21 अगस्त, 2011

अतिरिक्त समझकर क्या होगा



जब धर्म का नाश तब 'मैं'
मैं यानि आत्मा
अमरता वहाँ जहाँ देवत्व
देवत्वता यानि सूक्ष्मता
सूक्ष्मता - कृष्ण
कृष्ण - सत्य
.....
खोज तो तुम रहे हो
कौन यशोदा , कौन राधा
राधा तो फिर रुक्मिणी क्यूँ
देवकी को क्या मिला
चिंतन तुम्हारा
उत्तर तुम्हारा
युगों का संताप तुम्हारा
....
गीता के शब्दों की व्याख्या
कौन करेगा ...
अपने अपने मन की व्याख्या असंभव है
तो गीता तो सूक्ष्म सार है
.... सूक्ष्म को व्याख्या नहीं चाहिए
वह है , रहेगा
जब जो उसे खुद में ले ले ...
सबकुछ खुला है -
जन्म लेना है
जाना है
प्रकाश दोनों तरफ है
मध्य में उसे बांटना है
बांटा तो गीता का सार
समेटना चाहा तो भटकाव ...
..... कृष्ण को अतिरिक्त समझकर क्या होगा
कथन से कथन निकालकर क्या होगा
वह जो था
वह है
वही रहेगा ..............

27 टिप्‍पणियां:

  1. गीता के शब्दों की व्याख्या
    कौन करेगा ...
    अपने अपने मन की व्याख्या असंभव है
    तो गीता तो सूक्ष्म सार है ! आभार...

    जवाब देंहटाएं
  2. ज्ञान सदैव अन्दर से आता है...कृष्ण आत्मसात करने वाली चीज़ हैं...समझ से परे...

    जवाब देंहटाएं
  3. 'सूक्ष्मता - कृष्ण
    कृष्ण - सत्य
    .....
    खोज तो तुम रहे हो
    कौन यशोदा , कौन राधा
    राधा तो फिर रुक्मिणी क्यूँ
    देवकी को क्या मिला '
    आज फिर एक बार......... कृष्ण तो स्वयं अन्याय अन्यायी के विनाशक के प्रतीक रहे हैं.जब तक सबने सहा ...पाप बढ़ा.सुदर्शन उन्होंने उठाया मात्र तात्कालिक पाप या पापियों के विनाश के लिए ही तो नही था?आज भी कितना समसामयिक है उनका जीवन.
    विचलित हो उठती हूँ............नही...बह जाती हूँ दूर कहीं और खुद को कालिंदी के तट पर पाती हूँ.
    राधे,यशोदा ,मीरा बना दिया उसने.रुकमनी नही बनी.बनाना भी नही चाहा.प्रेम की गहन अनुभूति उनके प्यार में मैंने नही पाया.बस...मैंने...इसीलिए कभी उनके प्रेम की गहराई को मापना भी नही चाहा.
    अपने कृष्ण के नाम भर पढ़ कर मैं भावुक हो उठती हूँ.'उसने' मुझे प्रेम करना सिखाया.और धीरे ईर्ष्या,द्वेष,ग्रीना से दूर होती गई.चाहूँ तो भी नही कर सकती. मिन्नी! बहुत गहरा लिखती हो और 'इस' नाम ने मुझे भीतर तक्क भिगो दिया जैसे .....तुम्हारी इस कविता ने.
    कृष्ण नाम जीवन जीने की एक शैली का भी है बाबु! उसे जिए तभी इस नाम को लेना....पूजना सार्थक है न? मेरी अपनी सोच है यह....ऐसीच हूँ मैं तो.
    'उसने'मुझे 'उसमय' बना दिया है प्यार.

    जवाब देंहटाएं
  4. apni-apni udhedbun me lipta hua insan bas apne apne najariye se dekhta chala ja raha hai...jo ho gaya vaisa ab kabhi nahi hoga krishna ke sampoorna jeevan ke arth ko bas vishleshak ban kar samajhna kathin hai...yatharth kah diya apne maa....

    जवाब देंहटाएं
  5. रहस्यवादी कृष्ण , उतनी ही रहस्यवादी कविता की पंक्तियाँ गूढ़ अर्थ समेटे

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रकाश दोनों तरफ है
    मध्य में उसे बांटना है
    बांटा तो गीता का सार
    समेटना चाहा तो भटकाव ...

    वह जो था
    वह है
    वही रहेगा .........

