26 अक्टूबर, 2017

यदि तुम चाहो !!!




बैठो
कुछ खामोशियाँ मैं तुम्हें देना चाहती हूँ
वो खामोशियाँ
जो मेरे भीतर के शोर में
जीवन का आह्वान करती रहीं
ताकि
तुम मेरे शोर को पहचान सको
अपने भीतर के शोर को
अनसुना कर सको !

जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा
कभी बेहद लम्बी होती है
कभी बहुत छोटी
कभी  ...
न जीवन मिलता है
न मृत्यु !!

जन्म ख़ामोश भय के आगे
नृत्यरत शोर है
मृत्यु
विलाप के शोर में
एक खामोश यात्रा  ...
शोर ने मुझे बहुत नचाया
ख़ामोशी ने मेरे पैरों में पड़े छालों का
गूढ़ अर्थ बताया  ...

बैठो,
कुछ अर्थ मैं तुम्हें सौंपना चाहती हूँ
यदि  ...
यदि तुम चाहो !!!

18 अक्टूबर, 2017

मृत्यु को जीने का प्रयास




मौत से जूझकर
जो बच गया ...
उसके खौफ,
इत्मीनान,
फिर खौफ को
मैं महसूस करती हूँ !
कह सकती हूँ
कि यह एहसास मैंने भोगा है
एक हद तक
इसकी शाब्दिक व्याख्या हो सकती है .....

पर वह
 ... जो मृत्यु से जूझता रहा
दम घुटने
साँस ले पाने की जद्दोजहद से गुजरता रहा
फिर !!!
वह नहीं रहा !
उसके जीवन मृत्यु संघर्ष के मध्य
क्या चलता रहा
चला
या नहीं चला !
सितार के कसे तार के
 टूट जाने की स्थिति सी
होती है अपनी मनःस्थिति
....
मृत्यु को जीने का प्रयास
अजीब सी बात है
पर
...!
ढूँढती रहती हूँ वह एहसास
वह शब्द
और ....
जाने कितनी बार उजबुजाते हुए मरती हूँ
....
!!!!

13 अक्टूबर, 2017

शाश्वत कटु सत्य ... !!!




जब कहीं कोई हादसा होता है
किसी को कोई दुख होता है
परिचित
अपरिचित
कोई भी हो
जब मेरे मुँह से ओह निकलता है
या रह जाती है कोई स्तब्ध
निःशब्द आकुलहट
उसी क्षण मैं मन की कन्दराओं में
दौड़ने लगती हूँ
कहाँ कहाँ कौन सी नस
दुख से अवरुद्ध हो गई"
कहाँ मौन सिसकियाँ अटक गई
संवेदनाओं के समंदर में
अथक तैरती जाती हूँ
दिन,महीने,वर्षों के महीन धागे पर
चलती जाती हूँ निरंतर
रिसते खून का मलाल नहीं होता
.... !!!

लेकिन,
कई बार
कितनों के दुखद समाचार
मुझे उद्वेलित नहीं करते
मन के कसे तार
टूटते नहीं
किंकर्तव्यविमूढ़ मैं
मन के इस रेगिस्तान के
तपते अर्थ ढूँढती हूँ
जिसके आगे
तमाम नदियाँ शुष्क हो जाती हैं
खुद को झकझोर कर
खुद ही पूछती हूँ
क्या मैं इतनी हृदयहीन हूँ ?
हो सकती हूँ ?
चिंतन का महाप्रलय अट्टाहास करता है
....
नज़रें घुमाओ
देखो
जानो
समझो
कि हर संवेदना
कहीं न कहीं हृदयहीन होती है
अब इसे वक़्त की माँग मान लो
या ईश्वरीय प्रयोजन
पर है यह शाश्वत कटु सत्य  ... !!!


