17 अप्रैल, 2009

विश्वास करो !


मनुष्य कहता है-
ईश्वर सर्वत्र है........
और ख़ुद ही
अलग-अलग लिबास में
उसे अलग-अलग कैनवास देता है !
आस्था मन की होती है,
श्रद्धा मन की होती है,
हर दिन की अपनी विशेषता होती है.....
पंडित के निकाले शुभ दिन में
क्या मौत नहीं होती?
तलाक नहीं होते?
बहुएं नहीं जलतीं?
बन्धु,
अपने सुकून पर ऐतबार करो,
प्यार करो ,
सम्मान करो,
आशीर्वचनों में ईश्वर को पाओ ..............

28 टिप्‍पणियां:

  1. हर दिन,हर पल ईश्वर का बनाया हुआ है.. फिर कोई पल /दिन अशुभ कैसे हो सकता है?
    aap ne बहुत सही बात कही है:-

    'अपने सुकून पर ऐतबार करो,
    प्यार करो ,
    सम्मान करो,
    आशीर्वचनों में ईश्वर को पाओ ..'

    कविता व्यक्ति को सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित करती है.

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  2. rashmi ji,

    aapki ye rachna mann men panv jamaye huye vishwason ko jhakjhorati hai...sach saare din to ishwar ke hi banaye huye hain ..kaun sa din shubh aur kaun sa ashubh..bahut achchhi rachna .badhai

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  3. bahot khub once again... baat bahut choti si hai, per jis khubsurat adaaz main aapne kahi wo kaabile taarif hai..ILU.

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  4. अपने सकून पर एतबार करो ..प्यार करो सम्मान करो .सही और सुन्दर बात कही आपने इस रचना के माध्यम से शुक्रिया

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  5. अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाईयाँ!

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  6. बहुत बढिया ... आत्‍मविश्‍वास बढाती रचना।

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  7. रश्मी जी बहुत अच्छी रचना है ॰॰॰ कहें तो सत्य का आईना है ॰॰॰॰॰॰॰ शुभकामनायें

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  8. rashmi di .. bahut sundar achna hai eeshwar ka banaya har din shubh hai .. badhai

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  9. Adarneeya Rashmi Ji,
    Bahut hee kam shabdon men apne aam admee ke andhvishvason ko likh dala hai..vyakti ko pahle svayam par vishvas karna chahiyae.
    Poonam

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  10. अपने सुकून पर ऐतबार करो,
    प्यार करो,
    सम्मान करो,
    आशीर्वचनों में ईश्वर को पाओ......

    समस्त सार इन पंक्तियों में ही निहित है.
    प्रणाम व शुभकामनाएं स्वीकारें.

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  11. रश्मि जी ,
    विश्वास ही तो है जो अज हमारे बीच से ख़त्म होता जा रहा है .....आदमी खुद पर विश्वास नहीं कर पा रहा है तभी तो वो भटक रहा है ...अच्छी रचना .

    हेमंत कुमार

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  12. बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।

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  13. Rashmi di,

    Behtreen baat kahi hai aapne. Pandit ke nikaale hue shubh din mein yeh saari ghatnaaye nahi hoti kya? Khud ke sukoon par vishwas karna chahiye bas!..ek achhi seekh.

    --Gaurav

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  14. बहुत अच्छी और सच्ची बात कही है आपने रश्मि जी...वाह...
    नीरज

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  15. yahi satya hai..........ise hi manna chahiye agar humein ishwar mein vishwas hai to varna apni manyatayein insaan khud hi bana leta hai apni sahuliyaton ke hisab se.

    sach har din, har pal aur hum sabhi uske banaye hain to phir shubh ya ashubh kaisa.

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  16. 'अपने सुकून पर ऐतबार करो,
    प्यार करो ,
    सम्मान करो,
    आशीर्वचनों में ईश्वर को पाओ ..'
    प्रभावशाली पंक्तियाँ............सुंदर सारगर्भित रचना।

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  17. आपकी यह अभिव्‍क्ति बहुत ही सुंदर है क्‍योकि मुनष्‍य इस भग दौड के जीवन में ईश्‍वर को तलाश कर रहा है जबकि ईश्‍वर उसके साथ पल पल है । उसमें विश्‍वास की कमी आ गई है । आपकी यह रचना व्‍यक्ति के मन में विश्‍वास और ईश्‍वर को पाने में सहायक होगी ।

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  18. आस्था मन की होती है
    श्रद्धा मन की होती है.
    ---------------------------
    'अपने सुकून पर ऐतबार करो,
    प्यार करो ,
    सम्मान करो,
    आशीर्वचनों में ईश्वर को पाओ

    -सुन्दर.साधुवाद.

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  19. रश्मि जी,
    आपकी यह रचना बेहद खूबसूरत, प्रभावशाली व प्रसंशनीय है, यह आशा है कि आपकी कलम व मन के सागर से और भी सुन्दर-अतिसुन्दर मोती निकलें, ढेर सारी शुभकामनाएँ।

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  20. पंडित के निकले शुभ दिन में
    क्या मौत नहीं होती
    तलाक नहीं होते
    बहुएं नहीं जलतीं ....

    वाह... क्या सटीक और सही बात उठाई है रश्मि जी....बहूत खूब ....!!

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  21. बहुत सही बात कही है दीदी आपने!!

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  22. aap bahut saadgi aur sahajta se badi - badi baaton ko likh deti hain jo seedhe man ko chuti hain..... bilkul sahi... koi bhi din bura nahi hota

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