पतझड़ में गिरे शब्द
फिर से उग आए हैं
पूरे दरख़्त भर जायेंगे
फिर मैं लिखूंगी
पतझड़ और बसंत
शब्दों के
तो आते-जाते ही रहते हैं
जब सबकुछ वीरान होता है
तो सोच भी वीरान हो जाती है
सिसकियों के बीच बहते आंसुओं से
कोंपले कब फूट पड़ती हैं
पता भी नहीं चलता
मन की दरख्तों से
फिर कोई कहता है
कुछ लिखो
कुछ बुनो
ताकि गए पंछी लौट आएँ
घोंसला फिर बना लें
शब्दों के आदान-प्रदान के कलरव से
खाली वक़्त सुवासित हो जाये
Sundar vicharon se saji sundar kavita :), Shabdon ke liye basant bana rahe, aur unke aadan - pradan se utpann hone wala kalrav bhi badastur jari rahe.
जवाब देंहटाएंअच्छे भाव लिए हुए ...... सुन्दर रचना ....एक शानदार प्रस्तुति ...बधाई स्वीकारे
जवाब देंहटाएंhttp://athaah.blogspot.com/
Kuchh isi prakaar ka patjhad yahan par bhi chal raha hai !
जवाब देंहटाएंAtyant sundar rachna !
Man Ko Chhoo Gayi !
Aabhar !
bahut acchi kavita maa'm!!!!!!!
जवाब देंहटाएंखाली वक़्त सुवासित हो जाए....
जवाब देंहटाएंवाह ! खूब ख्याल है...
ज़रा इस अंदाज़ पर भी गौर फरमाइए...
तनहा हूँ में..
बहुत तनहा..
अब ये बात और की " तनहाई " मेरी माशूका है..!!
"वाह कितनी सुन्दर कृति है.."
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
जवाब देंहटाएंवाह्…………………क्या भावों को पिरोया है…………गज़ब कर दिया………………बहुत ही सुन्दर अन्दाज़ है शब्दों को पकड्ने का और फिर उन्हें बाँधने का।
जवाब देंहटाएंआदरनीय प्रभा जी आपके आशा व उम्मीद के दरख्तों तले बहुत सुकूं मिला
जवाब देंहटाएंभावों की घनी छांव है यहाँ ,शब्दों की शीतलता भी ..इस भावाभिव्यक्ति के लिए साधुवाद
भाव पूर्ण सुन्दर प्रस्तुति है...
जवाब देंहटाएंअर्थ भी सरल है.
प्रथम पैरा में शब्द पत्ते के रूप में हैं, परन्तु अंतिम पैरा में कुछ सामंजस्य की कमी लगी... (हो सकता है मैं कहन को ठीक से समझ न पाया हूँ)
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना! दिल को छू गयी हर एक पंक्तियाँ! लाजवाब!
जवाब देंहटाएंउगे हुए शब्द
जवाब देंहटाएंलिखने को आतुर होंगे ही
बेहतरीन
shbd kam pad jayegen!
जवाब देंहटाएंशब्दों के आदान-प्रदान के कलरव से
जवाब देंहटाएंखाली वक़्त सुवासित हो जाएँ
rachna prakriya ko kitni sahajta se bata diya hai... abhutpurb!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना है ! ये रचना खुद वो शज़र है जिसपे शब्दों के फूल उग आये हैं ... बस अब टिप्पणियों के भँवरे चारो तरफ से घिर आएंगे ...
जवाब देंहटाएंपतझड़ के बाद बसंत का आना समष्टि मेँ विराट की सिरजन प्रक्रिया का संकेत है।इस प्रक्रिया से व्यष्टि भला कैसे विमुख हो सकती है।यह क्रम आपकी कविता मेँ दिखाई देता है।बहुत अच्छी लगी आपकी कविता।बधाई हो!
जवाब देंहटाएंआशावाद की इबारत है आपकी कविता
जवाब देंहटाएं'पतझड़ में गिरे शब्द
फिर से उग आए हैं'
बहुत सुंदर .......बधाई
बहुत सुंदर ओर गहरे भावो से सजाया है आप ने अपनी कविता को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशब्दों का बसंत हमेशा खिलता रहे..panchhi chahchahate rahen...shubhkamanayen.
जवाब देंहटाएंशब्द यूँ ही सुवासित रहें...पतझड़ और बसंत का भी अपना मज़ा है...आपके ये भाव की पंछी लौट आयें....बहुत पसंद आया....बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंइसी जीवन के सापेक्ष ही साहित्यिक जीवन भी चलता है , कभी
जवाब देंहटाएंबरसात से भीगता तो कभी जेठ में तपता , कभी बसंत में हुलसता
तो कभी पतझड़ में छीजता !
लेखन में भी एक चक्रीय प्रक्रिया बनती है !
सुन्दर कविता ..
अतिसुन्दर प्रस्तुती ......
जवाब देंहटाएंBadi apni si lagi rachna....ye shabdo ka mausam bhi na ...bas aata-jaata rahta hain....padhkar man khush hua :-)
जवाब देंहटाएंसच में ये शब्द ही खालीपन को भरते हैं.............. होले - होले
जवाब देंहटाएंऔर देखो हम पंछी लौट आये हैं .. बसंत भी आ गया है .... इन सब पंछियों के कमेन्ट को अपने घोंसले में सजा देना .....
