12 अप्रैल, 2010

तूफ़ान और ख़ामोशी


तूफ़ान और ख़ामोशी मिलते हैं
किसी जिद्दी बच्चे की मानिंद
तूफ़ान सर पटकता है
सारी चीजें इधर से उधर कर देता है
पेड़ की शाखाओं को हिलाता है
चिड़िया डरके घोंसले में दुबक जाती है
बरसनेवाले मेघ भी बादलों में दुबके
उड़ जाते हैं ..

पर ख़ामोशी !
एक माँ की तरह
तूफ़ान का सामना करती है
बिखरी बेतरतीब चीजों को
गुमसुम सी निहारती है
और मीठी लोरी जैसा
कुछ कह जाती है चुपचाप ..

तूफ़ान शांत हो जाता है
और ज़िन्दगी
फिर से अपनी पटरी पर चलने लगती है ..

65 टिप्‍पणियां:

  1. मन की भावदशा को बहुत सुन्दरता से कविता मे पिरोया है। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है।बधाई।

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  2. सही लिखा है आपने तूफान आकर चला जाता है और खामोशी चुप रह बहुत कुछ बयां करती है

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  3. ....बहुत सुन्दर,बेहतरीन रचना,प्रसंशनीय!!!

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  4. जीवन चलने का नाम है,,,तमाम मुश्किलें आने पर भी उसका डट के सामना..और फिर उसी पगडण्डी पर आ जाना... सन्देश देती आपकी यह कविता वास्तव में बेहद सुन्दर ..एक बार फिर शब्दों का बेजोड़ संगम ....

    विकास पाण्डेय
    www.vicharokadarpan.blogspot.com

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। कुछ अलग-सा! कविता की पंक्तियां बेहद सारगर्भित हैं।मां की सीख और तपस्या ही बच्चों को सफलता के सोपान तक पहुंचाती है। अपने अनुभवों और बच्चों के प्राकृतिक गुण और रुझान को देखकर वह कैरियर के लिए सही दिशा दे सकती है। मां तो पहली गुरु है।

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  6. बहुत खूबसूरती से खामोशी का वर्णन किया है....ख़ामोशी सच ही सरे तूफ़ान को शांत कर देती है....

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  7. शायद इसलिये तूफ़ान और खामोशी दोनों की जरूरत है ज़िन्दगी में । रचना बहुत पसंद आयी

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  8. रश्मिजी बहुत ही सुंदर रचना है. तुफान और खामोशी को इस नजरीये देखणं हर किसी के बस की बात नही.

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  9. खामोशी और तूफान एक सिक्के के दो पहलू । तूफान के पहले की हो या बाद की खामोशी का और जिंदगी के पटरी पर रहने का अटूट संबंध है ।

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  10. तूफ़ान जिद्दी बच्चे की तरह ...
    शोर मचाता
    सबको डराता ...
    ख़ामोशी माँ की तरह
    गले लगती
    मीठी लोरी जैसा कह जाती चुपचाप ...
    वाह ..अद्भुत रच दिया आपने ...
    कितनी सटीक पंक्तियाँ है ..
    जिद्दी बच्चे जो बिखेरते हैं ..माँ ख़ामोशी के साथ सब समेट लेती है ...
    आपकी अभिव्यक्ति के सामने सजदा करने को जी चाहता है ...!!

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  11. bahut sunder bhav... toofan aur khamoshi ke charitra ko bade samvednatmak roop se prastut kiya hai... aapki har kavita khas hoti hai

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  12. तूफ़ान शांत हो जाता है
    और ज़िन्दगी
    फिर से अपनी पटरी पर चलने लगती है ..


    अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

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  13. वाह .....Mummy जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

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  14. रश्मि जी,
    वन्दे!
    आप बहुत अच्छा लिखती हैँ!आपकी कविताओँ मेँ चिन्तन के साथ मन की कौमलता समाई रहती है।इस सम्मिश्रण से कविता और प्रखर हो जाती है।केवल चिँतन और केवल मन के वशीभूत हो कविता बौझिल भी हो जाती है।आपके यहां शब्दोँ का नपा तुला प्रयोग कविता की खूबसूरती बढ़ाता है।इधर उधर आजकल थोक मेँ कविता लिखी जा रही है जिन मेँ शब्दोँ का बेजा इस्तेमाल हो रहा है।क्या कोई अपनी रचना के प्रति निर्मम हो पा रहा है?शायद नहीँ!जब तक कोई अपनी रचना के प्रति निर्मम नहीँ होगा तब तक उसकी कविता संस्कारित कैसे होगी?इन सब संदर्भोँ मेँ आपकी कविताएं बेहतर लगी ।बधाई!

