हाँ मैं कृष्ण ----
मैं तो कुछ कहता ही नहीं
कह चुका जो कहना था
गुन चुका जो गुनना था
पर तुम सब अपने बंधन में आज भी हो ...
कभी धृतराष्ट्र कभी दुर्योधन
कभी शकुनी ....
कभी कर्ण कभी अर्जुन कभी युद्धिष्ठिर !
एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
न प्रश्न न संशय न हार न जीत
बस ------ माखन और बांसुरी की धुन
.... पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
आश्चर्य !
फंसते भी खुद ही हो
और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
तो - मेरी गुहार लगाते हो !
मेरी ख़ामोशी को तुम मेरी हार समझते हो
यह तुम्हारी बेवकूफी नहीं अतिरिक्त समझदारी है
तुम चाहते हो मैं डर जाऊँ उन बन्द रास्तों से
जिसके ज़िम्मेदार तुम हो
पर मुझे बनाना चाहते हो !
....
कलयुग में तुम कितने मुखौटे बनाओगे
यह मुझे पूर्व से ज्ञात था
तुम जानबूझकर भ्रमित हो सकते हो
पर मैं भ्रमित नहीं ..
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
सर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
न मथुरा
न हस्तिनापुर
.... तुम नाहक मुझे लेकर
कुछ का कुछ सोच रहे
बेशक छल शह मात का खेल खेलो
पर मुझे मत घसीटो
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
जवाब देंहटाएंसर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
न मथुरा
न हस्तिनापुर
बहुत ही उत्कृष्ट रचना.....कृष्ण की बेला में हर शब्द को में पिरोया है ,बांसुरी की ये धुन बहुत मधुर थी
'मै' को 'कृष्णमय' करती रचना....
जवाब देंहटाएंपर मुझे मत घसीटो
जवाब देंहटाएंमुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
वाह.....बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन भाव प्रस्तुति
MY RESENT POST...काव्यान्जलि.....तुम्हारा चेहरा.
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
जवाब देंहटाएंमेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
सच कहते हैं श्रीकृष्ण जी...छल प्रपंच के साथ उनकी आराधना बेमानी है|
बहुत सुन्दर दी .....
जवाब देंहटाएं.... पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
आश्चर्य !
फंसते भी खुद ही हो
और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
तो - मेरी गुहार लगाते हो !
वाकई उलझा है आज आदमी...हम तुम भी...
सादर.
आपकी यह कविता महानायक कृष्ण के चरित्र भूत से वर्त्तमान तक नए रूप में व्याख्यायित लार्ती है.. कृष्ण, जो एक ओर गोपियों के चीर-हरण करता है - वहीं द्रौपदी की लाज भी बचाता है... मुकुट में मोर पंख लगाए गोपियों के साथ नृत्य करता है - और अर्जुन को रणभूमि में उसके कर्म का बोध कराता हुआ युद्ध को प्रेरित करता है..
जवाब देंहटाएंआपकी यह कविता उस महानायक के महाचारित्र को एक नया आयाम प्रदान करती है!!
बहुत सुंदर रश्मि दी ......सच यही है ...../इंसान अपनी गलतियां साथ वालों पर और दुःख का ज़िम्मेदार उसे ठहरता है ...पर कभी भी स्वयंम के भीतर नही देखता ..../दूसरों को पढ़ने , टटोलने में सारा वक्त ...और खुद को कभी नही ..../
जवाब देंहटाएंमिलन का सीधा सा रास्ता बता दिया,आपने.
जवाब देंहटाएंKrishna ke Saath krishnmay ho jaaye insaan to use krishn ki Bhi jaroorat nahi hogi ... Vo swayam Krishn ban jayga ... Sundar bhaav poorn rachna ....
जवाब देंहटाएंमुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
जवाब देंहटाएंमेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
:) Wah ... Bahut Sunder
एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
जवाब देंहटाएंन प्रश्न न संशय न हार न जीत
बस ------ माखन और बांसुरी की धुन
वाह ....
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
सर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
यह सर्वोपरि स्थान ही तो भूलते जा रहे हैं ... बहुत सुंदर रचना
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
कृष्ण जब भीतर प्रकट होते हैं तो ये आप्त वाणी प्रस्फुटित होती है..अति सुन्दर..
जवाब देंहटाएंपर तुम सब अपने बंधन में आज भी हो ...
जवाब देंहटाएंकभी धृतराष्ट्र कभी दुर्योधन
कभी शकुनी ....
कभी कर्ण कभी अर्जुन कभी युद्धिष्ठिर !
एक बार पूर्णतः यशोदा या राधा बनो
न प्रश्न न संशय न हार न जीत
Bahut sundar !