11 अक्टूबर, 2017

कागज़ की नाव




ये इत्ता बड़ा कागज़
कित्ती बड़ी नाव बनेगी न
पापा, अम्मा, भईया, दीदी
पूरा का पूरा कुनबा बैठ जाएगा
फिर हम सात समंदर पार चलेंगे
... रहने नहीं रे बाबा
घूमने चलेंगे।

चलो इस कागज़ को रंग देते हैं
बनाते हैं कुछ सितारे
सात रंगों से भरी नाव
कित्ती शानदार लगेगी
...
फिर हम सात समंदर पार चलेंगे
... रहने नहीं रे बाबा
घूमने चलेंगे।

अर्रे
इस कागज़ को बीचोबीच
किसने फाड़ दिया
रंग भी इधर से उधर हो गए
अब सात समंदर पार कैसे जाएँगे ?
घूमना ही था न
रहने की बात तो कही ही नहीं थी !

खैर,
चलो न
दो छोटी छोटी नाव ही बना लें
कौन किसमें बैठेगा
बाद में सोचेंगे
फिर कागज़ फटे
उससे पहले
हम सपनों को पूरा कर लें
सात समंदर पार चलें
... रहने नहीं रे बाबा
घूमने चलेंगे।

08 अक्टूबर, 2017

इस मार्ग की सभी लाइनें अवरुद्ध हैं !




पहली बार
कर लो दुनिया मुट्ठी के साथ
जब एक मोबाइल हाथ में आया
तो ... कोई जल गया
और किसी ने कनखिया के देखा
कुछ दिन तक
 सबकुछ
जादू जादू जैसा रहा ...

जिस जिसने कहा
कि भाई तौबा
यह बड़ी बेकार की चीज है
वे सब हसरत से मोबाइल को देखते
बहुत वक़्त नहीं लगा
धीरे धीरे यह नन्हा बातूनी
सबके हाथ में
अलग अलग अंदाज में बजने लगा
...
कॉलर ट्यून,रिंग टोन
पूरी दुनिया
सच्ची
मुट्ठी में आ गई .
किसी से
एक कॉल कर लेने की इजाज़त की गुलामी से
सबके सब मुक्त हो गए !

फिर मोबाइल की चोरी होने लगी
संभाल कर रखने के लिए
ऐड और बैग का
नई नई तकनीकों का इजाफा हुआ ...

 नई उम्र कहीं भी गुफ़्तगू करती दिखाई देने लगी
पेड़ के नीचे
बालकनी में
टहलते हुए
....
ऐसे में ही एक दिन
 देखा था गाड़ी के अंदर
एक लड़के को
वह कभी ठहाके लगाता
कभी बाँये दाँये देखता
सर हिलाता
कुछ बोलता
फिर हँसता .... मुझे पक्का विश्वास हो गया
कोई पागल है !
बच्चों से कहा
तो वे किसी बुद्धिजीवी की तरह बोले
... क्या माँ !
अरे वह इयरफोन लगाए हुए है
वो देखो कान में .....
मैंने कहा,
हाँ हाँ चलो ठीक है
लेकिन इस तरह अकेले गाड़ी में
पागल ही लग रहा है !

फिर यह इयरफोन
सबके कान के स्विच बोर्ड में लगा हुआ
घूमने लगा
अकेले बोलते हुए
सब आसपास से दूर हो गए
किसी को किसी की ज़रूरत नहीं रही
दूर के ढोल सुहाने लगते हैं
हर पल चरितार्थ होने लगा !

लोकल बातचीत
इंटरनेशनल बातचीत
वाट्सएप्प
वीडियो कॉल
सबकुछ इतना आसान
इतना आसान हो गया
कि शिकायतें बढ़ गईं
मिलने की उत्सुकता मिट गई
राजनीति
हत्या
शेरो शायरी
सबकुछ वायरल हो गया ....!

वाट्सएप्प के चमत्कारिक गोलम्बर पर
सब एकसाथ खड़े हो गए
नानी फैमिली
दादी फॅमिली
फैमिली ही फैमिली
ग्रुप ही ग्रुप
जहाँ
लेफ्ट हुए
इन हुए
लूडो फाड़ने सा खेल हो गया !

दुनिया ऐसी मुट्ठी में आई
कि मार्ग की सभी लाइनें अवरुद्ध हो गईं
.....!!!

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...