30 मार्च, 2012

...जो उत्तर मिले मैं हूँ !



मुझे जानना हो तो तितली को देखो
गौरैया को देखो
पारो को देखो
सोहणी को जानो
मेरे बच्चों को देखो
क्षितिज को देखो
उड़ते बादलों को देखो
रिमझिम बारिश को देखो
बुद्ध को जानो
.............
जो उत्तर मिले मैं हूँ !

ख़ामोशी को देखो
बोलती आँखों को देखो
इस पार उस पार का रहस्य जानो
छत पर अटकी बारिश की एक बूंद को देखो
बर्फ के उड़ते फाहों से खेलो
दुधमुंहें बच्चे से ढेर सारी बातें करो
............
जो उत्तर मिले मैं हूँ !

दूर तक छिटकी चाँदनी देखो
आईने में खुद की मुस्कान देखो
रात गए सड़क से गुजरते टाँगे की टप टप सुनो
कागज़ की नाव पानी में डालो
कोई प्रेम का गीत गाओ
.............
जो उत्तर मिले मैं हूँ !

किसी नई दुल्हन को घूँघट में झांको
उसकी पायल की रुनझुन सुनो
उसकी मेहंदी से भरी हथेलियाँ निहारो
उसकी धड़कनों को सुनो
.............
जो उत्तर मिले मैं हूँ !

शाम की लालिमा को चेहरे पर ओढ़ लो
रातरानी की खुशबू अपने भीतर भर लो
पतवार को पानी में चलाओ
बढ़ती नाव में ज़िन्दगी देखो
पाल की दिशा देखो
...............
जो उत्तर मिले मैं हूँ !

कमरे को बन्द कर
उसकी चाभी कहीं गुम कर दो
उसके अन्दर अँधेरे में अपनी साँसों को सुनो
बाहर कोई नहीं है - एहसास करो
पानी नहीं है - प्यास को महसूस करो
अतीत को उन अंधेरों में प्रकाशित देखो
फिर सूर्य की पहली रश्मि को देखो
...............
जो उत्तर मिले मैं हूँ !

31 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत बहुत सुन्दर दी...........

    आनंदित हुआ मन...

    सादर
    अनु

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  2. ओह
    बहुत सुंदर रचना है। ये कविता नहीं बल्कि पूरा दर्शन है,

    कमरे को बन्द कर
    उसकी चाभी कहीं गुम कर दो
    उसके अन्दर अँधेरे में अपनी साँसों को सुनो
    बाहर कोई नहीं है - एहसास करो
    पानी नहीं है - प्यास को महसूस करो
    अतीत को उन अंधेरों में प्रकाशित देखो
    फिर सूर्य की पहली रश्मि को देखो

    सच में बहुत सुंदर

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  3. शाम की लालिमा को चेहरे पर ओढ़ लो
    रातरानी की खुशबू अपने भीतर भर लो
    पतवार को पानी में चलाओ
    बढ़ती नाव में ज़िन्दगी देखो
    पाल की दिशा देखो


    क्या गूढ़ दर्शन को कविता में उतारा है? एक सार्थक सोच की ओर जाती हुई कविता एक सन्देश देती है और वह सन्देश जीवन को एक नई दिशा में ले जाने वाला ही है.

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  4. ... अँधेरे में अपनी साँसों को सुनो
    बाहर कोई नहीं है - एहसास करो

    बड़ा धैर्य चाहिए... बार-बार कोलाहल की ओर लौटता ये मन शायद एक दिन सुन पाए... और मुझे उत्तर मिल जाय!

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  5. और कुछ नही ंतो
    बुढ़ी मां से बतियाओं
    उसकी खामोशी को सुनो
    या कि रात को रौशन करते जुगनू
    से बतियाओं
    या कि
    रात बोलते झिंगुर की भाषा समझों
    जो उत्तर मिले वह मैं हूं

    ठठा करते बरसते पानी को सुनो
    भींग जाए तनम न ऐसे मिलो
    जो उत्तर मिले वह मैं हूं

    बहुत बहुत बेहतरीन कविता, काश कि हम सब इस मेल जोल को समझ पाते, जीवन कितनी सहज हो जाती.....

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  6. पूरा जीवन दर्शन करा दिया आपने ..
    बहुत खूब !
    जो उत्तर मिले मैं हूँ ....
    बधाई!

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  7. हर आशा में..हर प्रगति में..हर मासूमियत में होना बहुत गहन अभिव्यक्ति!!

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  8. सर्वव्यापी हैं प्रभु .....बस महसूस कर सकें हम तो ....
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी .....

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  9. बहुत ही गहन भावो और गूढ़ दर्शन को बहुत खुबसूरती से उजागर किया है रश्मि जी..आभार..

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  10. सारी सृष्टि में उसके अलावा है भी क्या....

    शास्वत को अभिव्यक्त करती रचना दी...
    सादर.

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  11. आपकी कविता समय की चौखट पर एक मासूम सी दस्तक होती है. सुन्दर कविता..

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  12. कण कण में तो वो ही है..... सच कहा आपने ...बेहद सुंदर रचना

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  13. बस,लोग देखने,सुनने का समय निकाल पाएं.....
    बढ़िया अभिव्यक्ति! !

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  14. बहुत खूबसूरत दार्शनिक अभिव्यक्ति

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  15. मानो सूर्य की पहली रश्मि ने सब उत्तर दे दिया हो..

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  16. मुझे जानना हो तो ...

    अक्षरश: सत्‍य कहा .. जिन्‍दगी के दर्शन हर रूप में हो रहे हैं ...आभार

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  17. अस्तित्व को परिभाषित करती सुंदर रचना..!!

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  18. सभी उत्तरों में कहा की रश्मि प्रभा बहुत खूबसूरत हैं.... नमन आपको और इस अद्भुत रचना को...

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  19. aap itni achchi tarh uski awaaz sun bhi leti hain aur ham tak pahuncha bhi deti hain… isi ko to shaayad sant kehte hain na…? :-) saadar

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  20. गूढ़ प्रश्नों के अंतर से उत्तरों का मंथन बहुत सुंदर है.

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  21. सही उत्तर...बुद्ध मिल गया...

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  22. वास्तविक परिचय यही है...बेहतरीन रचना की
    प्रस्तुति के लिये बधाई...

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  23. जो उत्तर मिले मैं हूँ तो समझो समस्त संसार मुझमें समाहित है... सुन्दर रचना, बधाई.

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  24. sunder rachna...aaj hi aapka blog link kahin se mila, bahut khubsurat blog

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  25. पानी नहीं है - प्यास को महसूस करो
    अतीत को उन अंधेरों में प्रकाशित देखो
    फिर सूर्य की पहली रश्मि को देखो.....सभी प्रशनो का आप ही उत्तर मिली......

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