मैं घड़े का पानी हूँ
तेरी प्यास बुझाने को
हर दिन भर जाती हूँ
सोंधी सोंधी खुशबू
सोंधे सोंधे स्वाद में डूबा
तेरा सोंधा सोंधा चेहरा
... कितना अपना लगता है !
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मैंने महसूस किया है कि तुम देख रहे हो मुझे अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...
bahut khub....
जवाब देंहटाएंchhoti lekin behtareen bhaw samete.....
geeli mitti si mehak gai ye rachnaa
जवाब देंहटाएंgaagar me saagar bhar diya rashmi ji aapne.. adbhud
जवाब देंहटाएं... बहुत सुन्दर !!!
जवाब देंहटाएंbahut sondhi mahak lagi
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बात!!!! मैं तो आज भी ज्यदातर घड़े का ही पानी पीती हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत कोमल भावना से लिखी रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
वाह ..सोंधी सोंधी महक तारो ताज़ा कर गयी
जवाब देंहटाएंसौंधी खुशबू ,
जवाब देंहटाएंसौंधा चेहरा ...
सुबह भी सौंधी -सौंधी खुशबू से भर गयी है !
यह सोंधी प्यास कभी नहीं बुझती और ऐसे घड़े का पानी कभी नहीं रीतता।
जवाब देंहटाएंसात पंक्तियों में आपने जैसे सात जन्म की बात कह दी।
ये खुशबू तो दिल मे उतर गयी।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत कुछ कहती लाजवाब रचना..
जवाब देंहटाएंनीरज
सोंधी सोंधी खुशबू
जवाब देंहटाएंसोंधे सोंधे स्वाद में डूबा
तेरा सोंधा सोंधा चेहरा
...vah bahut sundar soundhi soundhi kavita.
इस सोंधी खुश्बू ने मन मोह लिया। बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह वाह ...
जवाब देंहटाएंगागर में सागर , शुभकामनायें !
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंमशीन अनुवाद का विस्तार!, “राजभाषा हिन्दी” पर रेखा श्रीवास्तव की प्रस्तुति, पधारें
sondhi baatein hain ye..
जवाब देंहटाएंbadi hi pyaari kavita hai..sondhi si mahak liye
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंतेरा सोंधा सोंधा चेहरा
जवाब देंहटाएंकितना अपना लगता है !
अच्छी रचना...संदेश से भरी.
didi ki baato me didi ki komalta chhipi hai.......:)
जवाब देंहटाएंdidi ki baato me didi ki komalta chhipi hai.......:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंहमारीवाणी को और भी अधिक सुविधाजनक और सुचारू बनाने के लिए प्रोग्रामिंग कार्य चल रहा है, जिस कारण आपको कुछ असुविधा हो सकती है। जैसे ही प्रोग्रामिंग कार्य पूरा होगा आपको हमारीवाणी की और से हिंदी और हिंदी ब्लॉगर के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओँ और भारतीय ब्लागर के लिए ढेरों रोचक सुविधाएँ और ब्लॉग्गिंग को प्रोत्साहन के लिए प्रोग्राम नज़र आएँगे। अगर आपको हमारीवाणी.कॉम को प्रयोग करने में असुविधा हो रही हो अथवा आपका कोई सुझाव हो तो आप "हमसे संपर्क करें" पर चटका (click) लगा कर हमसे संपर्क कर सकते हैं।
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सौन्दर्यतृप्त।
जवाब देंहटाएंवाह दीदी ! कोमल भावों के पानी से घड़े बड़े ही करीने से सजाया है आपने, समा जानने को उसकी सौंधी खुशबू के लिए... भावों की तरलता, सघनता में समां कर क्या खूब माया रच रही है...साधुवाद दीदी !!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंPyaar ki pyaas ese hi bujhti hai, aur jaha pyaar waha sab apna hi apna ... ILu
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंसाहित्यकार-महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
इन सौंधी पंक्तियों के क्या कहने? बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंफ्रिज और मिनरल वाटर की बोतल में ये सोंधी सोंधी खुशबू कहाँ से आएगी ?इसी लिए आज प्यास भी बिकाऊ चीज़ बन गयी है....राजस्थान जैसे सूखे राज्य के हर कसबे में प्याऊ मिल जायेंगे,पर क्या महानगरों में ऐसा संभव है ?
जवाब देंहटाएंwaah...ati uttam bhaav aur abhivyakti, badhai rashmi ji.
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