24 अगस्त, 2011

जाने हुए अनजाने लेफ्टिनेंट



वह .... किसी का बेटा
कमीशंड हुआ ... पोस्टिंग ...
और अब
सबकुछ ठहर गया !
यूँ ठहरा हुआ वक़्त भागता ही नज़र आता है
पर मैं खुद से मजबूर
उसे अपनी मुट्ठियों में भींच लेती हूँ
.... आंसू कभी मुक्त
आँखें कभी बंजर -
देखते ही देखते सारे इंतज़ार ख़त्म
और - यादें उदासी थकान ...

लोग अपने दर्द से निजात चाहते हैं
मैं अनदेखे दर्द को जीती हूँ
ढूंढती हूँ शून्य में उन दृश्यों को
जो पलभर पहले
नए ख़्वाबों के पंख लिए निकले थे
आत्मविश्वास की चाल
खुद पे नाज की मुस्कान ....
... ओह कितनी मीठी सी मुस्कान थी
उन आँखों की !
अगली छुट्टी में कितना कुछ करना था
सच तो है जाना ...
पर यूँ जाना ?
माँ कैसे मानेगी इसे
पहली छुट्टी में बेटे के हाथों
फरमाइश की फेहरिस्त देकर
खुद पर उसे भी तो इतराना था !
... दोष किसका ?
उसका जिसने अपने बेटे को फ़ौज में भेजा
या अनंत दुश्मनी का ...
कोई उत्तर नहीं चाहिए मुझे
यह तो मेरे एकांत की बड़बड़ाहट है !!!
भारी भरकम कुछ भी बोलकर क्या होगा ...
मेरे जाने हुए अनजाने लेफ्टिनेंट
क्या सम्मान दूंगी तुमको
बस मैंने तुम्हारी आँखों में थिरकती हँसी को
अपने गले लगाया है
और ..... तुम्हारी माँ का सर सहलाया है
क्योंकि इसके सिवा कुछ भी नहीं मेरे पास
कुछ भी नहीं

32 टिप्‍पणियां:

  1. मार्मिक कविता... देश सेवा के लिए माँ बेटे दोनों को बहुत कुछ गवाना पड़ता है.. सुन्दर कविता के लिए बधाई...

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  2. बस मैंने तुम्हारी आँखों में थिरकती हँसी को
    अपने गले लगाया है
    और ..... तुम्हारी माँ का सर सहलाया है
    क्योंकि इसके सिवा कुछ भी नहीं मेरे पास
    कुछ भी नहीं
    shabd nahi kuchh kahne ko ,nami si bikhar gayi ,aap kamaal ka likhti hai .

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  3. एक फ़ौजी की माँ...बीवी..बहिन...बच्चों को बहुत कुछ सहना होता है...आपने इस अकविता में वो दर्द समेट लिया है ...बधाई !!

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  4. मार्मिक अभिव्यक्ति समर्पण भाव,,,,

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  5. बहुत मार्मिक प्रस्तुति...आँखें नम कर गयी..

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  6. उसका जिसने अपने बेटे को फ़ौज में भेजा
    या अनंत दुश्मनी का ...
    कोई उत्तर नहीं चाहिए मुझे !

    Aabhar...

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  7. मार्मिक,हृदयस्पर्शी.
    बहुत भावुक कर गई आपकी सुन्दर प्रस्तुति.

    आभार.

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  8. उसका जिसने अपने बेटे को फ़ौज में भेजा
    या अनंत दुश्मनी का ...
    कोई उत्तर नहीं चाहिए मुझे !


    beshak uttar hota hi nahee

    जवाब देंहटाएं
  9. क्या सम्मान दूंगी तुमको
    बस मैंने तुम्हारी आँखों में थिरकती हँसी को
    अपने गले लगाया है
    और ..... तुम्हारी माँ का सर सहलाया है
    क्योंकि इसके सिवा कुछ भी नहीं मेरे पास
    कुछ भी नहीं

    मर्म को शब्दों में बाँधा है
    नम हुआ जाता ये काँधा है.

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  10. एक फौजी के परिजनों के मन के भाव को शब्दों में खूब पिरोया ...
    भावुक कर गयी पोस्ट!

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  11. देश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
    वाहबहुत सुंदर रचना.!!!!!!
    भावात्मक प्रस्तुति...
    आपका बहुत बहुत आभार!!!

