14 फ़रवरी, 2010

दिल का हिस्सा


मैं दिल का वह हिस्सा हूँ
जिससे तुम कहो ना कहो
वह सुनता है
धड़कता है.....
कई बार आँखें नम होती हैं
पलकों पे ठहरी बूंद
तुम्हारी परछाईं बन जाती है

32 टिप्‍पणियां:

  1. यही तो खासियत है कि आप सब सुन लेते हो... और वो कह नही पाते..

    एक साइलेन्स के थ्रू बात करना सिर्फ़ प्यार मे डूबे दो दिलो को आता है..

    बहुत बढिया..

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  2. आंसू परछाईं बन जाते हैं....बहुत नयी सी सोच....और दिल को छूने वाली....

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  3. aur wahi parchayi jine ka sabab banti hai, harpal saath chalti hai...ILu...!

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  4. वो बिना कहे सब सुन एलन ही तो सच्चा पयर है जो दिल से निकलता है और धडकन बन जाता है

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  5. रशिम जी मै प्रगति मेदान नही जा सका, बस समय की कमी के कारण, वरना बहुत सी किताबे खरीद कर लाता, आप की कविता हमेशा की तरहा बहुत सुंदर

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  6. गहन भाव लिए आप की कविता दिल में उतर जाती है..

    ---दिल के उस हिस्से को तलाशने जा रही हूँ.

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  7. इतनी प्यारी छोटी सी कविता और इतना गंभीर भाव ।

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  8. bahoot khoob prabha jee pant jee kee manas putree hone ke sath aap me vo khobiya bhee hai

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  9. लाजवाब रचना...वाह रश्मि जी इसबार इतने कम शब्दों में कितनी सारी बात कह दी आपने..वाह...
    नीरज

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  10. आपके शब्दों में हमेशा कुछ खास होता है

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  11. aapke blog par kai baar aai tippani bhi ki magar aap shayad rasta bhatak gayi yaa na khush hai ,jo gantanra divas par bhi badhai na de saki ,waise main aakar aksar padhti hoon magar sankochvash tippani nahi kar pati ,aaj man vash me nahi raha isliye padhne ke saath comment bhi karke jaa rahi hoon ,baat dilo ki rahi shayad vajah yahi hui ,haq se kah diya aage dekhe kya ....
    rachna to aapki taarife kabil hi rahti hai aur baat phir dil ki hai
    to kuchh kahne ki jaroort hi nahi .

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  12. इतनी प्यारी छोटी सी कविता और इतना गंभीर भाव ।

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  13. गहरे अर्थ सिमेटे आपकी रचना .... कुछ ही शब्दों का लंबा सिलसिला ....

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  14. or vaastavikta yahi hai ki wahi dil ka hissa humara atrang sathi hota hai,jo humare acche bure ka sakshi bhi hai...
    aapki yeh rachna dil ko sparsh karti hai maa'm.
    bahut accha laga.

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  15. dil kee baat dil tak pahunchi, dil ne samjha aur dil bol utha... waah...badhai rashmi ji.

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  16. बहुत प्रभावशाली रचना सुंदर दिल को छूते शब्द

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  17. बहुत सुंदर है -दिल और आंसू के साथ की कविता ! बधाई स्वीकारें !

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  18. रश्मि जी दुविधाओं के बीच बहुत अंतराल से आज पोस्ट डाली ....पहला कमेन्ट आपका देख हैरानी हुई .....!!

    आपके संकलन में कवितायें सिर्फ आपकी हैं या संयुक्त रूप में निकाली है ....विस्तार से नहीं लिखा आपने ....कुछ विस्तार से बताइए ....संपादन आपने किया प्रकाशक कौन है .....??

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  19. वाह...क्या बात कही आपने...वाह....

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  20. कविता ,,,,
    संक्षिप्त होते हुए भी
    बहुत प्रभावशाली बन पडी है
    भावनाओं की गहराई स्वयं बात कर रही है
    अभिवादन .

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  21. बहुत कम शब्दों में बहुत गहरी बात ....
    आंसुओं का परछाईं बन जाना दिल के करीब लाता है.......

    प्रणाम के साथ शुभकामनाएँ.......

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  22. आपकी रचना का कोई जवाब नही पर इस बार फोटो सच मे बहुत कुछ कह गई

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  23. संक्षिप्त किंतु सुंदर।

    आपकी किताब ले आये हैं मैम...उस दिन कश्मीर में इतनी बर्फबारी हुई थी कि सारे रस्ते ब्लौक थे...तो पुस्तक-मेले में दो दिन बाद पहुंच पाया था। शैलेश जी बता रहे थे विमोचन के बारे में। नुकसान मेरा ही था।

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  24. छोटी सी लेकिन शब्दो की गहराई लाजवाब ।

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...