26 अगस्त, 2011

हाशिये पर



सत्य और कथा ...
दो अलग पाट हैं जीवन के
अनुमान का जल
न सत्य को उद्भाषित कर पाता है
न कथा के मूल को ... !
लकड़ी की नाव से
इस किनारे से उस किनारे तक जाने के मध्य
जीवन भी है और मृत्यु भी...
न जीवन का वक़्त है न मृत्यु का
तुम्हारी जिजीविषा तुम्हारी चाह
नदी के दोनों पाट पर महल तो खड़े करते हैं
पर महलों में प्राण प्रतिष्ठा हो ही
यह कौन कह सकता है !
किसी सन्नाटे को चीरना यदि आसान होता
तो दर्द का लम्हा घातक न होता ....
खोना ... खोते जाना ...
जीवन चक्र कहो या जीवन सार
!!!
किसने कितना खोया
किसके दर्द का आधार था
कौन सा दर्द निराधार .... कैसे तय होगा ?
... सच है - तुमने गुलाब उगाये थे
मैंने कैक्टस लगाए ....
कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
कैक्टस से दूर रहे
और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
लहुलुहान हुए -
अब इसमें समझदारी और बेवकूफी की बात का
कौन सा पलड़ा लोगे !
प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
वह तो एक अक्षुण सत्य है
जो किसी किसी के हिस्से आता है ....
अपनी बनाई चौखट से
तुम जो भी जोड़ घटाव करो
पर उसकी चौखट के आगे
तुम भी हाशिये पर हो .... !!!

37 टिप्‍पणियां:

  1. . सच है - तुमने गुलाब उगाये थे
    मैंने कैक्टस लगाए ....
    कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
    कैक्टस से दूर रहे
    और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
    लहुलुहान हुए -
    बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  2. किसने कितना खोया
    किसके दर्द का आधार था
    कौन सा दर्द निराधार .... कैसे तय होगा ?
    ... सच है - तुमने गुलाब उगाये थे
    मैंने कैक्टस लगाए ....
    कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
    कैक्टस से दूर रहे
    और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
    लहुलुहान हुए -

    bahut sunder ...

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  3. प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ ,... वह तो एक अक्षुण सत्य है ! Ilu Maa...!

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  4. प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....
    अपनी बनाई चौखट से
    तुम जो भी जोड़ घटाव करो
    पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो .... !!!


    pyar samajhdar hota to haashiye aur chaukhton ki seemaye soch pata.
    aaj koi haashiye par ho ya apni hi chaukhat ke chakrvyooh me use vahi sab kuchh bhogna padta hai jo uski takdeer tay kar deti hai. halanki karmath insaan takdeer ko nahi maante lekin ye takdeer usi upar wali ki likhi hui hai aur agar us upar wale ki ye baat aatmsat kar li jaye ki 'tum kya laye the jise tum kho k dukhi hote ho' to aise nirlipt bhaav le kar usi takdeer se upar uthne ki himmat bhi deti hai..ab ye insan ke upar hai ki vo kaisi soch nirdharit karta hai.

    sunder gehen abhivyakti.

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  5. सच है - तुमने गुलाब उगाये थे
    मैंने कैक्टस लगाए ....
    कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
    कैक्टस से दूर रहे
    और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
    लहुलुहान हुए -
    अब इसमें समझदारी और बेवकूफी की बात का
    कौन सा पलड़ा लोगे !
    प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....
    अपनी बनाई चौखट से
    तुम जो भी जोड़ घटाव करो
    पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो .... !!!
    rashmi ji aapki rachna ko padhne ka alag aanand hai ,adbhut .bata nahi sakti

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  6. किसने कितना खोया
    किसके दर्द का आधार था
    कौन सा दर्द निराधार .... कैसे तय होगा ?

    कोई मापदंड नहीं है इसका ... गहन भाव लिए हुए अच्छी अभिव्यक्ति

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  7. सच है - तुमने गुलाब उगाये थे
    मैंने कैक्टस लगाए ....
    कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
    कैक्टस से दूर रहे
    और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
    लहुलुहान हुए -...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...आभार

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

    प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....
    अपनी बनाई चौखट से
    तुम जो भी जोड़ घटाव करो
    पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो .... !!!

    जवाब देंहटाएं
  9. तुम जो भी जोड़ घटाव करो
    पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो .... !!!
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  10. प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....

