बचपन
अपने मीठे अंदाज में
कभी किलकारियां भरते
कभी ठुनकते सुबकते पीछे पीछे आता ही है ...
बस उसकी ऊँगली थाम लो
तो ज़िन्दगी के कई व्यूह खुद ब खुद टूट जाते हैं
परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है ...
मासूमियत न हो व्यवहार में
निश्छलता न हो लेने और देने में
तो भावनाएं खंडहर की शक्ल ले लेती हैं !
यदि बचपन को गोद में उठा लो
तो सौन्दर्य , शरारत , हाँ और ना
सब खूबसूरत हो जाते हैं
जीने का अंदाज बदल जाता है ....
पर यहाँ तो समझदारी की होड़ लगी है
अफरातफरी मची है
हर कोई एक दूसरे को गिराने में लगा है
अपने सर पर खुद ताज रख
हिन्दुस्तान पर इनायत करना है
भाषण में है बच्चों का लालन पालन
और दिवस दर दिवस हिमायती यादें
......
किसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
सब परेशान हैं समझदारी में
पसीने से लथपथ हैं !
एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
और इस होड़ से बाहर निकलें
वरना अंधेर ही अंधेर है आगे - ....
'किसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती'
जवाब देंहटाएंसमझदारी ने सब छीन लिया...
एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
जवाब देंहटाएंऔर इस होड़ से बाहर निकलें
आपकी यह निश्चित खुराक ... कई लोगों के जीवन का महामंत्र बन सकता है ... आभार ।
बहुत खूबसूरत रश्मिजी.. सच में हम समझदार बनने के चक्कर में रह जाते हैं और फिर होता है कि -
जवाब देंहटाएंआईना हमसे कहा करता है अक्सर
अब कहां मासूमियत वो खो गई है
बड़े होते ही हम दिल से अधिक दिमाग का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं, और समस्या यहीं होती है।
'एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें' हर मर्ज की सटीक दवा है।
परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है ...
जवाब देंहटाएंWah is pankti me hi sar chhipa hai!
DI! bahut khoobsurat rachna/ jeene ka tarika/salika batati hui!
rchna dil tak pahunchi! kamyab hai!
badhai kabule1
सच है समझदारी ने मासूमियत छीन ली है और परेशानी ओढ़ ली है. इससे बहार आना ही होगा. संदेशप्रद रचना, बधाई रश्मि जी.
जवाब देंहटाएंमासूमियत न हो व्यवहार में
जवाब देंहटाएंनिश्छलता न हो लेने और देने में
तो भावनाएं खंडहर की शक्ल ले लेती हैं !
यदि बचपन को गोद में उठा लो
तो सौन्दर्य , शरारत , हाँ और ना
सब खूबसूरत हो जाते हैं
जीने का अंदाज बदल जाता है ....
बहुत खूबसूरत !
sahi kaha aapne aur ye samjhdari aajkal bachpan ki masumiyat par bhi havi hone lagi hai..sundar rachna..
जवाब देंहटाएंसच कहा रश्मि जी ! आज लोग समझदार बनने के चक्कर में मासुमियत का गला घोटते जारहे है...बिल्कुल नये भाव से अवगत करवाया ..आभार
जवाब देंहटाएंतबते अत्ती बात तो अंत में कही आपने..चुटकी वाली:)अत्ता लगा।
जवाब देंहटाएंसच है जो जितना ज्यादा समझदार होगा, प्रभावों के तनाव चिंतन में परेशान होगा।
जवाब देंहटाएंचुटकी भर मासूमियत की पुडिया, श्रेष्ठ उपचार है।
सच कहा ..समझदारी ही सबसे बड़ी परेशानी है.
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna man ko moh gai ..
जवाब देंहटाएं"एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
जवाब देंहटाएंऔर इस होड़ से बाहर निकलें"
:)
मासूमियत न हो व्यवहार में
जवाब देंहटाएंनिश्छलता न हो लेने और देने में
तो भावनाएं खंडहर की शक्ल ले लेती हैं !
सच कहा आपने ...न उन में वह ताजगी रह जाती है ...न रिश्तों की गर्माहट ....न विश्वास का उजास !!!!!!..
सच्ची दी....
जवाब देंहटाएंबेअक्ल ही भले थे....
ignorance is bliss......
सादर
अनु
AAPKI KAVITA BAHUT SATEEK AUR SACH HAI ...SAMJHDAAR HONE ME SACH BAHUT DUSHVARIYAN HAI...
जवाब देंहटाएंयदि बचपन को गोद में उठा लो
जवाब देंहटाएंतो सौन्दर्य , शरारत , हाँ और ना
सब खूबसूरत हो जाते हैं
जीने का अंदाज बदल जाता है ....
हाँ बिलकुल सच है, सब कुछ बदल जाता है, दुनिया बहुत खूबसूरत हो जाती है ... सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आभार आपका
एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें,और खुश रहें!
जवाब देंहटाएंसच में सारी परेशानी तो समझदारी में ही है....मूर्ख इसलिए खुश रहते हैं.
जवाब देंहटाएंकिसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
जवाब देंहटाएंसब परेशान हैं समझदारी में
पसीने से लथपथ हैं !