आध्यात्मिकता की ओर जाती यह कविता दरअसल आज की सच्चाई है.. जिसने समझ लिया, उसने कृष्ण को पा लिया, खुद को पा लिया।
जवाब देंहटाएंगोकुळ की मिट्टी का मान रखो
जवाब देंहटाएंतुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
wah....bahot achchi pangti.
मेरे कण कण का अध्ययन करो
जवाब देंहटाएंयही सत्य है ....
कृष्ण की व्यथा और कृष्ण के अस्तिस्त्व को क्या खूब उभारा है..
जवाब देंहटाएं"मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे" !!
बहुत खूब..
भगवान बनने के अपने ही नुकसान हैं. अपनी हर गलती का ठीकरा उनकी मर्जी पर फोड़ दो.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना.
. पर तुम जाल बनाने में निपुण हो
जवाब देंहटाएंआश्चर्य !
फंसते भी खुद ही हो
और जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
तो - मेरी गुहार लगाते हो !
सत्य वचन
मेरे कण कण का अध्ययन करो
जवाब देंहटाएंगोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
sarthak ...sunder rachna ...di ...!!
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
जवाब देंहटाएंसर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !....
जय श्रीकृष्ण
यथार्थ परक अद्भुत चिंतन दी...
जवाब देंहटाएंसादर।
द्वारका और वृन्दावन के बीच उलझा कृष्ण का मन।
जवाब देंहटाएंसत्यम शिवम् सुंदरम ......
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
सर्वोपरि है वह कर्तव्य...
जवाब देंहटाएंसर्वोपरि है वह एक एक क्षण...
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
सारगर्भित!
सादर
आज तक भक्त ही पुकारते नज़र आये
जवाब देंहटाएंआज यहाँ ईश्वर की फुँकार सुनाई दी हैं ....
krish ko ek naye roop me janNe ka aayina hai ye kriti.
जवाब देंहटाएंजीवन जीते हुए अपनी प्राथमिकताओं का मान रखते हुए अपने जीवन के उदेश्यों को पूरा करना ही हमारा धेय होना चाहिए .....
जवाब देंहटाएंमेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
सर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
......सुरीली रचना !
addbhut krashan bhakti me pagi sundar rachna.
जवाब देंहटाएंमुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
जवाब देंहटाएंमेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
शब्द-शब्द ऐसे जैसे मुरली की मीठी धुन कानों में रस घोल रही हो ... नि:शब्द कर दिया आपने ...आभार
फंसते भी खुद ही हो
जवाब देंहटाएंऔर जब निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलता
तो - मेरी गुहार लगाते हो !
aur
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
सर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
.....hmm... kuchh uttar milta hua lagata hai...dhanyavaad is rachna ke lie !
बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएं.... तुम नाहक मुझे लेकर
जवाब देंहटाएंकुछ का कुछ सोच रहे
बेशक छल शह मात का खेल खेलो
पर मुझे मत घसीटो
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे
PRANAM MAHABHARAT KE KALJAYI PATRON KA ADBHUT ANKAN.
मेरे लिए आज भी यशोदा का स्थान सर्वोपरि है
जवाब देंहटाएंसर्वोपरि है वह कर्तव्य
जहाँ से देवकी का मान बढ़ता है
सर्वोपरि है वह एक एक क्षण
जो मैंने राधा को
और राधा ने मुझे दिए !
न गोकुळ प्रश्नों में उलझा है
न मथुरा
न हस्तिनापुर
.....अनेक संशयों का समाधान करती एक उत्कृष्ट प्रस्तुति..आभार
यशोदा का स्थान सर्वोपरि है ...
जवाब देंहटाएंयकीनन
नए संदर्भों में उपयुक्त व्याख्या।
जवाब देंहटाएंकृष्णमय' करती सारगर्भित और सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंaapki rachna sirf ek kavita nahi par pravachan hoti hain, ishwar ka sandesh hoti hain, jeevan ke liye margdarshan hoti hain, aapki rachanayen phir se Kabeer ko zindagi deti hain… in khayalon ko hum sab se bantne ke liye shukriya arz hai, Rashmi ji. Saadar
जवाब देंहटाएंतुम नाहक मुझे लेकर
जवाब देंहटाएंकुछ का कुछ सोच रहे
बेशक छल शह मात का खेल खेलो
पर मुझे मत घसीटो
मुझसे जब भी मिलना हो सही परिप्रेक्ष्य में
मेरे कण कण का अध्ययन करो
गोकुळ की मिट्टी का मान रखो
तुम स्वयं यमुना और बांसुरी की धुन बन जाओगे.... कुछ कहने को बाकी ही नही रहा अब......