुंदर सारगर्भित प्रस्तुति.!
जवाब देंहटाएंनवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
RECENT POST : पाँच दोहे,
सही कहा तिनके की तरह लहरों के साथ बहने के लिए |
जवाब देंहटाएंक्षणांश को क्रोधित होकर भी
जवाब देंहटाएंप्यार की ताकत सबकुछ समेट लेती है
परिस्थितिजन्य गलतियों पर
स्नेहिल स्पर्श से क्षमा की अनुभूति देती है
अक्षरश: कितना कुछ समेटे हुये हैं यह पंक्तियां
......
अंतिम मुक्ति तो शायद इसी को कहते हैं ... उस को सौंप के खुद मुक्त हो जाना ...
जवाब देंहटाएंआगत विगत का भार वर्तमान डुबो देता है, सब ईश्वर के सहारे छोड़ देने में सार्थकता है। बस कर्मनिरत रहना ही एक मार्ग है।
जवाब देंहटाएंमुक्त होना ही तो नहीं जानता इंसान .... इसीलिए मोह जाल में फंसा रहता है । सार्थक संदेश देती गहन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंईश्वर को समर्पित रचना
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