बहुत प्यार किया था राधा ने तुमसे
तुम्हारी बांसुरी से
कदम्ब की डार से
यमुना के किनारे बैठी रही
सुधबुध खोये
नहीं थी परवाह उसे ज़माने की
ना घरवालों की
वो तो दीवानी थी बस तेरे नाम की
कहाँ खबर थी उसे उन आँधियों की
जो ले जाएगी कृष्ण को उससे दूर
....
कृष्ण तुम गए
रथ के आगे लेटी थी राधा
तो एक सूत्र थमा दिया था तुमने
'मेरे नाम से पहले तेरा नाम होगा'
इस एक सूत्र को परिणय सूत्र बनाया राधा ने
कभी अपने द्वार नहीं बन्द किये
जाने कब कृष्ण आए
दिया (विश्वास) जलता रहा
अँधेरा देख कृष्ण लौट न जाएँ
इस आस में जीवन वार दिया ...
रुक्मिणी, सत्यभामा ...
कहीं तो तुम्हें ठौर नहीं मिला
लौटे थे गोकुळ...
राधा के लिए
या खुद के लिए ?
बड़ा मुश्किल प्रश्न है ना कृष्ण ?
...........
सत्य है यही कि
राधा और कृष्ण ही सत्य रहे
कोई उस सत्य को मिटा नहीं पाया
मृत्यु पर विजय पाकर
तुम जन्म लेते रहे
राधा ने भी अनुसरण किया
फिर क्यूँ राधा को छोड़ा
फिर वही कहानी क्यूँ दुहराई ?
क्या राधा की प्रतीक्षित आँखों का मोह नहीं तुम्हें ?
क्या तुम्हारे राज्य-यज्ञ में
हमेशा उसे अपनी आहुति देनी होगी?
युग बदल गए,
लोग बदल गए
अब तो ठहरो कृष्ण
प्यारी राधा की इतनी परीक्षा !
....
आखिर क्यूँ कृष्ण ?
rashmi di ! aaz to mere man kee baat kah di aapne .bahut hi sateek prashn uthaya hai
जवाब देंहटाएंbehtareen.
अच्छी कविता ...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
सही समय पर सही सवाल। जय राधेश्याम।
जवाब देंहटाएंप्रगट का सत्य तो यही है और अप्रगट किसी ने देखा नही …………………चाहे दोनो अभिन्न हैं मगर फिर भी विरह दंश तो सहा ही है और एक प्रश्न खडा हुआ ही है…………………आखिर क्यूँ ?
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
जय श्रीकृष्ण
bahut hi bhawuk sa prashn hai....
जवाब देंहटाएंlekin kya karein krisn hain hi aise....
aapki kavita par tippani likhi thi panki print nahin hui aapki kavita bahut achhi hai. kai salon pahle Harioadh ki kavita Radha ki samaj seva padi thi aapki kavita ki antim pn
जवाब देंहटाएंaapki kavita par tippani likhi thi panki print nahin hui aapki kavita bahut achhi hai. kai salon pahle Harioadh ki kavita Radha ki samaj seva padi thi aapki kavita ki antim pn
जवाब देंहटाएंकृष्ण हमेशा अनुत्तरित रहेंगे
जवाब देंहटाएंक्योंकि उनके पास संसार था
और राधा -
सिर्फ कृष्णमय
बहुत अच्छी बात कही है, कृष्णा से सवाल तो किया ही जा सकता है. इस अनुत्तरित प्रश्न को लिए हम इसी तरह खड़े रहेंगे और हमें उसका उत्तर नहीं मिलेगा .
जवाब देंहटाएंकृष्ण के विरह में राधा कितने ही वर्षों यूँ ही बैठीं रहीं ..न उन पर वक्त का असर हुआ और न ही मौसमों का ...
जवाब देंहटाएंकृष्ण लौटे गोकुल एक समाचार के रूप में की अब कृष्ण नहीं रहे ....