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  12. देश के कार्य में अति व्यस्त होने के कारण एक लम्बे अंतराल के बाद आप के ब्लाग पे आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
    वाहबहुत सुंदर रचना.!!!!!!
    भावात्मक प्रस्तुति...
    आपका बहुत बहुत आभार!!!

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  13. बहुत मार्मिक प्रस्तुति ... बस भावनाओं को महसूस कर रही हूँ ..

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  14. सबसे पहले तो मां की भावनाओं और उनकी लेखनी को नमन ...
    मेरे जाने हुए अनजाने लेफ्टिनेंट
    क्या सम्मान दूंगी तुमको
    बस मैंने तुम्हारी आँखों में थिरकती हँसी को
    अपने गले लगाया है
    और ..... तुम्हारी माँ का सर सहलाया है
    क्योंकि इसके सिवा कुछ भी नहीं मेरे पास
    कुछ भी नहीं
    बिल्‍कुल सच कहा है आपने मां जवाब नहीं मांगती किसी से, लेकिन एकांत में हर पल जो वह समेटती है...बुनती है ..खोजती है .. सूनेपन में भी कुछ, वह शायद बिल्‍कुल ऐसा ही होता होगा ..जैसा आपने कहा ...बहुत-बहुत ही अच्‍छा‍ लिखा है ...!!!

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  15. मैंने कुछ अच्छा नहीं लिखा है , बल्कि वह दुःख जिया है जिसमें एक माँ है - इसी शनिवार को कश्मीर की पहली पोस्टिंग में
    लेफ्टिनेंट नवदीप शहीद हो गए और सबकुछ ख़त्म ---- यह कविता नहीं , मेरी हिचकियाँ हैं

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  16. maaa ka dil bachche ke liye sirf dua hi kar sakta hai...saath hi ek fauji ki maa hi hoti hai jo apne komal hriday ko shishunn kar apne bachche ko seema pe bhejti hai, desh sewa ke liye...!!

    kavita pe kya comment karun...uske liye to ***** (five star):)

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  17. रचना पढ़ते हुए माँ के छिपे हुए दर्द का एहसास होता है...कभी दिखती है उस दर्द की छटपटाहट...कभी उसी दर्द को पीकर बेटे की खुशी के लिए चेहरे पर आती है मुस्कुराहट..

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  18. रचना पढ़ते हुए माँ के छिपे हुए दर्द का एहसास होता है...कभी दिखती है उस दर्द की छटपटाहट...कभी उसी दर्द को पीकर बेटे की खुशी के लिए चेहरे पर आती है मुस्कुराहट..

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  19. Ye Lft. Navdeep...kaun hain di.....
    aapki kavita pr kya tipni dun....aap hi batayia...khud bhi ek ma hun.... isliye nahin rok pa rahi khud ke bhi ansu.....us ma ko salam ...jisne itna bada dil rakh kr apne bete ko Bharat Ma ki raksha ke liye bheja....

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  20. मार्मिक और हृदयस्पर्शी ....

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  21. मर्मस्पर्शी रचना...... फौजी का मन और उसके परिजन कि पीर बखूबी बयां कि आपने.... आदरणीया बेहतरीन कविता !!!

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  22. अच्छे से समझ सकता हूँ इस कविता का भाव

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  23. सुंदर अभिव्यक्ति. अच्छी लगी यह कविता

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  24. देश के हित में सबका हित छिपा रहता है।

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  25. लोग अपने दर्द से निजात चाहते हैं
    मैं अनदेखे दर्द को जीती हूँ

    dard ko jeena bahut mushkil hai
    par fir hum sabhi ko jeena hi padta hai

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  26. apki hichkiyan meri ankhon mei utar ayi hain...gale mei dard bhi ho raha hai...khud ko rokne ki cheshta kerne per...
    ye koi kavita nahi hai...kisi ki aapbeeti hai...kehna chahti thi ki ye lines bahut sunder lagin....भारी भरकम कुछ भी बोलकर क्या होगा ...
    मेरे जाने हुए अनजाने लेफ्टिनेंट
    क्या सम्मान दूंगी तुमको
    बस मैंने तुम्हारी आँखों में थिरकती हँसी को
    अपने गले लगाया है
    और ..... तुम्हारी माँ का सर सहलाया है
    क्योंकि इसके सिवा कुछ भी नहीं मेरे पास
    कुछ भी नहीं

    lekin is samay shabd bemani hain... ek maan hoon to bahut achhae se samajh sakti hoon... bahut dard ho raha hai mujhae... aisa mat likha kijiyae...plz...

    lo vedna tapak hi gayi ankhon se....

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