    गहन चिंतन ..

    जन्माष्टमी की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  7. किसी व्यक्ति विशेष को समझने की आवश्यकता नहीं है, कृष्ण ने भी स्वयं को नहीं अपितु स्व (आत्म) को समझाया है। और इसी बात पर सारे महापुरुष जोर देते हें कि स्वयं को जानो, सब कुछ जान जावोगे। बुद्ध ने भी कहा- ‘अप्प दीपो भव’...आपकी प्रस्तुति एक चिन्तन को आधार देती है...बहुत-बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही गहन चिंतन सोचने को मजबूर करती हुई प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. बांटा तो गीता का सार
    समेटना चाहा तो भटकाव ...
    ..... कृष्ण को अतिरिक्त समझकर क्या होगा
    कथन से कथन निकालकर क्या होगा
    वह जो था
    वह है
    वही रहेगा ..............
    बहुत गहन चिंतन से उपजे भाव.....
    सब कुछ मन के अन्दर ही है ....स्पष्ट राह है ...हम जो चुन लें....!!
    दार्शनिक प्रस्तुति के लिए आभार......!!

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार .

    जवाब देंहटाएं
  11. गहन चिन्तन की सुन्दर अभिव्यक्ति।
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  12. मैं यानि आत्मा
    अमरता वहाँ जहाँ देवत्व
    देवत्वता यानि सूक्ष्मता
    सूक्ष्मता - कृष्ण
    कृष्ण - सत्य.....

    अद्भुत चिंतन है है दी...
    अपने अपने मन की व्याख्या असंभव है
    तो गीता तो सूक्ष्म सार है....

    वाह....
    यह तो प्रकाश की और यात्रा है....
    जय श्रीकृष्ण...
    सादर बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  13. di ,great philosophy ...very nice ..
    kuchh problem hai ,hindi me nahi likh paa rhee hu ,sorry (......

    जवाब देंहटाएं
  14. जन्माष्टमी की शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही गहन चिंतन लिए सुन्दर अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  16. बांटा तो गीता का सार ...
    समेटा तो भटकाव ...
    मानव रूप में जन्मे कृष्ण के दैवीय स्वरुप में मनुष्य को जो आध्यात्मिक ज्ञान दिया , उस पर विचार आवश्यक है!
    कृष्ण चरित्र का सार्थक चित्रण !
    आभार एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  17. कृष्ण को अतिरिक्त समझकर क्या होगा
    कथन से कथन निकालकर क्या होगा
    वह जो था
    वह है
    वही रहेगा ..............
    यही सच है .
    विचार करने को मजबूर करती रचना

    जवाब देंहटाएं
  18. boht sunder likha hai rashmi ji... aapko dhero bhadahiya shri krishn janmashtami ki

    जवाब देंहटाएं
  19. प्रकाश दोनों तरफ है
    मध्य में उसे बांटना है
    बांटा तो गीता का सार
    समेटना चाहा तो भटकाव ...
    प्रत्‍येक शब्‍द गहन भाव लिये हुये ...बेहद सशक्‍त अभिव्‍यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  20. गहराई लिए पर स्पष्ट सन्देश देती रचना ... गहरे चिंतन से उपजी ...

    जवाब देंहटाएं
  21. . कृष्ण को अतिरिक्त समझकर क्या होगा
    कथन से कथन निकालकर क्या होगा
    बहुत सुन्दर. कृष्ण की व्यापकता और समग्रता को समेटे हुए.

    जवाब देंहटाएं
  22. प्रकाश दोनों तरफ है
    मध्य में उसे बांटना है
    बांटा तो गीता का सार
    समेटना चाहा तो भटकाव ...
    ..... कृष्ण को अतिरिक्त समझकर क्या होगा
    कथन से कथन निकालकर क्या होगा
    वह जो था
    वह है
    वही रहेगा ..............
    bahut sundar ,krishn janmashtami ki badhai .

    जवाब देंहटाएं
  23. प्रकाश दोनों तरफ है
    मध्य में उसे बांटना है
    बांटा तो गीता का सार
    समेटना चाहा तो भटकाव ...
    एक दम सही विचार,चिंतन है या नहीं यह मैं नहीं कह सकती मगर गहन विचार जरूर है जिस पर वास्तव में विचार किया जाना चाहिए

    जवाब देंहटाएं
  24. वाह क्या खूबसूरत व्याख्या की है बहुत ही सुन्दर |

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...