तेरी आँखों के सोनताल में
नज़्मों का उबटन लगा
मैं नहाती हूँ
शब्दों का मनमोहक परिधान
मुझे तुम्हारी नज़्म में ज़िन्दगी देता है
इस आबेहयात का रंग
मुझे अनंत विस्तार देता है
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मैंने महसूस किया है कि तुम देख रहे हो मुझे अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...
बहुत सुन्दर ... मनोरम और शब्दों का मायाजाल सा है ...
जवाब देंहटाएंअनंत विस्तार तो शब्दों के मनमोहक परिधान से ही संभव है। चित्र और शब्द का सुन्दर समन्वय है।
जवाब देंहटाएंanya rachnaao ki tarah bahut sunder... naye vimb...naye prayog... navinta liye... adbhud!
जवाब देंहटाएंwaah...
जवाब देंहटाएंbahut khub...
itni khubsurat bhawnayein...
achhi lagi....
शब्द-शक्ति , प्रकृति-शक्ति और भाव-शक्ति तीनों को
जवाब देंहटाएंगूंथा गया है इस कविता में .. सुन्दर .. आभार !
...बहुत सुन्दर!!!!
जवाब देंहटाएंaah!yahan aakar aapke nazmo ko padh jitna sukun milta hai uske saamne shayad aakash ka anant vistar bhi chota pad jaye...
जवाब देंहटाएंbahut acchi lagi aapki nazm,maa'm!
aabhar,
#ROHIT
नज़्मों का उबटन लगा
जवाब देंहटाएंमैं नहाती हूँ
नज़्मों का उबटन --
शायद बेहतरीन की भी कोई सीमा नहीं होती
mam bahut hi kam shbdon me aapne apni bhavnaon ko vistaar diya hai. bhdai .
जवाब देंहटाएंफिलहाल यही शब्द उभर रहा है मेरे ज़ेहन आपकी इस कृति के लिए "अद्भुत" - आभार
जवाब देंहटाएंनज्मों का उबटन और शब्दों का परिधान....वाह...क्या नज़्म कही है..बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंवाह वाह कवि भी पता बही केसे केसे शव्दो को जज्वातो का रुप दे देते है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी आपकी नयी रचना
जवाब देंहटाएंbahut hi bhaavpoorn aur mohak rachna...
जवाब देंहटाएंis tarah ki upmaayen dhoondhna har kisi ke vash ki baat nahin..
जवाब देंहटाएंशब्दों का मनमोहक परिधान मुझे तुम्हारी नज़्म में जिंदगी देता है ...
जवाब देंहटाएंअनंत विस्तार ....
शब्द ..शब्द ...शब्द ....
फिर से निःशब्द ....
रश्मि प्रभा जी ,
जवाब देंहटाएंक्या बात है ! लघु होते हुए भी विराट है आपकी कविता ।
" आंखों के सोनताल में नज़्मों का उबटन "
अछूते और सुंदर बिबों का प्रयोग !
बधाई …
- राजेन्द्र स्वर्णकार
सच में; प्रेरणा बनने के लिए कुछ तो अद्भुत करना ही पड़ता है,या हो जाता है!जो भी हो,ये कविता आपकी हम जैसो के लिए प्रेरणा ही तो है!कल्पना का विस्तार ही तो है ये......
जवाब देंहटाएंकुंवर जी,
बहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंshabdo ka anant vistar.........:)
जवाब देंहटाएंye aapke rachnaon me hi sambhav hai..........!!
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंमुझे तुम्हारी नज़्म में ज़िन्दगी देता है
जवाब देंहटाएंइस आबेहयात का रंग
मुझे अनंत विस्तार देता है
kya baat kahi hai didi aap ne , salaam aap ko.
saadar
कमाल है !!!!!!!!!!!!!!सिर्फ चंद पंक्तियाँ और अनंत विस्तार
जवाब देंहटाएंWaaaaaaaah, aur yahi anant Vistaar mann ka Sukun ban jata hai.....Ilu
जवाब देंहटाएंशब्दों के इस मनमोहक परिधान ने वाकई मोह लिया :-)
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली कृति
जवाब देंहटाएंइतने खूबसूरत लफ़्ज़ों का इस्तेमाल किया है आपने इस नज़्म में की क्या कहूँ...अप्रतिम..
जवाब देंहटाएंनीरज
नज़्मों का उबटन लगा ....Marvelous :-)
जवाब देंहटाएंrashmi ji
जवाब देंहटाएंgazab kar diya.........bhavnaon ka vistar aur shabdon ka chayan dono hi adbhut hain.
Mummy ji bahut khoob likha hai...
जवाब देंहटाएंवाह...क्या नज़्म कही है..बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंनज्मों का जो ये उबटन आपने लगाया है...चेहरा बड़ा निखर के आया है...
जवाब देंहटाएंवाह ! क्या बात है, सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंachhi rachna..
जवाब देंहटाएंbaar baar padhne ka mann kiya.....
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mere blog par is baar
तुम कहाँ हो ? ? ?
jaroor aayein...
tippani ka intzaar rahega...
http://i555.blogspot.com/
bahut accha likhti hai aap..sach!
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में सुन्दर बात।
जवाब देंहटाएंशानदार रचना इसे ही कहते हैं। बधाई।
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गुफा में रहते हैं आज भी इंसान।
ए0एम0यू0 तक पहुंची ब्लॉगिंग की धमक।
चित्र से कविता है या कविता से चित्र!
जवाब देंहटाएंमुझे तो दोनों ही बोलते लग रहे हैं.
अद्भुत अभिव्यक्ति!
Ankhon ka sontaal...nazmon ka ubtan.... aabehayat ka rang aur anant vistaar....
जवाब देंहटाएं....Mohak pratibhimb upasthit kar aapki rachna mein sach mein anant vistaar parilakshit ho raha hai..
...behatreen prastuti ke liye dhanyavaad...
adbhut shabdon ka prayog..... hamare liye prernasrot.......shubhkamnaye......
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंलगता है जैसे..
ग़म और ख़ुशी के पार है
मोरे पि का गाँव
पियु - पियु लागे है
जहां कागा की कांव
पग पग सेज है बिछी हुई
और दाग - दाग साथ चल रही
नील गगन की छाँव...............,
इतनी सुन्दरता से आपने हर एक शब्द लिखा है की आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएंरश्मि जी कितना गहरा ,प्यारा और कम लिखती है आप.ज्ञान बड़ा भारी आपको.
जवाब देंहटाएंसादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से जुड़ाव
अपनी माटी
माणिकनामा