सत्य होना
सत्य कहना
सत्य मानना - तीन आयाम हैं
सत्य को जब नहीं मानना हो
तो धर्म,समाज,परिवार का हवाला देकर चीखना
बहुत ही आसान होता है
पर कभी कभी
खौलते तेल जैसे सत्य का सामना ज़रूरी है !!!
किसी के बच्चे को
किसी की ज़िन्दगी को
किसी के प्रेम को
नाजायज़ कहना जितना सरल होता है
उतनी सरलता उसकी सच्चाई में नहीं होती
सच के लिए तह तक जाना होता है !
जो अपनी जान गँवा देते हैं
या पूरी ज़िन्दगी जिंदा लाश बन
तथाकथित कर्तव्यों का निर्वाह करते हैं
उन्हें हम आसानी से खुदा मान लेते हैं
और उनकी व्यक्तिगत चाह से परे
उन्हें पूजा के सिंहासन पर रख देते हैं !
कृष्ण ....
जिसकी ज़िन्दगी में आँधियों ने डेरा बसा लिया
उसके मौन सांचे के आगे
छप्पन प्रकार का भोग लगा
हम अपने लिए माँगते जाते हैं
पूजा में भी स्वार्थ और स्वहित का दाव खेलते हैं !!!
राम …
कभी मर्यादा पुरुषोत्तम
कभी सीता के लिए प्रश्नों के कटघरे में
बाल्यकाल से युवा होने तक
सिर्फ परीक्षा
और कर्तव्यों के निर्वाह में -
सुख की तिलांजलि !
गर्व से कहते है -
'एक पत्नी शपथ का निर्वाह किया'
इससे परे एक प्रश्न उठता है -
उनकी ज़िन्दगी में था क्या ?
सिर्फ प्रजा !!!
बन सकोगे राम ?
नहीं न ?
इसलिए उसे सिंहासन पर बैठा दिया
और उसके नाम पर अपना घर भरते गए !
सीता !!!
सीता राजा जनक को मिलीं ....
यहाँ भी प्रश्न उठता है
क्या सीता नाजायज संतान थीं ?
वो तो राजा जनक ने गोद लिया
तो किसकी जुर्रत थी ज़ुबान खोलने की !
अयोध्या से वन गमन
अशोक वाटिका
युद्ध
अयोध्या लौटने का हर्ष
एक ऊँगली उठते पुनः वन !!!
कथा है -
सीता को धरती माँ ने दिया
तो फिर स्वीकार भी कर लिया
सत्य कहता है,
सीता फ़ेंक दी गईं
धरती पर जनक को मिलीं
और अंततः सीता ने आत्महत्या की ....
…………
इस सत्य को समझते सब हैं
पर ऐसा कहें कैसे !
धर्म आहत होगा !!
यूँ धर्म सत्य है
तो
स्त्री को सीता बनने की सलाह देने से पहले
दिल पर हाथ रखकर उत्तर देना ---
साधारण घर में धरती से उठाई गई लड़की को
सहजता से कितने लोग अपनाएँगे ?
अपनाकर अपनी महानता कितनी बार सुनायेंगे ?
अपहरण के बाद कितनी निष्ठा से बचाएँगे ?
एक ऊँगली उठने से पहले
स्वयं कैसे कैसे प्रश्न उठाएँगे ?"
ये जवाब सहज नहीं है
पढ़ते-सुनते ही लोग मुँह बिचका कर चल देंगे
या फिर किसी विकृत समूह में
विकृत ठहाके लगाएँगे !!!
सत्य होना
सत्य कहना
सत्य मानना - तीन आयाम हैं
bahut sundar di ...... !!
जवाब देंहटाएंगजब का लिखा है वाह !
जवाब देंहटाएंसत्य किताब
में तो होता है
छाप दिया जाता है
सत्य शिक्षक की
जबान में तो होता है
रटा दिया जाता है
सत्य बहुत ही
लचीला होता है
अपने हिसाब से
ढाल लिया जाता है
झूठ हर जगह
मिलता है
अपने ही घर में
सबसे पहले पाया जाता है
सत्य सत्य ही होता है
सत्य है कहना ही होता है
जब दो बात तीन में से
मान ली जाती हैं
फिर तीसरी बात
मानने के लिये
कौन जोर देता है !
सत्य होना
जवाब देंहटाएंसत्य कहना
सत्य मानना - तीन आयाम हैं
सटीक सार्थक सशक्त रचना , बधाई रश्मि प्रभा..जी .