    बिल्कुल सच कहा आप ने
    "ये वो नग़मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता"
    बहुत ख़ूब !!

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  11. कई सन्दर्भ के साथ अर्थ दे रही है और यही है कविता की सफलता.

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  12. प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....और जिनके हिस्से आता है वो खुशनसीब होते हैं.........बहुत सुन्दर!!

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  13. पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो ....

    हाशिए पर होना तकलीफदेह होता है पर यह भी सच है कि हाशिए पर खड़ा कोई मुख्य धारा को विचलित करता ही रहता है वह धारा हमेशा इसी उम्मीद में रहती है कि हाशिए से उठकर मुख्यधारा में शामिल हो जाए तभी तो ...आपने कहा
    प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है

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  14. रश्मि जी बहुत बेहतरीन कविता है आपको बधाई

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  15. तुमने गुलाब उगाये थे
    मैंने कैक्टस लगाए ....
    कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
    कैक्टस से दूर रहे
    और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
    लहुलुहान हुए.

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  16. अब इसमें समझदारी और बेवकूफी की बात का
    कौन सा पलड़ा लोगे !
    प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....

    ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. अब इसमें समझदारी और बेवकूफी की बात का
    कौन सा पलड़ा लोगे !
    प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....
    हर पंक्ति गहनता लिये हुये ...सटीक एवं सार्थक लेखन ।

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  18. अक्षुण सत्य कभी चौखट व हाशिये में समेटा नहीं जाता है. आह ! बहुत सुन्दर..

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  19. दी , प्यार तो बस प्यार होता है और कुछ नहीं ..... सादर !

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  20. सत्य सदा ही कल्पना से चोट खाता है।

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  21. सत्य को अनुभव कर के ही सीखा जाता है .. बेहद प्रभावी ...

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  22. अपनी बनायी चौखट से तुम कितने भी जोड़ -घटाव करो ,
    प्रेम के आगे सब हाशिये पर ही तो होंगे !
    सुन्दर !

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  23. प्यार न समझदार होता है न बेवखुफ़
    वह तो एक अक्षुण सत्य है .........
    पर समझदार लोग प्यार से बचते हुये देखे
    जा सकते है !
    बहुत बढ़िया..... अंतिम चार लाइन में सारा सार
    आ गया है !

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  24. अपनी बनाई चौखट से
    तुम जो भी जोड़ घटाव करो
    पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो .... !!!

    adbhud.....wah.

    जवाब देंहटाएं
  25. सत्य की कथा की अदभुत और प्रभावशाली प्रस्तुती...

    जवाब देंहटाएं
  26. तुम जो भी जोड़ घटाव करो
    पर उसकी चौखट के आगे
    तुम भी हाशिये पर हो .... !!!


    सुन्दर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  27. rashmi di
    bahut hi gahre aur kai artho ko apne me samete hue aapki yah post ek viddvan darshnik jaisi hai .
    bahut hi khooblikha hai aapne .
    bhavishhy koi nahi janta nav par baithne wale ke liye bhi yah nishchit nahi hai ki vah apne gantaby tak pahunch payega bhi ya nahi.kyonki chalak to upar wala hi haota hai.
    bahut se bhavo ka manthan karti aapki yah prastutiaapki gahnasoch ko darshata hai.

    bahut bahut badhi
    sadar naman
    poonam

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  28. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  29. प्यार न समझदार होता है न बेवकूफ
    वह तो एक अक्षुण सत्य है
    जो किसी किसी के हिस्से आता है ....

    वाह...कितनी सच्ची बात कही है आपने...अप्रतिम रचना...बधाई स्वीकारें.

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  30. गहन ह्रदय तक उतरती हुई अनमोल रचना ...!!

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  31. अपनी अपनी दुनिया , अपना अपना सच ... पर कुछ तो अक्षुण्ण है जैसे प्रेम ! बहुत अच्छी रचना

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  32. आपकी किसी पोस्ट की चर्चा शनिवार ३-०९-११ को नयी-पुरानी हलचल पर है ...कृपया आयें और अपने विचार दें......

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  33. ... सच है - तुमने गुलाब उगाये थे
    मैंने कैक्टस लगाए ....
    कैक्टस के सत्य से परिचित लोग
    कैक्टस से दूर रहे
    और गुलाब के अप्रतिम सौन्दर्य में
    लहुलुहान हुए -

    bahut hi sundar prastuti hai ye panktiya...

    aabhar
    Fani Raj

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