15 जनवरी, 2020

एक सत्य - सत्य से परे



लड़कियों की ज़िन्दगी 
क्या सच में दुरूह होती है ?
क्या सच में उसका नसीब खराब होता है ?
यदि यही सत्य है 
तो मत पढ़ाओ उसे !
यदि उसे समय पर गरजना नहीं बता सकते 
तो सहनशीलता का सबक मत सिखाओ 
यह अधिकार रत्ती भर भी तुम्हारा नहीं  … 
माता-पिता हो जाने से 
पाठ पढ़ाने का अधिकार नहीं मिल जाता 
ऐसा करके 
क्या तुम उसके अच्छे स्वभाव का 
नाज़ायज़ फायदा नहीं उठा रहे ? 

बेटी कोई बंधुआ मजदूर नहीं 
कि सिंदूर का निशान लगते 
उसके सारे हक़ खत्म कर दिए जाएँ 
या उसे न्याय की शरण में जाना पड़े !
न्यायालय हक़ दिलाये 
कितने दुःख 
और शर्म की बात है !

क्या हुआ ?
क्यूँ हुआ  ?
कौन है ? रिश्ता क्या है ?
इनमें से कोई प्रश्न महत्वपूर्ण नहीं 
महत्वपूर्ण यह है कि तुमने कहा -
"दुर्भाग्य की प्रबलता है'  …! 
 यह दुर्भाग्य !!
तुमने ही बनाया है 
ईश्वर ने तो तुम्हें उसका भाग्य बनाया था 
लेकिन 
'थोड़ा और देखते हैं'
'इसके बाद सोचा है कहाँ जाओगी'
'ताली एक हाथ से नहीं बजती"
……… इतना विवेक और अनुभव बांटा जाता है 
कि दिमाग विवेकहीन,
शून्य हो जाता है । 

सामने कोई निरुपाय 
तुमसे तुम्हारी हथेली माँग रहा है 
तो प्रश्न की गुंजाइश कहाँ है ?
सीधी सी बात है 
या तो हथेली दो 
वरना कह दो - तुम इस लायक नहीं 
कि सहारा बन सको। 

ज़िन्दगी हमेशा कोई जीने का तरीका नहीं होती 
उस तरीके से बेदखल होकर 
जो दो वक़्त की रोटी 
और सुकून की नींद माँगे  
जिसकी प्राथमिकता यही हो 
उसके आगे नारे या भाषण व्यर्थ हैं। 

स्त्री-विमर्श का अर्थ यह नहीं 
कि तुम शाब्दिक गुहारों से पन्ने भर दो 
यह सब बाद में !

पहले 
किसी एक के आगे 
लौह दीवारों की तरह खड़े हो जाओ  
प्रश्न का एक तीर भी छूने न पाये 
यूँ ढंक लो 
बेबाक बोलने का मौका दो उसे 
उस दर्द को महसूस करो 
फिर उसे जीने का सबब दो !

कन्या भ्रूण हत्या जो करते हैं 
उनका सामाजिक बहिष्कार करो 
बेटी होने पर 
 जो मातम मनाते हैं 
उनसे दूर रहो  … 
वह कोई भी मामला व्यक्तिगत नहीं होता 
जो आपकी आँखों के आगे होता है 
आपके कानों को सुनाई देता है !!!
यदि व्यक्तिगत है 
तो अपने घर जाओ,
खबरदार ! जो एक भी अनुमान लगाया 
या अपनी नसीहत दी !

लड़की बदनसीब नहीं 
बदनसीब तुम हो 
जो उसके साथ हुए दुर्व्यवहार से नहीं दहलते 
नहीं पसीजते 
उसे मारनेवाले से कहीं अधिक हिंसक तुम हो 
जो हर बार आगे बढ़ जाते हो 
लानत है तुम पर  !!!

4 टिप्‍पणियां:

  1. लड़की बदनसीब नहीं
    बदनसीब तुम हो
    जो उसके साथ हुए दुर्व्यवहार से नहीं दहलते
    नहीं पसीजते
    उसे मारनेवाले से कहीं अधिक हिंसक तुम हो
    जो हर बार आगे बढ़ जाते हो
    लानत है तुम पर !!!

    सटीक।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर सार्थक एवं सटीक सृजन
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर आह्वान ,सटीक सार्थक।

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...