हद हो दामिनी
निर्भया
अरुणा
आरुषि...
क्यूँ भटकती रहती हो ?
हो गया हादसा
नहीं रही तुम
वक़्त बीत गया ...
आखिर एक ही बात कब तक दुहराओगी !
तुम्हारे निर्मम हादसे के बाद
स्कूल में बच्चे की हत्या हुई
बस में आग लगा दी गई
अस्पताल में कितने बच्चे दम तोड़ गए
हादसे भी उम्र से अलग
होते रहते हैं
एक ही सवाल गूंजते रहते हैं
वर्षों से
सुने, अनसुने नामों की
अनगिनत फाइलें हैं
किसको किसको देखा जाए !
समझा जाए
न्याय किया जाए !!
.....
जब जो होना था हो गया
होता रहेगा
चीख, पुकार, पर अंकुश लगाओ
चार दिन चाँदनी
अंधेरी रात सबके हिस्से है
तुम स्वयं को किसी हवाला का उदाहरण मत मानो
तुन गई
बच्चे गए
इमारतें गईं
.... देखो,
पद्मावती भी आज आलोचना की धार पर है
!!!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-02-2017) को "कूटनीति की बात" (चर्चा अंक-2883) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
vaah
जवाब देंहटाएंwaah bahut sundar rashmi di
जवाब देंहटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
जवाब देंहटाएंटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
विशेष : आज 'सोमवार' १९ फरवरी २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच ऐसे एक व्यक्तित्व से आपका परिचय करवाने जा रहा है। जो एक साहित्यिक पत्रिका 'साहित्य सुधा' के संपादक व स्वयं भी एक सशक्त लेखक के रूप में कई कीर्तिमान स्थापित कर चुके हैं। वर्तमान में अपनी पत्रिका 'साहित्य सुधा' के माध्यम से नवोदित लेखकों को एक उचित मंच प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य"
वाह!!बहुत खूब .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और प्रभावी
जवाब देंहटाएंसादर