कलकल की साज पर
नन्हीं बूंदों की बारिश
और तुम्हारी याद...........
बिल्कुल कॉफी-सी लगती है !
तेज हवाएं,
ठिठुरती शाम
और तुम्हारी याद........
बिल्कुल अंगीठी-सी लगती है !
रुई से उड़ते बर्फ,
बर्फ की चादर
और तुम्हारी याद..........
बिल्कुल जन्नत-सी लगती है !
नन्हीं बूंदों की बारिश
और तुम्हारी याद...........
बिल्कुल कॉफी-सी लगती है !
तेज हवाएं,
ठिठुरती शाम
और तुम्हारी याद........
बिल्कुल अंगीठी-सी लगती है !
रुई से उड़ते बर्फ,
बर्फ की चादर
और तुम्हारी याद..........
बिल्कुल जन्नत-सी लगती है !
कहो तो -
कौन हो तुम ???
कौन हो तुम ???
मन को उष्णता और सिहरन देने वाली तुम्हारी याद ही तुम्हारा परिचय दे रही है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर. साधुवाद.
मन की भावनाओं का प्रकृति से गहरे रिश्ते को दर्शाती हुई सुन्दर पंक्तियाँ ..........
जवाब देंहटाएंaapke lekhani ke kya kahane .... kaun ho tum??????? waah bahot khub likhaa hai aapne... badhayee aur abhaar,,,...
जवाब देंहटाएंarsh
बहुत सुन्दर एहसास है।अच्छी रचना है।
जवाब देंहटाएंAziz ki yaado me yesa hi jadu hota hai. Achchi kavita
जवाब देंहटाएंक्या भाव है ... बहुत सुंदर लिखा है।
जवाब देंहटाएंरुई से उड़ते बर्फ,
जवाब देंहटाएंबर्फ की चादर
और तुम्हारी याद..........
बिल्कुल जन्नत-सी लगती है
bahut sunder,kalkal,boonde,rui,aad,aur ek intazaar ya jankar bhi koi ajnabi hai,nasha cha gaya mann patal par.kaun ho tum?hmmmmm itani sunder kavita adhne ke baad nind bhi haseen hongi sunder khawabke saath,shukran,shabd aise hai jaise kaano mein ghungharu ki mithas bhari ho.waah
हलकी हलकी बारिश की बूंदों जैसा शीतल स्पर्श देती मधुर कविता.
जवाब देंहटाएंrashmi ji
जवाब देंहटाएंantarman ka itna jeevant chitran in panktiyo mai dikh raha hai
ki bina kuch likhe raha nahi gaya
wahi jab likhne baithe to laga ki shabd hi nahi hai hamare paas to is par kuch likhne ke liye
purntah aahlaadit kar dene wali kavita
रशिम जी बहुत ही सुंदर लगी आप की यह रचना.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
एक याद ही तो है जो खामोशी में भी एक गीत गुनगुना जाती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता!
जवाब देंहटाएंकौन हो तुम ???
जवाब देंहटाएंबहूत ही भावपूर्ण रचना ..
हम तो प्रकृति के कण कण में है , प्यार है हम ..प्रीती ही प्यार है न् ..[:)] , [:P]
सुन्दर अभिव्यक्ति!!
जवाब देंहटाएंbehad khoobsurat rachanaa.
जवाब देंहटाएंतुम्हारी याद .....अंगीठी सी .....तेज ठिठुरती हवा में ...बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंkhoobsurat upmaaon se prashn kiya hai..bahut khoob ..
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna hai .. coffee, tez hawa aur barf jazbaaton ke teen prakaar se lagte hain shayad ye aapke jazbaat hi hain ..
जवाब देंहटाएंme hi hun..hai na??? :)
जवाब देंहटाएंbahut achi kam shabdo me bahut kuch
Wow!!! Very sweet poem on memories, infact warm memories.Its these warm memories only which sometimes help us in dealing with wintery days & icy phases of life.
जवाब देंहटाएंसुन्दर एहसास और सुन्दर भाव व्यक्त करती एक दिल को छूती हुई कोमल सी रचना ..अच्छा लगा इसको पढना
जवाब देंहटाएंrashmi di ,
जवाब देंहटाएंhum hi to hain ,haahahahahahaahahahahahaahahahahhahahahah,
achche sabdsanyojan hai ,achchi bhavovyakti
nishabd..................
जवाब देंहटाएंaapke tarah saral and behad khoobsurat
जवाब देंहटाएंMan ki bhavnaon ko behad sanjidgi se prastut karti kavita...badhai.
जवाब देंहटाएंआदरणीय रश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंप्रकृति से तादात्म्य स्थापित करती भावः पूर्ण रचना .....
पूनम
rssmi ji,
जवाब देंहटाएंapki rachna dekhkar mujhe apni kawita jo maine apne blog par 8 jun 2008 ko post ki thi yad aa gai.
कौन हो तुम,क्या हो तुम
किस जनम का रिश्ता है
ये तुम्हारा और हमारा
जो तुम आकर्षित करती हो
अपनी ओर लगातार
और मै भी खींचा चला आता हूं
डोर से बंधे पतंग की तरह
कौन हो तुम,क्या हो तुम
जो तुम मुझे पागल बना देती हो
ठीक उसी तरह जैसे
दीपक को देखकर पतंगा होता है
शरारे सा जलने को
''राज'' क्यो मन करता है
कौन हो तुम,क्या हो तुम
कुछ भी तो नहीं लगती तुम मेरी
फिर क्यो मुझे सताती हो
सपनों में बार-बार आकर
फिर क्यो मुझे जगाती हो
रातों को नींदो से
कौन हो तुम,क्या हो तुम
जो मुझे आभास हो जाता है
तुमसे मिलने से पहले ही
होने वाले मिलन की
मुझे पता चल जाता है
किस रंग के कपडों में होगी तुम
कौन हो तुम,क्या हो तुम
जो इतना तडप जाती हो
मेरी छोटी सी कटी उंगली देखकर
थोडा सा बहता खून देखकर
मंदिर की उस देवी की तरह
जो तडप उठती है भक्तों के कष्ट से
कौन हो तुम,क्या हो तुम
किस जनम का रिश्ता है
ये तुम्हारा और हमारा
जो तुम आकर्षित करती हो
अपनी ओर लगातार
और मै भी खींचा चला आता हूं
डोर से बंधे पतंग की तरह
बहुत सुंदर!!
जवाब देंहटाएंरश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता ..प्रकृति के साथ आपकी आत्मीयता दर्शाती हुयी.
हेमंत कुमार
आदरण्ीया रश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंकौन हो तुम .... एक बहुत अच्छी कविता जो कि प्रकृति के साथ आपकी आत्मीयता दर्शाती हुयी मन को सुन्दर एहसास कराती है.
रुई से उड़ते बर्फ,
जवाब देंहटाएंबर्फ की चादर
और तुम्हारी याद..........
बिल्कुल जन्नत-सी लगती है
kitna khubsurat likha hai..aseem prem me doobi hu rachna.....
कौन हो तुम ? यही रहस्यात्मकता , कविता की धार है आपकी !सुन्दर !
जवाब देंहटाएंkyaa baat hai..!! madhur madhur..aankhon me thandak de gayi aapki yeh rachnaa..bahut hi pyaari.
जवाब देंहटाएं--Gaurav