पास आकर कुछ बताना अपने आप में
एक गहरी खामोशी की रुदाली होती है !
बिल्कुल असामयिक मृत्यु जैसी !!
अगर तुम्हारी संवेदना मरी ना हो
तो खामोश ही रहो न ।
जीवन क्या है !
उसे उसी वक्त
ऐसे वैसे दिखाने की क्या जरूरत है !
जो दर्द के गहरे समंदर में होता है,
उसके आगे तो यूं भी एक एक सच
हाहाकार करता गुजरता है !
कुछ नहीं दे सकते
तब कम से कम इतना विश्वास ही दे दो
कि किनारे तुम खड़े हो
अगर तुम संवेदनशील हो तो !!
रश्मि प्रभा
अच्छा लगा आपकी पोस्ट ब्लोग पर देख कर एक लम्बे अन्तराल के पश्चात । सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंवाक़ई दर्द जीवन का सच दिखा देता है, कोई उस दर्द को महसूस करने वाला हो तो दर्द कुछ कम हो जाता है
जवाब देंहटाएंदर्द साझा कहाँ हो पाता है पर कोई महसूस रहा है ये संबंल बहुत ढ़ाढस देता है।
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद आपको सक्रिय देखकर अच्छा लगा दीदी।
सादर प्रणाम।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
दर्द का मर्मस्पर्शी चित्रण
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कही-
जवाब देंहटाएंपास आकर कुछ बताना
अपने आप में
एक गहरी खामोशी की रुदाली होती है !
बिल्कुल असामयिक मृत्यु जैसी !!
अगर तुम्हारी संवेदना मरी ना हो
तो खामोश ही रहो न... निशब्द 🙏
बेहतरीन सृजन!
जवाब देंहटाएंजो दर्द के गहरे समंदर में होता है,
जवाब देंहटाएंउसके आगे तो यूं भी एक एक सच
हाहाकार करता गुजरता है !
सही कहा आपने...अगर तुम्हारी संवेदना मरी ना हो
तो खामोश ही रहो न ।
लाजवाब🙏🙏
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसारगर्भित संवेदना से परिपूर्ण सृजन आदरणीया हार्दिक बधाई।
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