बड़े गंदे हो चले थे शब्द
करीने से सजाना मुश्किल हो चला था
बच्चों की तरह धूल में सनकर
शरारत से हँस रहे थे ...
मैंने भी अच्छी माँ की भूमिका निभाई
टब में पानी लिया
शैम्पू डाला
और शब्दों को उड़ेल दिया
ब्रश से रगड़ा
मुलायम तौलिये से सुखाया
पाउडर लगाया
आँखों में काजल
रेशम जैसे बालों की पौनी टेल बनाई
और माथे पर काजल का टीका लगाया
अब मेरे शब्द तैयार हैं
लग रहे हैं न सुन्दर?
अब एक फोटो हो जाये -
क्लिक !
मैंने भी अच्छी माँ की भूमिका निभाई
जवाब देंहटाएंटब में पानी लिया
जॉनसंस शैम्पू डाला
और शब्दों को उड़ेल दिया
ब्रश से रगड़ा
मुलायम तौलिये से सुखाया
पाउडर लगाया
आँखों में काजल
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बहुत खूबसूरत रचना है, माँ !
बहुत सुंदर! रश्मिजी आपकी काविताये बहुत हि सरळ और मन को छु जाणे वाली होती है. मां की एक बच्चे के जीवन में क्या अहमियत होती है आपने सहजता से प्रतिपादित कर दिया.
जवाब देंहटाएंबेहद ख़ूबसूरत कविता! आपका हर एक कविता मुझे बेहद पसंद है! लाजवाब प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंrashmi ji shabdon ko nehlana taiyar karna.. shabdon ka maa hona.. kitna bhavnatmak hai... vakai jaadu karti hain aap shabdon se
जवाब देंहटाएंसुंदर भावाभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंबस जी क्लिक कर दिया और फोटो खिंच गयी...बहुत खूबसूरत..
जवाब देंहटाएंwaah ji waah badhiyanehla dhula ke chamka diya aapne to...
जवाब देंहटाएंरश्मि जी बहुत सुंदर प्रतीक लिए हैं आपने। पर मुझे लगता है आप एक जगह चूक गईं हैं। आपने शैम्पू के साथ एक ब्रांड विशेष का नाम लिया है। मेरे ख्याल है कि हमें अपनी रचनाओं में किसी कंपनी या ब्रांड विशेष का नाम लेने से बचना चाहिए। क्योंकि यह तो अनजाने ही उस ब्रांड विशेष का विज्ञापन हो रहा है। अगर आपको मेरी बात उचित लगे तो कृपया ब्रांड नाम को कविता में से हटा दें। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं.. बहुत सुंदर !!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! रश्मिजी आपकी clicking भी अद्भुद है. विचारों से परे शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे !मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! रश्मिजी आपकी clicking भी अद्भुद है. विचारों से परे शब्दों की जादूगरी कोई आपसे सीखे !मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंशब्दों की आंखों में काजल
जवाब देंहटाएंमानवीकरण और बेहद खूबसूरत बिम्बों की मिसाल है यह रचना.
शब्द थोड़े चंचल होते हैं बहुत छकाते होंगे इस स्नान से पूर्व और स्नान के बाद शांत हो जाते होंगे.. गलत तो नहीं कह रहा हूँ मैं?
धुली हुई ... काजल लगायी हुई ... और बेहद खूबसूरत रचना
एक दिन नहलाकर चैन से मत बैठ जाईएगा...फिर गंदे हो जाएंगे. अब तो आपने इतनी दूर ब्लॉग में धकेल दिया है खेलने के लिए..!
जवाब देंहटाएं...अच्छा प्रयोग . सुंदर कविता. बधाई.
क्लिक!
जवाब देंहटाएंबढ़िया!
सचमुच माँ की ही तरह शब्दों को नहलाया , धुलाया आपने ...
जवाब देंहटाएंएक प्यार भरी चपत भी तो लगानी थी ...!!
nice
जवाब देंहटाएंमम्मी जी सोच को सलाम...
जवाब देंहटाएंI am smiling.
जवाब देंहटाएंशब्दों की यह धुली निखरी छवि बहुत सुंदर लगी ।
जवाब देंहटाएंcute nazm..
जवाब देंहटाएंchalo click kar hi lein ek pic..
say cheeez :D
आपकी कविता पढ़कर चित्र सामने आ गया ममता भरी आँखों से देखती माँ का ..क्यूट सी रचना
जवाब देंहटाएंअब एक फोटो हो जाये -
जवाब देंहटाएंक्लिक !
behad sundar...
ओ...हो तभी शब्दों से खुसबू आ रही है..और लग भी रहे है ताज़ा से...बहुत अच्छे !!!
जवाब देंहटाएंसच में शब्द तो बिखरे हुवे ही होते हैं ... आप जैसा कोई देख रेख करने वाला उनको सज़ा सकता है ... अच्छा लिखा है ...
जवाब देंहटाएंबेहद प्यारी सी रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना आभार
जवाब देंहटाएंआपके शब्द तो............क्या कहें..........शायद धुलाई कि जरुरत ही नहीं थी, आपके शब्द तो हमेश ही ऐसे लगते हैं कि अभी नहा धो कर आ रहे हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत लग रहे हैं ये साफ़-सुथरे करीने से तैयार किये शब्द... अच्छा हुआ जो काला टीका लगा दिया... नहीं तो हमारी ही नज़र लग जाती :)
जवाब देंहटाएंएक फोटो तो बनता है... क्लिक !!
Kaafi dino baad kuch different, innovative aur bahut pyaara ......ham to aksharo ki ponytail ke baare mein soch rahe hain....Lajawaab soch :-)
जवाब देंहटाएंबड़ी मासूम रचना है
जवाब देंहटाएंशब्दों की इतनी बेहतरीन प्रस्तुति----और साथ ही सुन्दर चित्र्। मनोहारी लगी आपकी यह कविता।
जवाब देंहटाएंwakai ek maa hi roop nikhaar sakti hai ,sundar .
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर एवं सरल रचना ,
जवाब देंहटाएंसच्ची ममता की झलक दिखती है I
ढेरों बधाई
मैंने भी अच्छी माँ की भूमिका निभाई
जवाब देंहटाएंटब में पानी लिया
शैम्पू डाला
और शब्दों को उड़ेल दिया
बहुत खूब!!!!!!!!!!!!!!!!
आप इतनी मेहनत करती हैं तो शब्दों को तो खूबसूरत होना ही था........
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत!
तस्वीर भी अच्छी आई है .
शुभकामनाये.....