19 मई, 2008

आहट.........




कोई आहट रुकी है जानी-पहचानी
मेरे मन की सांकलें सिहर उठी हैं..
मैं तो ध्यानावस्थित थी,
ये कौन आया बरसों बाद?
मुझे याद दिलाया-मैं जिंदा हूँ.......!
किसने मेरे खाली कमरे में घुँघरू बिछा डाले,
जो पुरवा की तरह बज उठे हैं!
क्यों मुझे राधा याद आ रही?
उधो की तरह मैं गोपिकाओं में क्यों लीन हो उठी?
ये बांसुरी की तान कहाँ से आई है?
यमुना के तीरे ये क्या माज़रा है
क्यों ब्रज में होली की धूम मची है?
क्या कृष्ण ने फिर अवतार लिया है???


23 टिप्‍पणियां:

  1. rachna bahut hi achchi hai.aur apki shaily to hamesha ki tarah waisi hi hai.......

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  2. "क्या कृष्ण ने फिर अवतार लिया है?????????" कृष्ण तो भिन्न रूपों में हर काल में ही अवतरित होते रहे है, जरुरत है, पहचान सकने वाली सूक्ष्म आखो की, निश्चल मन की, अटूट आस्था की और कण-कण में बसे प्रेम को महसूस करने वाले ह्रदय की |

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  3. "क्या कृष्ण ने फिर अवतार लिया है?????????" कृष्ण तो भिन्न रूपों में हर काल में ही अवतरित होते रहे है, जरुरत है, पहचान सकने वाली सूक्ष्म आखो की, निश्चल मन की, अटूट आस्था की और कण-कण में बसे प्रेम को महसूस करने वाले ह्रदय की |

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  4. बहुत बढ़िया दीदी..क्या माज़रा है ??..आप ही बताइये ना..:)

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  5. "क्यों मुझे राधा याद आ रही?
    उधो की तरह मैं गोपिकाओं में क्यों लीन हो उठी?
    ये बांसुरी की तान कहाँ से आई है?"

    मोहब्बत के गुजरे पल से गुजरते हुए ऐसा ही लगता है, रश्मि जी...
    बहुत ही मनमोहक अंदाज़ है आपका मनमोहन को याद करने का...

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  6. is kavita ke liye kanahiya ke pas bhee shabd nahe ehongen bas us ne bhee padh lee to bansuree bajata rahega padhta rahega prem ek ansu bahte rahenge

    Anil

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  7. di...aajkal bahut guddh kavita likhne lagi ho........padhne main achchha lagta hai...par jayda samajh nahi paata....

    waise as usual......u rock[:)]

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  8. waah...bahut hi achchi kavita hai,,bilkul aapka style jhalakta hai isme....simpally awesome.

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  9. kitne bhaav sametati hai apki kavita............adbhoot ,sunder,aur bhavo se paripoorna........

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  10. क्यों ब्रज में होली की धूम मची है?

    क्या कृष्ण ने फिर अवतार लिया है?????????

    बहुत सही और सुन्दर

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  11. शब्दों का बहुत ही सुंदर और सटीक प्रयोग किया है आप ने और माजरा तथा पंक्तिया दोनों ही सुंदर है,,,,,,,,,,,,,

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  12. ये कौन आया बरसों बाद?

    मुझे याद दिलाया-मैं जिंदा हूँ.......!

    bahut aacha likha hai

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  13. आहट......... बहुत शानदार रचना है ........रश्मि जी बधाई एवम शुभकामनाएं.........

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  14. kavita ka har bhav tumhare,
    man ki khushi ko darshata hai...
    man ke andar hi to Eshwar,
    Krishna roop main khud aata hai...
    .........

    Deepak

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  15. अच्छी रचना. लिखते रहें.
    ---
    ultateer.blogspot.com

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  16. kya kahun,shabd nahi,bahut khubsurat,ghungaru ki aawaz ki tarah.madhur.

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  17. ye aapki soch hai ya aapka ehesaas
    jo bhi hai use bayan karna mushkil hai...........

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  18. आह ! परिकल्पना नहीं लग रही.. जीवंत सी रचना है... सजीव अनुभूति .. के मैं जिंदा हूँ...!
    "किसने मेरे खाली कमरे में घुँघरू बिछा डाले.."
    खुद से नहीं बिछे.. बंद थे मुट्ठी में सालों से..... बस मुट्ठी खोल दी है आपने...!
    इसलिए मन के ब्रज में होली सी धूम मची है..
    हाँ.... कृष्ण ने फिर अवतार लिया है...

    रश्मि Maa'm.. बहुत प्यारी रचना है...बहुत प्यारी...!

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...