पहलू ….
किसी का भी एक नहीं होता
कृष्ण के भी कई पहलू हैं
अलग अलग पहलुओं का जिम्मेदार
न भगवान् होता है न इंसान !
कृष्ण के पहलू यशोदा की दृष्टि से जो होंगे
वो नन्द बाबा की दृष्टि से अलग ही होंगे
गोपिकाओं की अपनी बात
राधा का अपना प्रेम
ऊधो का अपना ज्ञान
ताड़का,कंस,शकुनी की अपनी सोच !
दुर्योधन ने तो बाँध लेने की धृष्टता दिखाई
कृष्ण के पहलू को कमज़ोर समझा !!
जिस कृष्ण के आगे पूरी सभा स्तब्ध थी
वहां दुर्योधन ने उन्हें 'ग्वाला' कहकर सोचा
कि वह श्रेष्ठ है !!!
कृष्ण तो गीता हैं
और मेरी अम्मा तुम उस गीता का एक महत्वपूर्ण पन्ना हो
जिसने पढ़ा ही नहीं
वह व्याख्या क्या करेगा
और कितनी करेगा !!!
हम तो गोपिकाओं की तरह तुम्हारी शिकायत भी करते रहे
और रहे प्रतीक्षित
कि कब तुम हमारी मटकी का उद्धार करो
ऊधो का ज्ञान हमारे लिए निरर्थक था
हम तो गोपिकाओं की झिड़कियों पर निहाल थे
…………।
अब जब तुम गोकुल छोड़ गई हो
तो जाना - तुम्हारे बिना कैसे रहेंगे !!!!!!!!!!!!!!!
अम्मा कहाँ छोड़ पाती है
जवाब देंहटाएंमहसूस तो होता रहता है
कई कई बार जब जरूरत होती है
वो दूर नहीं कहीं अपने ही
आस पास होती है
अम्मा सिर्फ एक पन्ना
नहीं वो तो पूरी एक गीता होती है !
:'(
जवाब देंहटाएं!!
मैं ३४ साल से वही हूँ
जवाब देंहटाएंआज ज्यादा कमी खलती है
जवाब देंहटाएंअब तो मेरे जाने का दिन आता जा रहा है
अम्मा को सादर नमन !
जवाब देंहटाएंइन पंक्तियों को पढ़कर अतिवेल नीरवता सी छा गयी है. बिलकुल निशब्द हूँ.
जवाब देंहटाएंकृष्ण गोपियों के माध्यम से ... गोकुल नन्दन का विछोह और उसको सहना ... अम्मा की यादों से जुड़े रहने का प्रयास ... नमन है मेरा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावों द्वारा नमन किया है।
जवाब देंहटाएंगीता जीवन कि व्याख्या है...और माँ के बिना जीवन का उदभव ही सम्भव नहीं...
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी कविता
जवाब देंहटाएंनमन उन्हें
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति..माँ को नमन..
जवाब देंहटाएंमाकी कमी तो पूरी नहीं होती..
जवाब देंहटाएंपर उनका प्रेम और आशीर्वाद सदैव अपने बच्चों के साथ है..
माँ को नमन...
rashmi ji aap ke sunder bhav aur shabd man ko chhu gaye
जवाब देंहटाएंsunder prastuti
rachana
marmik kavita.
जवाब देंहटाएंमाँ सारी पुस्तकों का सार है।
जवाब देंहटाएंहर माँ यशोदा का रूप होती है और यशोदा कभी अपना गोकुल छोड़कर नहीं जाती...वह कल भी आस पास थी वह आज भी करीब है।
जवाब देंहटाएं@और मेरी अम्मा तुम उस गीता का एक महत्वपूर्ण पन्ना हो
जवाब देंहटाएंजिसने पढ़ा ही नहीं
वह व्याख्या क्या करेगा
और कितनी करेगा !!!
माँ गीता का महत्वपूर्ण पन्ना ही नहीं
माँ संपूर्ण गीता है जिसे हर कोई अपने
बुद्धि के अनुसार व्याख्या करता है
पर वह किसी की व्याख्या में कहाँ समाती है !
सार्थक रचना !
शब्द रहित गीता आलोकित है..
जवाब देंहटाएंगीता की ही तरह माँ भी जीवन का सार है !
जवाब देंहटाएंअद्भुत उपमा !
निशब्द करती पोस्ट । अम्मा सदा आपके साथ रहेंगी |
जवाब देंहटाएंआपके सोच और शब्दों में अम्मा हमेशा साथ है
जवाब देंहटाएंसदर नमन .....कितने सुखद ............माँ का होना ........माँ के साथ होना ..........माँ के पास होना ......माँ का आस -पास .होना ....... .........सबसे दुखद .........माँ को खोना
जवाब देंहटाएंमेरी अम्मा तुम उस गीता का एक महत्वपूर्ण पन्ना हो
जवाब देंहटाएंजिसने पढ़ा ही नहीं
वह व्याख्या क्या करेगा
और कितनी करेगा !!!
माँ तो बस नि:शब्द कर जाती है ......