आपके प्रश्न ने भाव विह्वल कर दिया ...
राधा-कृष्ण का भावुक पक्ष।
जवाब देंहटाएं:) राधा पहले से ही विवाहित थीं.. कृष्ण के प्रेम में पड़ने से पहले ही सांसारिक रूप से उनकी शादी किसी और से तय हो चुकी थी.. (ऐसा पढ़ा है..)
जवाब देंहटाएंयह उलाहना, यह प्रतीक्षा को आप ने बहुत सुंदर शव्दो मै व्यान किया, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
राधा ही नहीं, लगभग सारी गोपिकाएं विवाहित थीं, उस काल में कम उम्र में शादी होती थी, पर इस संबंध में इस बात का क्या प्रयोजन ?
जवाब देंहटाएंराधा एक विम्ब थीं नारी का , जिसका प्यार कृष्ण थे, पहले उन्होंने कृष्ण को ही देखा और जाना और वहीँ तिरोहित हो गईं ...
एक छः साल की लड़की या १० साल की लड़की विवाहित है, ये समाज जानता है, वह नहीं ...
जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंए़क मार्मिक कविता ... राधा कृष्ण के बहाने नारी मन की बात कह दी आप... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना...और इसी के साथ ही वो पंक्तिय याद आ गयी जो कृष्ण जी के ऊपर आपकी रचना में से हिंद युग्म की काव्य गोष्टी में सुनाई गयी थी.
जवाब देंहटाएंmummy ji......जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंलौटे थे गोकुळ...
जवाब देंहटाएंराधा के लिए
या खुद के लिए ?
वाकई मुश्किल प्रश्न है... पर यकीन है हर प्रश्न की तरह कृष्ण के पास इसका भी उत्तर होगा... राधा को समझा ही लेगा वो और राधा उसके प्यार में बाँवरी फिर आ जायेगी उसकी बातों में...
सदियों से यही होता आया है... शायद आगे भी यही होगा... जाने कितने जन्मों तक...
अब तो ठहरो कृष्ण
प्यारी राधा की इतनी परीक्षा !
....
आखिर क्यूँ कृष्ण ?
एक बार तो राधा के विश्वास का मान रखो...
जन्माष्टमी के शुब अवसर पर ये कविता बहुत भाई ।
जवाब देंहटाएंजय श्रीकृष्ण ।
गहन अध्ययन से उपजे...
जवाब देंहटाएंलेकिन निरुत्तर प्रश्न...
आपका लेखन हमेशा श्रेष्ठ होता है...
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत अच्छी कविता..
जवाब देंहटाएंश्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
एक मान रखने पर यशोधरा ने राहुल को दे दिया , राधा की नियति .... प्यार मान तो चाहता ही है
जवाब देंहटाएंराधा ने कभी अपने द्वार बंद नहीं किये ...
जवाब देंहटाएंअँधेरा देख कही लौट ना जाये ..
भावविभोर हूँ ...
राधा की अंतहीन परीक्षा ...
हाँ ..बोलो तो कृष्ण ...क्यूँ ..??
प्यार मान तो चाहता ही है...कितने लोंग समझते हैं इस बात को ...!
जन्माष्टमी की बहुत शुभकामनायें ..!
बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंहिन्दी भारत की आत्मा ही नहीं, धड़कन भी है। यह भारत के व्यापक भू-भाग में फैली शिष्ट और साहित्यिक भषा है।
बहुत सुन्दर रचना...श्री कृष्ण-जन्माष्टमी पर ढेर सारी बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएं________________________
'पाखी की दुनिया' में आज आज माख्नन चोर श्री कृष्ण आयेंगें...
bahut sundar kavitaa...
जवाब देंहटाएंkrishna uttar nahi dete naa radha ko..aur na meri draupadi ko
फिर क्यूँ राधा को छोड़ा
जवाब देंहटाएंफिर वही कहानी क्यूँ दुहराई ?