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  15. सुन्दर अभिवयक्ति विचारों की!

    "पर ख़ामोशी

    माँ की तरह तूफ़ान का सामना करती है"

    बहुत अच्छी लगी जी,

    कुंवर जी,

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  16. तूफ़ान शांत हो जाता है
    और ज़िन्दगी
    फिर से अपनी पटरी पर चलने लगती है......bahut hi sundar, maarmik,prabhaavashaali rachna.
    subhakaamanaayen.

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  17. सहज सरल शब्दों में एक जीवन दर्शन -सुन्दर सार गर्भित कविता !

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  18. माँ की तरह तूफ़ान का सामना करती है"

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  19. एक माँ का संयम और हौसला ही होता है जो ज़िद्दी से ज़िद्दी तूफ़ान को भी शांत करा देता है और वो एक बार फिर बिखरी बेतरतीब चीज़ों को समेट एक सुन्दर घोसला बना देती है... अपने बच्चों के लिये... ख़ूबसूरत रचना...

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  20. वाह...तूफ़ान और ख़ामोशी को एक साथ जब भी पढ़ा है ..."तूफ़ान से पहले की ख़ामोशी " इस तरह पढ़ा है ..जो काफी डरवाना रहा है ...आज पढ़ कर लगा की कलमकार..हर चीज़ को खुबसूरत कर देता है ..तूफ़ान के बाद की ख़ामोशी वाकई सब कुछ ठीक क्लारने में लग जाती है ...बेहद सुन्दर कविता

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  21. bhagwan ka diya yahi to virodhabhas, khushi deta hai.....jahan sukh hain wahan dukh bhi........jahan tufaan hai, wahan shanti bhi......bahut khub di!!

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  22. बहुत ही सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ़ है! बहुत बहुत बधाई !

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  23. जीवन दर्शन और चिंतन....इस कविता ने तूफान और खामोशी के रिश्ते में दिखा दिया.

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  24. अत्यंत अद्भुत और परिपक्व रचना, बधाई रश्मि जी|

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  25. बहुत सुन्दर जीवन दर्शन दिया है आपने
    शायद यही जीवन है

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  26. रश्मि जी ! दिल छू लेती है ! ख़ामोशी के लिए माँ से सुंदर उपमान कहाँ मिलेगा ! कविता बहुत सुंदर है ! बधाई !

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  27. Jeevan ki uthaa-patak ko chand laainon mein likh diya hai ..sach mein maa khaamosh samundar ki tarah har dard samet leti hai .. lajawaab ...

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  28. .....Toofan ki bhaywayta jhel lene ke baad jindagi chalti to hai lekin us raftaar se nahi...
    Gahare bhavon ka sashakht abhivyanjana....

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  29. प्रथमत: नमस्‍कार आदरणीय रश्मि जी

    यूं तो तूफान और खामोशी दोनो ही एक-दूसरे के विरोधी हैं फिर भी आपने इन दोनो विरोधाभासी भावों को अपने शब्‍दों के माध्‍यम से मिलाकर जो भावाभिव्‍यक्ति की है, और जो संदेश दिया है वो बेहद सराहनीय और उम्‍दा है । पढकर बेहद सुकून मिला । आपका बेहद आभार ।।

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  30. meree 100th post DARPANne aapke hastakshar kee kamee mahsoos kee . :)

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  31. तूफ़ान शांत हो जाता है
    और ज़िन्दगी
    फिर से अपनी पटरी पर चलने लगती है ..
    jindagi ki jindagi se jaddojahad ko aapki sshakta lekhni hi ujagar kar sakti hai.