सीता के चरित्र को इस दृष्टिकोण से कभी नहीं देखा-सोचा था...आम मनुष्य के सत्य ही उसे महान बनाते हैं...
जवाब देंहटाएंसीता के चरित्र को इस दृष्टिकोण से कभी नहीं देखा-सोचा था...आम मनुष्य के सत्य ही उसे महान बनाते हैं...
जवाब देंहटाएंसबके अपने सत्य, कोई एकल सत्य ही सबको बाँध सकता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसत्य होना
जवाब देंहटाएंसत्य कहना
सत्य मानना - तीन आयाम हैं
सत्य के पाँव में पडी बेडियों का सटीक चित्रण …………उम्दा प्रस्तुति
सशक्त रचना........:)
जवाब देंहटाएंसत्य को बड़ी ही सहजता के साथ व्यक्त किया है आपने
जवाब देंहटाएंअति उत्तम
निशब्द हूँ .....आपकी लेखनी के सत्य से बहुत पहले से ही परिचित हूँ ....और कायल भी
जवाब देंहटाएंक्या बात है..आपने तो एक सत्य के तीन फाड़ कर दिये लेकिन एक बेहद गहरी दृष्टि का दीदार आपकी इस कविता में हो रहा है..और असल भी यही है कि सत्य का होना, सत्य कहना और सत्य मानने में काफी फर्क है।। बेहतरीन प्रस्तुति।।। आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति.... रश्मि जी आभार
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत शानदार प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअलग अलग लोगो और जितने लोग, उतना सच... आपकी व्याख्या हमेशा अनोखी होती है दीदी और प्रस्तुति लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण सम्प्रेषण .....प्रभावी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंगहरे प्रश्न उठाती है आपकी रचना .. पर सत्य जो की सत्य रहता अहि ... उसका निर्वाह बहुत ही कठिन होता है ...
जवाब देंहटाएंसत्य कितना कमज़ोर एवँ असहाय होता है यह इसी बात से सिद्ध हो जाता है कि जब धर्म, समाज या परिवार की आड़ लेकर चंद लोग चीख-चीख कर झूठ को सच बना कर प्रस्तुत करते हैं तो बाकी सब उस झूठ को ही सत्य का दर्ज़ा लेकर स्वीकार भी कर लेते हैं और सत्य बेचारा एक कोने में अपने निरीह से अस्तित्व को समेटे सुबकता रह जाता है ! वितृष्णा नहीं होती ऐसी कायरता पर ? बहुत ही बढ़िया एवँ मननीय रचना !
जवाब देंहटाएंसत्य कि भिन्न परिभाषाएं । सत्य सीखा या समझाया नहीं जा सकता सिर्फ जिया जा सकता है |
जवाब देंहटाएंसीता के धरती में समाने के पूरे प्रकरण से समझ आता है कि सत्य का मखौल भगवान ने भी उड़ाया. और आजतक सन्देश यही आया है कि स्त्री जब-जब प्रताड़ना की भागी होती है, आत्हत्या ही सुलभ मार्ग है. बहुत सुन्दर रचना. मन को हिलाती हुई.
जवाब देंहटाएंसत्य होना
जवाब देंहटाएंसत्य कहना
सत्य मानना - तीन आयाम हैं
सत्य कहने मानने से सरल मुझे सत्य को जीना लगा
इसलिए आपकी इस रचना से प्रेरित आज एक रचना लिखी है मैंने :)
स्त्री को सीता बनने की सलाह देने से पहले
जवाब देंहटाएंदिल पर हाथ रखकर उत्तर देना ---
साधारण घर में धरती से उठाई गई लड़की को
सहजता से कितने लोग अपनाएँगे ?
अपनाकर अपनी महानता कितनी बार सुनायेंगे ?
अपहरण के बाद कितनी निष्ठा से बचाएँगे ?
एक ऊँगली उठने से पहले
स्वयं कैसे कैसे प्रश्न उठाएँगे ?"
सत्य के तीन आयाम हम कितना जी पाते हैं इन्हे.......
बहुत उम्दा मैम
जवाब देंहटाएंशायद मेरे स्तर से कहीं आगे की...
पुराणों में जो कथाये हैं उनमें कई मिथक हैं कई संकेत छुपे हैं...उनका राज जानना हो तो बहुत गहराई में जाना होगा
जवाब देंहटाएंसत्य को स्वीकारना और उसके साथ चलना हर किसी के लिए संभव नहीं
जवाब देंहटाएंसोचने को प्रेरित करती सार्थक रचना
सादर!