क्या राधा की प्रतीक्षित आँखों का मोह नहीं तुम्हें ?
...बहुत सुन्दर कविता लिखी आपने.... खूबसूरत अभिव्यक्ति.
श्री कृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें.
अच्छी कविता ...
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
लौटे थे गोकुळ...
जवाब देंहटाएंराधा के लिए
या खुद के लिए ?
बड़ा मुश्किल प्रश्न है ना कृष्ण ?
..naari man kee gahree vedana...
..kayee anutarit sawal, jo aaj bhi hamare samne muhn bayen khade hai....
Janamashtmi kee haardik shubhkamnayne
श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई, ढेरों शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंमार्मिक लेकिन शाश्वत प्रशन उठाया है आपने...जवाब दोगे क्या कृष्ण?
जवाब देंहटाएंनीरज
भावमय और मार्मिक रचना है। श्री कृष्ण जन्माष्ठमी की सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई,
जवाब देंहटाएंउफ़्फ़... बहुत ही गहन प्रश्न... पर कृष्णजी ने कभी जबाब नहीं दिया... जब हमने घनानंद को पढ़ा था तब भी हमें यही प्रश्न कौंधा था...
जवाब देंहटाएंराधा और कृष्ण अलग कब थे .राधा कृष्णमय थी और कृष्ण राधामय .दोनों को समझने के लिए इनका जैसा प्यार करना होगा मेरी प्रार्थना है की कोई इन्हें अलग न करे .राधा आज भी कृष्ण के साथ है
जवाब देंहटाएंआपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! उम्दा प्रस्तुती!
bhaut sunder bhav ..aur mauka bhi
जवाब देंहटाएंराधा किसी एक स्त्री का नाम नहीं !
जवाब देंहटाएंबिल्कुल.... राधा एक प्रतीक है त्याग, प्रतीक्षा का , प्यार का
जवाब देंहटाएंप्राचीनता को आधुनिक परिधान में देखकर आश्चर्य चकित हूँ, राधा प्रेम, त्याग, प्रतीक्षा का प्रतिबिम्ब रूप हैं, कृष्ण एक आध्यात्म तत्व.
जवाब देंहटाएंराधा ने एक बार प्रश्न किया कृष्ण से- तुमने प्रेम मुझसे किया तो विवाह रुक्मणि से क्यों..?
कृष्ण ने उत्तर दिया - विवाह के लिए दो व्यक्तियों का होना अनिवार्य है, बताओ तो हममें से दूसरा कौन है....
जहाँ तक मैं समझती हूँ, आपने यहाँ युगों से चले आ रहे इस प्रश्न को आज से जोड़ा है...
दीदी! प्रणाम के साथ शुभकामनाएं...
सत्य है यही कि
जवाब देंहटाएंराधा और कृष्ण ही सत्य रहे
कोई उस सत्य को मिटा नहीं पाया
मृत्यु पर विजय पाकर
तुम जन्म लेते रहे
राधा ने भी अनुसरण किया
फिर क्यूँ राधा को छोड़ा
फिर वही कहानी क्यूँ दुहराई ?
क्या राधा की प्रतीक्षित आँखों का मोह नहीं तुम्हें ?
क्या तुम्हारे राज्य-यज्ञ में
हमेशा उसे अपनी आहुति देनी होगी?
-------------------बहुत ही सामयिक और सार्थक प्रश्न उठाये हैं आपने अपनी इस कविता के माध्यम से। खूबसुरत रचना।
bahut hi khoobsurat likha hai aapne,.........
जवाब देंहटाएंbahot hi achhi kavita hai jo aaj tak kisi ne nai pucha vo aapne puchkar radha k dukh se duniya ko aaymsaat karvaya hai....................
जवाब देंहटाएंits grt jiiiiiiiiiiii
आखिर क्यूँ कृष्ण ?... बहुत सुन्दर प्रश्न .. भावपूर्ण रचना के लिए बधाई रश्मि जी !
जवाब देंहटाएं