....बिलकुल सच....समझदारी की दौड़ में हम मासूमियत बहुत पीछे छोड़ आये...आभार
http://aadhyatmikyatra.blogspot.in/
समझदार से नासमझ अच्छे...खुश तो रहते हैं|
जवाब देंहटाएंसबकुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी.. सच है दुनिया वालो कि हम हैं अनाड़ी.. मन ही मन गुनगुनाते हैं ये गीत और फिर भी सारा जीवन होशियारी में बीत जाता है.. बड़ा गहरा दर्शन प्रस्तुत किया है आपने दीदी!!
जवाब देंहटाएंvyavhaar me sabne kathorta ka aavaran pahan rakha hai masumiyat to kho hi gai hai...bahut sundar bhaav prerna deti rachna.
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत पंक्तियां है। मासूमियत का उल्लेख करने के लिए खुद के भी मन को उतना ही मासूम और उदार होना पड़ता है, तभी ऐसे शब्द निकलते हैं।
जवाब देंहटाएंएक एक शब्द और लाइने मन को छू लेने वाली है।
एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
और इस होड़ से बाहर निकलें
वरना अंधेर ही अंधेर है आगे
एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
जवाब देंहटाएंऔर इस होड़ से बाहर निकलें
सही निदान ...
सहजता से सच्ची बात कही है दी आपने...
जवाब देंहटाएंप्रभावी रचना...
सादर।
इसे संजोकर रखने को जी चाहता है।
जवाब देंहटाएंकिसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
जवाब देंहटाएंसब परेशान हैं समझदारी में
पसीने से लथपथ हैं !sahi bat......
मासूमियत ही नहीं दिखती.....
जवाब देंहटाएंशुभकमनाएं आपको !
यदि बचपन को गोद में उठा लो
जवाब देंहटाएंतो सौन्दर्य , शरारत , हाँ और ना
सब खूबसूरत हो जाते हैं
जीने का अंदाज बदल जाता है ....
बेहतरीन.सटीक रचना,...
एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
जवाब देंहटाएंऔर इस होड़ से बाहर निकलें
वरना अंधेर ही अंधेर है आगे - ....
सही नुस्खा .... सेवन करें ...ज़रूर लाभ होगा ॥ सुंदर प्रस्तुति
किसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
जवाब देंहटाएंसब परेशान हैं समझदारी में
is samjhdaari ne jeene na diya...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
जवाब देंहटाएंचर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्टस पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
किसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
जवाब देंहटाएंसब परेशान हैं समझदारी में
पसीने से लथपथ हैं !
:) Masumayit bani rahe bas....
परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है ...
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने
एक चुटकी मासूमियत का सेवन.....वाह !!!! चुटकियों में इलाज और दवा भी
जवाब देंहटाएंएक चुटकी मासूमियत ...क्या दवा है !
जवाब देंहटाएंसमझदारी का मतलब सात पर्दों को ओढ़कर जीना या कि मरना ? समझदारी तो सोचने में है जो आपने सुन्दरता से कहा है .
जवाब देंहटाएं"एक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
जवाब देंहटाएंऔर इस होड़ से बाहर निकलें"
बस सब कह दिया इन लफ़्ज़ों ने ही………बेहतरीन अभिव्यक्ति।
"यदि बचपन को गोद में उठा लो
जवाब देंहटाएंतो सौन्दर्य , शरारत , हाँ और ना
सब खूबसूरत हो जाते हैं
जीने का अंदाज बदल जाता है"
"किसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
सब परेशान हैं समझदारी में
पसीने से लथपथ हैं !"
अद्भुत भावपूर्ण रचना.. :)
itni achchi salah di hai aapne.....ab log maanen tab to.....
जवाब देंहटाएंएक चुटकी मासूमियत का सेवन करें
जवाब देंहटाएंऔर इस होड़ से बाहर निकलें
वरना अंधेर ही अंधेर है आगे - ....
बहुत बड़ा दर्शन छिपा हैं इन शब्दों में...बहुत खूब.
किसी के चेहरे पर ज़िन्दगी नहीं दिखती
जवाब देंहटाएंसब परेशान हैं समझदारी में
पसीने से लथपथ हैं ! एकदम सच है यह बात यथार्थ का आईना दिखती सार्थक प्रस्तुति....
जितना चिंतन उतनी उलझन .....
जवाब देंहटाएंवाह कितने सुन्दर भाव और सुन्दर शिक्षा ..उम्दा
जवाब देंहटाएंतभी तो कहते हैं बच्चा जाना कितना अच्छा है ...
जवाब देंहटाएंपर यहाँ तो समझदारी की होड़ लगी है
जवाब देंहटाएंअफरातफरी मची है
हर कोई एक दूसरे को गिराने में लगा है
अपने सर पर खुद ताज रख
हिन्दुस्तान पर इनायत करना है
भाषण में है बच्चों का लालन पालन
और दिवस दर दिवस हिमायती यादें
..yatharth ka sateek chintran...
सर्वाधिक डर समझदार लोगों से लगता है।
जवाब देंहटाएंपरेशानिया ,समझदारी में होती है...
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब...और सार्थक पोस्ट....
परेशानियां तो दरअसल समझदारी में है ...bahut sahi kaha aapnee kavita ke biich ye line baarbaar khichtii hai apni taraf ..bahut khoob
जवाब देंहटाएंखेले कूदे..मस्ती में नाचे
जवाब देंहटाएंबचपन की गलियों में फिर से झूम गए
सुना होगा तुमने भी
एह सखी ...कि
बचपन मेरा फिर से
तुम लौटा लाई .....अनु
sach hai badi maa, ye baat maine pichhle dino kuch jyada hi mahsoos kee ki jitne jyada samajhdaar utni jyada pareshaniyaan...
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