टूटते तारे ने कहा
'मांगो मुझसे
जो चाह लो, मिलेगा '
मैंने कहा -
'तुम फिर से अपनी जगह पर आ जाओ'
धरती में समाहित तारा
बोला- मुश्किल है !
( कहने का तात्पर्य यह कि बड़ी-बड़ी इच्छाओं को पूरी करनेवाला भी खुद के लिए असमर्थ होता है )
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मैंने महसूस किया है कि तुम देख रहे हो मुझे अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...
आपने चंद पंक्तियों में इतनी खूबसूरती से जीवन के अर्थ को समझाया है कि आपकी इस रचना के बारे में जितनी भी तारीफ की जाये कम है! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंEk seekh de gayi ye laghu kavita Mammy ji...
जवाब देंहटाएंJai Hind...
yahi jivan hai- is jivan ka
जवाब देंहटाएंyahi hai,
yahi hai,
yahi hai rang rup......ILu...!
bahut sunder! accha sandesh liye.
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बड़ी गहरी बात
जवाब देंहटाएंसबकी अपनी-अपनी होती मजबूरी हैं!
जवाब देंहटाएंइच्छाएँ सब होती नही कभी पूरी हैं!!
hmm aapne samjha dia achcha kia...varna mujhe to samjh nahi aata :) ...sahi baat kahi hai.
जवाब देंहटाएंरश्मि जी,
जवाब देंहटाएंआपकी रचना जहाँ ये बता रही है की कभी कभी इच्छा पूरी करने वाला भी असमर्थ होता है वहाँ आपके कोमल मन को भी दर्शा रही है जो चाहता है की तारा अपनी जगह वापस आ जाये ,और कुछ नहीं चाहिए....भावप्रधान रचना...
baht bahut bahut sunder! aur vo bhe sanbesh detee huee.
जवाब देंहटाएंशाश्वत सत्य की सहज सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई रश्मि जी!
जवाब देंहटाएंkya khoob baat kahi aapne
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..सच बात सुन्दर
जवाब देंहटाएंगहरी बात ......... सच कहा .... कुछ ही सबदों में जीवन का गहरा दर्शन सिमेट दिया है .........
जवाब देंहटाएंक्या खूब कही हैं आपने इस लघु कविता के माधयम से बृहत् जिंदगी कि कशमकश को ...आभार ...
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah...man ko roshan karti hui rachna
जवाब देंहटाएंham to ye soch rahe hai ki aapne taare se kaha ki tum apni jagah par aa jao...and this is very meaningful :-)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंkya baat hai..bahut sunder bhav..phir se jaisa hai vaisa hona bahut mushkil hai har baat ke liye
जवाब देंहटाएंअसमर्थ किसी की इच्छा क्या पुरी करेगा, बहुत सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
कविता के माध्यम से कितनी गहरी बात कह दी...बहुत ही अच्छी लगी यह कविता.
जवाब देंहटाएंइच्छा पूरी करने वाला भी कभी विवश होता है ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा ....कहा ....!!
सच कहा मासी जी, सामर्थ्यवान व्यक्ति भी निजी परिदृश्य में कई मामलों में असमर्थ होता है, हों सकता है | सच्ची कविता |
जवाब देंहटाएंchand shabdon mein bahut hi gahri baat kah di..........ati sundar.
जवाब देंहटाएंbahut achhi rachna
जवाब देंहटाएंhamari mangne ki prvrti to dekhiye
toote huo ko shara dena to door unhi se mangne lge .
अपनी इक्षायें पूरी करने की काबिलियत हम सब में होती है बस आत्म-विश्वास नहीं होता की हम उन्हें पूरा कर सकते हैं इसीलिए कभी उस टूटते तारे, तो कभी भगवान का सहारा लेते हैं उन्हें पूरा करवाने के लिये... इक्षायें वो टूटता तारा नहीं पूरी करता बल्कि हमारा द्रढ़ निश्चय पूरी करता है... जिस दिन ये बात समझ जायेंगे क्या पता वो टूटा तारा भी वापस अपनी जगह वापस आ जाये :-)
जवाब देंहटाएंइच्छा पूरी करने वाला भी कभी विवश होता है ....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा ....कहा
रश्मि दीदी चरण स्पर्श
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा व लाजवाब रचना लगी। बधाई स्वीकार करें
जीवन को कुछ ही शब्दों मे समझ पाने की कोशिश सी दिखती है और शायद ये कोशिश ही जीवन को समझ पाना है। जिससे कि चंद शब्दों में कोई बात कही जा सके।
जवाब देंहटाएंchhoti-si kvita aur bhav kitne gahre
जवाब देंहटाएंbdhaai ho