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  32. तूफ़ान शांत हो जाता है
    और ज़िन्दगी
    फिर से अपनी पटरी पर चलने लगती है
    आपकी पोस्ट पढ़ी बहुत अच्छी लगी संवदनाओं से भरपूर है पर क्या करें फिर से शुरू करना ही जिंदगी जो है

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  33. तूफ़ान शांत हो जाता है
    और ज़िन्दगी
    फिर से अपनी पटरी पर चलने लगती है.............bahut khubsurat
    madam, apki rachnao se jeena sikha ja sakta hai.........bahut acha manowaigyanik aur daarshik andaaz me hoti hai apki rachnaye!!!!

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  34. जीवन में तूफान और ख़ामोशी का अस्थित्व और नाता बाखूबी उभर कर आया कविता में | हमेशा की तरह सुन्दर रचना |

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  35. WoW.. jindgi ka sabse behatareen rishta sabse khoobsoorat shabdon mein.. naman...

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  36. आदरणीया रश्मि जी, सच कहा है आपने हर तूफ़ान के आने के पीछे एक खामोशी छिपी होती है ----लेकिन तूफ़ान के गुजरते ही जीवन फ़िर पटरी पर आ जाता है---सशक्त रचना है यह आपकी।

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  37. Hi..

    Tufaan aur Khamoshi ko aapne bade bhavpurn shabdon main paribhashit kiya hai..

    Sundar, bhavpurn kavita..

    DEEPAK..

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  38. बस ख़ामोशी को apne आप को जिन्दा रखना है .....!!!

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  39. साहिलों से ही बंधी रह जाती कश्ती हमारी जो तुफानो की फ़िक्र करते,
    ज़मींदोज़ ही रह जाते ये दरख़्त आँधियों से जो खौफ्फ्जादा होते,
    हवाएं गुजरती हैं रेत के सहराओं से ऐसे,
    जीते हैं खाकनशी ज़र्रा बनके जैसे...
    -दीपेन्द्र रघुवंशी

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  40. खामोशी
    एक माँ की तरह
    तूफ़ान का सामना करती है
    और-
    तूफ़ान शांत हो जाता है.

    - सुन्दर.

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  41. माँ... आपने बहुत सुंदर और दिल को छू लेने वाली कविता लिखी है... एक माँ की तरह तूफानों का सामना करती है... इन पंक्तियों ने तो दिल को छू लिया है.... मम्मी...जी... लखनऊ पहुँच कर रेगुलर हो जाऊंगा......

    आपका बेटू.....

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  42. hello mam, bahut hi saargarbhit likhti hai aap. aapki har rachna padte hain. jinme bahut kuchh sikhne ko milta hai.

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  43. अदभुत रचना एक अंदरूनी भाव में सिमटा जिसमें शब्दों का, वाक्यों का लेखा-जोखा किसी रचनात्मकता को सोचकर जड़ा गया है। पढकर एसा लगा जैसे छुपने, कहने, करने और लड़ने को गहराई से सोचा गया है।
    जो दिखता है उसके साथ और जो अंदरूनी है, दोनों के बीच का द्धवंद नज़र आया।

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  44. बहुत ही सुन्दर और दिलचस्प रचना! आपकी कविता मुझे भी पसंद आई !!

    __________
    'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!

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  45. Tasveer dikhti hai ek sharabi, gair jimmedar zulmi shauhar ki jo toofan hai, dare sehme bache jo toofan ke aane par chhup jaatein hain,aur anargal baatein aur prataadna sehti maan jo kavita ki khamoshi hai jiska khamosh sa swaroop jeewan ko dobara shant banata hai aur tarteeb mein lata hai. Bharat mein maan itni sehansheel kaise bani rehti hai.

    aapne mukammal tasveer banai hai. Atyant marm sparshi kavita Badhai

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  46. sundar rachna rashmi ji

    तूफ़ान जिद्दी बच्चे की तरह ...
    शोर मचाता
    सबको डराता ...
    ख़ामोशी माँ की तरह
    गले लगती
    मीठी लोरी जैसा कह जाती चुपचाप ...

    ख़ामोशी और तूफ़ान ..वास्तव में कुछ यूँ ही होता है ....तूफ़ान का सामना ख़ामोशी की कर पाती है ....यूँ ही लिखती रहें ...

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  47. Ek shabd me kahun.... adbhut.
    ise likhne ke liye bahut bahut shukriya :)

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...