जवाब देंहटाएंkya bat hai bahut sahi kaha shabdo ka bandhan hai kabhi patjhad kabhi sawan hai
जवाब देंहटाएंacha laga
Man prasanna hua...Jaise May ki garmi mein barish ki bundein.....
जवाब देंहटाएंLaut ayi basant....
THANK YOU.
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जवाब देंहटाएंभावनाओं की दस्तकें हैं...ख्यालों की रिमझिम बारिश...सपनो की मोहक कहानियाँ...आत्मा-परमात्मा की एक रूपता...कुछ कहो, कुछ जी लो, कुछ मुट्ठियों में भर लो....रास्ते ही रास्ते हैं....
आपका स्वागत है...
मेरे एहसास इस मंदिर मे अंकित हैं...जीवन के हर सत्य को मैंने इसमे स्थापित करने की कोशिश की है। जब भी आपके एहसास दम तोड़ने लगे तो मेरे इस मंदिर मे आपके एहसासों को जीवन मिले, यही मेरा अथक प्रयास है...मेरी कामयाबी आपकी आलोचना समालोचना मे ही निहित है...आपके हर सुझाव, मेरा मार्ग दर्शन करेंगे...इसलिए इस मंदिर मे आकर जो भी कहना आप उचित समझें, कहें...ताकि मेरे शब्दों को नए आयाम, नए अर्थ मिल सकें ...
• सुवासित वक़्त • अनंत विस्तार • गर्मी है !!! • तूफ़ान और ख़ामोशी • गिरते हैं शहंशाह ही मैदाने जंग में • अपनी मर्जी की नहीं • मैं कुछ नहीं ! • दिल की बात ! • अपर्णा की तलाश • मेरी फितरत • होली की शुभकामनायें • .....! • खाकर देखो तो • सुकून • दिल का हिस्सा Powered By Tech Vyom
30 April, 2010
सुवासित वक़्त
- रश्मि प्रभा...
पतझड़ में गिरे शब्द
फिर से उग आए हैं
पूरे दरख़्त भर जायेंगे
फिर मैं लिखूंगी
didi ,pranam.
vakai kya bhav ookere hai aap ne.
sadhuwad,
पतझड़ में गिरे शब्द
फिर से उग आए हैं
पूरे दरख़्त भर जायेंगे
फिर मैं लिखूंगी
shabdo ke aadan pradan se waqt suvasit ho jaye..... shabdo ki shakti ka adbhut prayog.. shubhkamna
जवाब देंहटाएंपतझड़ में गिरे शब्द
जवाब देंहटाएंफिर से उग आए हैं
पूरे दरख़्त भर जायेंगे
फिर मैं लिखूंगी
......Aap likhti rahen aur bujhe man mein umang bhar jeewan ka sandesh dekhar yun hi Hindi Sahitya ko samardhi pradaan karti rahi... yahi hamari haardik shubhkamnayne hain....
Behtreen prastuti ke liye aabhar..
'पतझड़ में गिरे शब्द
जवाब देंहटाएंफिर से उग आए हैं'
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना!
शब्दों का आदान - प्रदान एहसास दिलाता है हमें अपने होने का ...
जवाब देंहटाएंख़ामोशी हो... कुछ पल या कुछ अधिक पल ...तो भी शब्द तो चलते ही रहते हैं अपनी रफ्तार से ...बस लिखे नहीं जाते ..
हमारी संवेदनाएं इतनी मिलती -जुलती क्यूँ है ...कई बार सोचती हूँ ...आप भी ना....!!
हर बात को एसे, इतना सहज़ता से कैसे समझा देती हो ? मुझे यह पढ़ ऐसा लग जैसे मेरे शब्द जो कई दिनों से पतझड़ की हवा में उड़ रहे थे, आज उसे एक ठंडी बसंत की हवा ने संभाल लिया ... ILu...!
जवाब देंहटाएंखाली वक्त सुवासित हो जाये !! बहु आयामी बिम्ब उकेरती एक बेहद खूब सूरत रचना !!! बधाई स्वीकारें !
जवाब देंहटाएंrashmi ji,
जवाब देंहटाएंvishwas ke sath jiwan ko suwasit karna taaki waqt khali nahin balki sukhad beete, bahut sarthak soch aur abhivyakti, badhai aapko.
आखिर कोपलें फूट गयीं और शब्दों के कलरव से वक्त सुवासित हो गया.
जवाब देंहटाएंAdaraneeya Rashmi ji,
जवाब देंहटाएंprakriti ke saath shabdon kaa taadatmya aur unakee mukharata hee apakee kavitaon ko vishisht banataa hai---bahut sundar rachana.
Poonam
padh liya..mehaq liya.. :)
जवाब देंहटाएंसोचने को बाध्य करती है आपकी रचना बहुत जबरदस्त अभिव्यक्ति बड़ी सकारात्मक बात
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...अतिसुन्दर दी
जवाब देंहटाएंwakai panchhi lautte haain :)
जवाब देंहटाएंशब्द ही तो जीवन है .... ओम में सब कुछ निहित है ...
जवाब देंहटाएंवाह के सिवा क्या!
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